आम आदमी का जज
फ्रैंक कैप्रियो कोई आम जज नहीं थे। वह न्याय की कुर्सी पर बैठकर भी हमेशा इंसानियत के करीब रहे। अपने लोकप्रिय टीवी शो "कैच इन प्रोविडेंस" के जरिए उन्होंने यह साबित किया कि कानून का मकसद सिर्फ सजा देना नहीं, बल्कि समझना, सुधारना और सहानुभूति दिखाना भी होता है। उनके फैसले अक्सर छोटे-छोटे मामलों से जुड़े होते थे जैसे ट्रैफिक उल्लंघन, पार्किंग टिकट, या ओवरस्पीडिंग। लेकिन जिस संवेदनशीलता और समझदारी से वह हर केस को सुनते थे, वह उन्हें बाकी जजों से अलग बनाता था।
वो वायरल वीडियो - एक मिसाल
कैप्रियो का एक वीडियो आज भी लाखों लोगों की आंखें नम कर देता है। एक बुजुर्ग व्यक्ति का ओवरस्पीडिंग का चालान लेकर जब वह उनके सामने पहुंचे, तो उन्होंने न सिर्फ उस व्यक्ति की बात सुनी, बल्कि चालान भी माफ कर दिया। वजह यह थी कि वह व्यक्ति पहली बार ऐसा कर रहा था और उसकी मंशा गलत नहीं थी। यह एक छोटा फैसला था, लेकिन उस फैसले में जो मानवीय स्पर्श था, उसने दुनिया भर के दिलों को छू लिया।
करुणा और हिम्मत की मिसाल
फ्रैंक कैप्रियो ने अपने कैंसर से संघर्ष के बारे में खुद सोशल मीडिया पर बात की थी। उन्होंने 1 जून को नेशनल कैंसर सर्वाइवर्स डे पर एक वीडियो पोस्ट कर कहा था। "मैं उन सभी लोगों का सम्मान करता हूं जिन्होंने इस बीमारी से लड़ाई लड़ी और जीते। मैं खुद भी इस जंग में हूं, और मुझे उम्मीद है कि ईश्वर की कृपा से मैं भी इसे हरा दूंगा।" उनकी इस सकारात्मकता ने लाखों लोगों को प्रेरणा दी, खासकर उन्हें जो कैंसर जैसी बीमारी से जूझ रहे हैं।
सोशल मीडिया पर आखिरी संदेश
अपने निधन से कुछ ही घंटे पहले उनके इंस्टाग्राम अकाउंट से एक भावुक तस्वीर साझा की गई। अस्पताल के बिस्तर से मुस्कुराते हुए उन्होंने सभी प्रशंसकों को उनके प्यार और प्रार्थनाओं के लिए धन्यवाद दिया। इस एक तस्वीर ने दुनिया को बता दिया कि असली ताकत क्या होती है। मुस्कुराते हुए मुश्किलों का सामना करना।
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