बिना कारण नौकरी से नहीं निकाला जा सकेगा
अब कोई भी कर्मी, जो छह महीने या उससे अधिक समय से किसी दुकान या प्रतिष्ठान में कार्यरत है, उसे बिना ठोस कारण और एक महीने के नोटिस के निकाला नहीं जा सकता। यदि संस्थान ऐसा करता है, तो उन्हें एक महीने का वेतन अनिवार्य रूप से देना होगा। यह प्रावधान श्रमिकों को असुरक्षा की स्थिति से बाहर लाने की दिशा में एक मजबूत कदम है।
काम के घंटे तय: हफ्ते में अधिकतम 48 घंटे
कानून के तहत अब दुकानों और प्रतिष्ठानों में काम करने वाले कर्मचारियों से सप्ताह में 48 घंटे से अधिक कार्य नहीं लिया जा सकेगा। एक दिन में अधिकतम 9 घंटे की ड्यूटी तय की गई है। यदि कोई कर्मचारी ओवरटाइम करता है, तो इसके लिए उसे तय दर से अतिरिक्त भुगतान करना अनिवार्य होगा।
10 से अधिक कर्मियों वाले प्रतिष्ठानों के लिए पंजीकरण
अगर किसी प्रतिष्ठान में 10 या उससे अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं, तो उन्हें इस अधिनियम के लागू होने की तिथि से 6 महीने के भीतर अनिवार्य रूप से पंजीकरण कराना होगा। इससे सरकार को श्रमिकों की पहचान और उनके अधिकारों की निगरानी में आसानी होगी। वहीं, 10 से कम कर्मियों वाले प्रतिष्ठानों के लिए यह पंजीकरण ऐच्छिक रहेगा।
महिला गिग कर्मियों को मातृत्व लाभ
गिग वर्कर्स के लिए यह कानून एक बड़ी राहत लेकर आया है। अब अंशकालिक महिला कामगारों को गर्भावस्था और प्रसव के दौरान 90 दिनों का मातृत्व अवकाश मिलेगा। इस अवधि के लिए उन्हें न्यूनतम मजदूरी अथवा राज्य सरकार द्वारा तय की गई राशि प्रदान की जाएगी। इससे महिला गिग वर्कर्स को आर्थिक सुरक्षा मिलेगी और वे काम व परिवार के बीच बेहतर संतुलन बना सकेंगी।
काम के दौरान दुर्घटना या मृत्यु पर अनुग्रह अनुदान
ड्यूटी के दौरान किसी कर्मचारी की आकस्मिक मृत्यु होने पर परिजनों को ₹4 लाख की सहायता राशि दी जाएगी। वहीं, दुर्घटना के मामले में एक सप्ताह से अधिक अस्पताल में भर्ती होने पर ₹16,000 और कम अवधि के लिए ₹5,400 की सहायता दी जाएगी। यदि किसी दुर्घटना के कारण कर्मचारी दिव्यांग हो जाता है, तो उसे ₹74,000 से ₹2.5 लाख तक का अनुदान मिल सकता है।
गिग वर्कर्स की पहचान और सुरक्षा पर विशेष जोर
गिग वर्कर्स जैसे कि फूड डिलीवरी, कैब ड्राइविंग या किसी डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से कार्यरत श्रमिक अक्सर न तो किसी एक कंपनी से जुड़े होते हैं और न ही उन्हें पारंपरिक कर्मचारियों जैसे अधिकार मिलते हैं। इस अधिनियम के तहत उन्हें भी सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य लाभ और पंजीकरण की सुविधा देकर एक नई पहचान और सम्मान देने का प्रयास किया गया है।
0 comments:
Post a Comment