यूपी में बनेगा ग्रामीण 'घरौनी' कानून: जानिए 5 बड़े फायदे!

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार अब ग्रामीण आबादी को एक बड़ा तोहफा देने की तैयारी में है। गांवों की बस्तियों में बसे लोगों को जल्द ही उनके मकानों और भूमि का कानूनी मालिकाना हक मिलने वाला है। इसके लिए ‘घरौनी कानून’ का मसौदा तैयार कर लिया गया है, जिसे सभी संबंधित विभागों – राजस्व, वित्त, न्याय आदि – की मंजूरी भी मिल चुकी है। अब इसे अंतिम रूप देने के लिए कैबिनेट में पेश किया जाएगा और संभावना है कि आगामी विधानसभा सत्र में यह विधेयक पारित किया जाएगा।

अभी तक जो घरौनी दस्तावेज जारी किए गए हैं, वे केवल शासनादेश पर आधारित हैं, जिनकी कानूनी मान्यता सीमित होती है। कोर्ट में ऐसे दस्तावेज अक्सर टिक नहीं पाते। ऐसे में इस नए कानून से ग्रामीणों को स्थायी और कानूनी सुरक्षा मिलेगी।

क्या है ‘घरौनी’ कानून?

यह प्रस्तावित कानून गांवों की ‘अविवादित’ आबादी वाली जमीनों पर रहने वाले लोगों को कानूनी रूप से उनका मालिक घोषित करेगा। लेखपाल ऐसे मामलों की रिपोर्ट तैयार करेंगे, जिसे कानूनगो के हस्ताक्षर के साथ राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज किया जाएगा। इससे व्यक्ति को न केवल मालिकाना हक मिलेगा, बल्कि वह संपत्ति अब कानूनी रूप से खरीदी-बेची जा सकेगी या बैंक से लोन लेने में भी उपयोगी होगी।

ये होंगे घरौनी कानून के 5 बड़े फायदे:

1. बैंकों से लोन लेने में आसानी: अब ग्रामीणों को अपने घर या भूमि के बदले बैंक से ऋण प्राप्त करने में दिक्कत नहीं होगी। घरौनी दस्तावेज एक कानूनी पहचान के रूप में मान्य होगा।

2. संपत्ति विवादों में कमी: अविवादित जमीनों को लेकर जब कानूनी दस्तावेज मिलेंगे, तो परिवारों या पड़ोसियों के बीच झगड़ों की गुंजाइश कम होगी। विवाद की स्थिति में एसडीएम निर्णय लेंगे, जिससे मामला त्वरित रूप से निपटेगा।

3. उत्तराधिकार और बंटवारे में पारदर्शिता: कानूनगो को उत्तराधिकार, विभाजन और उप-विभाजन के मामलों में नाम दर्ज करने का अधिकार मिलेगा। इससे वारिसों के बीच विवाद से बचा जा सकेगा।

4. संपत्ति की खरीद-फरोख्त होगी आसान: पंजीकृत वसीयत, गिफ्ट डीड, सरकारी नीलामी या अन्य माध्यमों से प्राप्त संपत्ति को अब वैध तरीके से घरौनी में दर्ज किया जा सकेगा, जिससे आगे चलकर बिक्री या हस्तांतरण में दिक्कत नहीं होगी।

5. कोर्ट में कानूनी मान्यता: सबसे बड़ा फायदा यह है कि अब घरौनी दस्तावेज को कोर्ट में मान्यता मिलेगी, क्योंकि यह एक अधिनियम के तहत जारी किया जाएगा। इससे ग्रामीणों की संपत्ति कानूनी सुरक्षा के दायरे में आ जाएगी।

विवाद की स्थिति में क्या होगा?

यदि किसी भूमि को लेकर विवाद होता है, तो लेखपाल, कानूनगो और तहसीलदार रिपोर्ट तैयार कर एसडीएम को भेजेंगे। एसडीएम तय करेंगे कि भूमि विवादित है या नहीं। यदि एसडीएम किसी भूमि को विवादित घोषित कर देते हैं, तो फिर राजस्व विभाग उस पर कोई कार्रवाई नहीं करेगा और मामला सीधे सिविल कोर्ट में जाएगा।

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