TRE-4: बिहार के सरकारी स्कूलों में शिक्षक भर्ती

पटना। बिहार में सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की बहाली को लेकर शिक्षा विभाग ने एक नई रणनीति अपनाई है, जिसका असर आने वाले वर्षों में लाखों अभ्यर्थियों पर पड़ेगा। आगामी टीआरई-4 (TRE-4) और उसके बाद टीआरई-5 (TRE-5) के लिए रिक्तियों के बंटवारे की जो नीति बनाई गई है, वह न केवल भर्ती प्रक्रिया को व्यवस्थित करने की दिशा में एक प्रयास है, बल्कि यह युवाओं को बेहतर तैयारी का समय भी देती है।

शिक्षक बहाली का नया खाका

बिहार सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया है कि 2026 में आयोजित होने वाली टीआरई-5 परीक्षा के लिए कुल रिक्तियों में से आधी सीटें आरक्षित रखी जाएंगी। यानी 2025 में होने वाली टीआरई-4 परीक्षा में सिर्फ 50% पदों पर ही बहाली की जाएगी। इसका उद्देश्य यह है कि आने वाले वर्षों में शिक्षक बहाली की प्रक्रिया संतुलित और चरणबद्ध ढंग से पूरी की जा सके।

इस नई व्यवस्था के तहत अनुमान है कि कक्षा 1 से 12 तक लगभग एक लाख पदों पर भर्ती की संभावना है, जिसमें से 50 हजार पद टीआरई-4 और 50 हजार पद टीआरई-5 के लिए रखे जाएंगे। यह जानकारी शिक्षा विभाग द्वारा जिलों से मांगी गई रिपोर्टों के आधार पर सामने आई है।

एसटीईटी और टीआरई का तालमेल

एक महत्वपूर्ण बदलाव यह भी है कि एसटीईटी (माध्यमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा) अब टीआरई-4 से पहले आयोजित नहीं की जाएगी। इसका अर्थ यह है कि जो अभ्यर्थी टीआरई-5 में शामिल होना चाहते हैं, उन्हें पहले एसटीईटी पास करना होगा। इससे यह साफ है कि सरकार अब पात्रता और नियुक्ति की प्रक्रियाओं को अधिक स्पष्ट और चरणबद्ध बनाना चाहती है।

आरक्षण में बदलाव: बिहार के युवाओं को प्राथमिकता

टीआरई-4 में एक नई व्यवस्था लागू की जा रही है जिसके तहत राज्य के अभ्यर्थियों को 85% सीटों पर आरक्षण मिलेगा। शेष 15% सीटें अन्य राज्यों के अभ्यर्थियों के लिए खुली रहेंगी। इसके साथ ही महिला अभ्यर्थियों को भी आरक्षण में विशेष प्राथमिकता दी गई है। कक्षा 5 तक के शिक्षकों की भर्ती में 50% आरक्षण और अन्य वर्गों में 35% आरक्षण केवल बिहार की महिला अभ्यर्थियों के लिए लागू होगा। इससे यह संदेश स्पष्ट है कि सरकार स्थानीय और महिला उम्मीदवारों को शिक्षक के रूप में प्रोत्साहित करना चाहती है।

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