क्या है SAAW और क्यों है यह खास?
SAAW एक हल्का लेकिन बेहद प्रभावशाली ‘ग्लाइड बम’ है, जिसे भारतीय वायुसेना के फाइटर जेट्स से लॉन्च किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य दुश्मन के एयरबेस, रनवे, रडार और बंकर जैसी संरचनाओं को दूर से ही निष्क्रिय करना है, वो भी बिना किसी पायलट को खतरे में डाले। अब तक यह हथियार IIR (Imaging Infrared) सीकर तकनीक से लैस था, जो गर्मी और छवि की पहचान करके टारगेट को भेदता था। लेकिन अब इसे एक नए अपग्रेड के साथ और भी सटीक और खतरनाक बनाया जा रहा है।
कैसे बदल देगा सैटेलाइट नेविगेशन इसकी ताकत?
SAAW में अब NavIC आधारित सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम जोड़ा जा रहा है। यह भारत का अपना ग्लोबल नेविगेशन सिस्टम है, जो GPS की तुलना में अधिक सुरक्षित और सटीक माने जाता है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह किसी बाहरी सिस्टम पर निर्भर नहीं रहता और साइबर हमलों या सिग्नल जैमिंग से प्रभावित नहीं होता।
यह 'डुअल-मोड' गाइडेंस तकनीक जिसमें उड़ान की शुरुआती अवस्था में सैटेलाइट नेविगेशन और अंतिम अवस्था में IIR सीकर का इस्तेमाल होता है। SAAW को एक 'स्मार्ट' बम से ‘डायनामिक’ हथियार में बदल देती है। यह अब चलती-फिरती या अपनी स्थिति बदलने वाले लक्ष्यों को भी बेहद सटीकता से निशाना बना सकेगा।
100 किलोमीटर से भी ज्यादा रेंज, दुश्मन की सीमा में घुसे बिना हमला
इस अपग्रेड के बाद SAAW की मारक क्षमता 100 किलोमीटर से भी अधिक हो जाएगी। इसका मतलब है कि भारतीय फाइटर जेट्स दुश्मन के हवाई क्षेत्र में प्रवेश किए बिना ही उसके अहम ठिकानों को निशाना बना सकेंगे। यह स्टैंड-ऑफ अटैक क्षमता भारत को रणनीतिक बढ़त दिलाती है।
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