अवैध प्लाटिंग पर जीडीए की नजर
महायोजना 2031 के तहत गोरखपुर में जिन क्षेत्रों को विकास के दायरे में लाया गया, वहां अतिक्रमण और अवैध प्लाटिंग की घटनाएं भी तेजी से बढ़ीं। इन कालोनियों में बिना किसी स्वीकृति के प्लाट काटे गए, सीमाएं चिन्हित की गईं, सड़कों और बिजली के खंभों जैसी बुनियादी संरचनाओं का निर्माण शुरू किया गया। कई जगहों पर दो से तीन फीट की दीवार खींचकर कालोनियों का नक्शा बना दिया गया था, जिससे आम नागरिक भ्रमित होकर प्लाट खरीदने लगे।
88 अवैध कालोनियां ध्वस्त,
बीते एक वर्ष में जीडीए ने 88 अवैध कालोनियों को पूरी तरह ध्वस्त कर 500 एकड़ से अधिक जमीन को मुक्त करा लिया है। यह कार्रवाई न केवल प्राधिकरण की सक्रियता को दर्शाती है, बल्कि एक सख्त संदेश भी देती है कि भविष्य में बिना अनुमति किसी भी प्रकार की प्लाटिंग और निर्माण कार्य को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
कार्रवाई की गति होगी और तेज
अब तक 153 अवैध कालोनियां चिह्नित की जा चुकी हैं, जिनमें से 88 पर कार्रवाई पूरी हो चुकी है। शेष 65 कालोनियों को लेकर भी तैयारी अंतिम चरण में है। जीडीए ने स्पष्ट किया है कि आने वाले समय में अभियान और भी तेज किया जाएगा और शहर को पूरी तरह से अवैध निर्माण से मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है।
प्लॉट खरीददारों की मुश्किलें बढ़ीं
इस अभियान से उन लोगों की चिंता भी बढ़ गई है जिन्होंने इन अवैध कालोनियों में प्लॉट खरीदे हैं। कई लोग बिना जांच-पड़ताल के इन प्लॉट्स में निवेश कर चुके हैं और अब उनके समक्ष न केवल आर्थिक नुकसान का खतरा है, बल्कि भविष्य में कानूनी उलझनों की आशंका भी है।
आदेशों में सख्ती: तीन सुनवाई तिथियों की सीमा
वाद अनुभाग की समीक्षा बैठक में जीडीए सचिव पुष्पराज सिंह ने अधिकारियों को निर्देशित किया है कि अवैध निर्माण से जुड़े मामलों में अधिकतम तीन सुनवाई की तिथि दी जाए और इसके बाद शीघ्र ध्वस्तीकरण आदेश जारी किए जाएं। इसके अनुपालन के लिए प्रभारी मुख्य अभियंता किशन सिंह ने सभी लंबित मामलों की स्थिति रिपोर्ट तलब की है।
0 comments:
Post a Comment