शनि, मंगल और राहु दोष दूर करेंगे ये पौधे, करें पूजा

धर्म डेस्क। भारतीय संस्कृति में ग्रहों का प्रभाव जीवन के हर पहलू पर माना गया है। सुख-दुख, स्वास्थ्य, करियर, वैवाहिक जीवन हर क्षेत्र में ग्रहों की चाल मानी जाती है। खासकर शनि, मंगल और राहु जैसे ग्रह जब प्रतिकूल स्थिति में होते हैं, तो व्यक्ति के जीवन में अनेक समस्याएं आने लगती हैं। लेकिन प्राचीन ग्रंथों में इन दोषों से राहत पाने के लिए कुछ प्राकृतिक उपाय बताए गए हैं।

1. मंगल दोष शांति के लिए बरगद की पूजा

मंगल ग्रह को शक्ति, साहस और ऊर्जा का प्रतीक माना गया है। जिनकी कुंडली में मंगल कमजोर होता है, उन्हें बार-बार संघर्ष, दुर्घटनाएं या गुस्से की समस्या हो सकती है। मंगल दोष को कम करने के लिए बरगद (वट वृक्ष) की पूजा करना अत्यंत फलदायी माना गया है।

बरगद का महत्व: बरगद का वृक्ष केवल आध्यात्मिक रूप से ही नहीं, बल्कि औषधीय दृष्टि से भी बहुत उपयोगी है। यह जीवनदायिनी ऊर्जा का प्रतीक है, जो मानसिक स्थिरता और आत्मबल प्रदान करता है। मंगल दोष से पीड़ित व्यक्ति को मंगलवार के दिन बरगद के पेड़ की जड़ में जल अर्पित करना, दीपक लगाना और परिक्रमा करनी चाहिए।

2. शनि दोष निवारण के लिए शमी का पौधा

शनि देव को न्याय का देवता कहा जाता है। यदि शनि अशुभ भाव में स्थित हो या कुंडली में साढ़े साती या ढैय्या चल रही हो, तो जीवन में रुकावटें, नौकरी में असफलता और मानसिक तनाव बढ़ सकता है। शनि दोष को दूर करने के लिए शमी वृक्ष की पूजा अत्यंत प्रभावी मानी गई है।

शमी का आध्यात्मिक व वास्तु महत्व: शमी वृक्ष को भगवान शिव और शनि दोनों का प्रिय माना गया है। इसे घर के मुख्य द्वार के पास लगाना शुभफलदायी होता है। शनिवार के दिन शमी के पौधे की पूजा करने से शनि की पीड़ा कम होती है और कर्मों में सुधार आता है।

3. राहु दोष से राहत देगी कुशा की जड़

राहु एक छाया ग्रह है जिसे रहस्यमय, अप्रत्याशित घटनाओं और मानसिक भ्रम का कारक माना गया है। राहु दोष से प्रभावित व्यक्ति को भय, मानसिक अस्थिरता या नकारात्मकता घेर सकती है। ऐसे में कुशा की जड़ से पूजा करना लाभकारी होता है।

कुशा का धार्मिक उपयोग: कुशा घास को वैदिक यज्ञों में पवित्र माना गया है। कुशा से बनी अंगूठी (पवित्री) का उपयोग पितृ तर्पण, श्राद्ध और मंत्रोच्चारण में किया जाता है। राहु दोष शांति के लिए कुशा की जड़ से हर बुधवार को विशेष पूजा करना शुभ होता है।

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