बता दें की यह निर्णय न सिर्फ सरकार की संवेदनशीलता को दर्शाता है, बल्कि सामाजिक समावेश और शिक्षा के क्षेत्र में समान अवसर सुनिश्चित करने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। इस पहल से प्रदेश के 2,650 दिव्यांग छात्र सीधे लाभान्वित होंगे।
क्यों महत्वपूर्ण है यह निर्णय?
प्रदेश में दिव्यांग बच्चों के लिए कुल 28 आवासीय विद्यालय संचालित किए जा रहे हैं, जहाँ उन्हें निःशुल्क शिक्षा, आवास और अन्य सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं। लेकिन कई बार इन बच्चों के लिए दैनिक जरूरतें पूरी करना उनके परिवारों के लिए चुनौतीपूर्ण होता है। ऐसे में भरण-पोषण भत्ते में की गई यह बढ़ोतरी न केवल आर्थिक राहत देगी, बल्कि बच्चों की शिक्षा में निरंतरता भी सुनिश्चित करेगी।
सरकार की मंशा और दिशा
प्रमुख सचिव सुभाष चंद्र शर्मा ने सभी मंडलायुक्तों, जिलाधिकारियों और संबंधित विभागीय अधिकारियों को निर्देश जारी करते हुए इस नई व्यवस्था को तत्काल प्रभाव से लागू करने के लिए कहा है। वहीं, दिव्यांगजन सशक्तीकरण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नरेंद्र कश्यप ने इस फैसले को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दिव्यांगजनों के प्रति प्रतिबद्धता का परिणाम बताया।
उनके अनुसार, यह कदम न सिर्फ आर्थिक सहयोग है, बल्कि दिव्यांग विद्यार्थियों को मुख्यधारा में लाने की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास है। यह उन परिवारों के लिए भी एक बड़ी राहत है, जो सीमित संसाधनों के बावजूद अपने बच्चों की पढ़ाई जारी रखने का प्रयास कर रहे हैं।
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