रडार की पकड़ से बाहर: कितने देशों के पास है हाइपरसोनिक मिसाइल?

नई दिल्ली। आज के दौर में सैन्य तकनीक लगातार विकसित हो रही है, और हाइपरसोनिक मिसाइलें इस क्षेत्र में सबसे तेज़ और चुनौतीपूर्ण हथियारों में से एक बन गई हैं। ये मिसाइलें न केवल अत्यंत तेज़ होती हैं, बल्कि रडार की पकड़ से बाहर होकर दुश्मन के रक्षात्मक हथियारों को चकमा देने में सक्षम हैं। इस कारण से दुनिया के कई देश इस तकनीक को विकसित करने और अपने हथियार भंडार में शामिल करने की दौड़ में हैं।

हाइपरसोनिक मिसाइल क्या हैं?

हाइपरसोनिक मिसाइलें ऐसे हथियार होते हैं जो ध्वनि की गति से पाँच गुना (मैक 5) या उससे अधिक तेज़ी से उड़ती हैं। ये मिसाइलें पारंपरिक बैलिस्टिक मिसाइलों से अलग होती हैं क्योंकि वे उड़ान के दौरान दिशा बदल सकती हैं, जिससे इन्हें पकड़ना और भी मुश्किल हो जाता है। इनके कारण सुरक्षा और रक्षा प्रणालियों के लिए नई चुनौतियां पैदा हो गई हैं।

किन देशों के पास है हाइपरसोनिक मिसाइल?

अभी तक, हाइपरसोनिक मिसाइल विकास और तैनाती के मामले में केवल कुछ चुनिंदा देशों ने सफलता हासिल की है:

1 .रूस: रूस ने दुनिया का पहला सक्रिय हाइपरसोनिक मिसाइल सिस्टम विकसित किया है, जिसमें ‘अवांगर्ड’ और ‘किन्ज़ाल’ मिसाइलें प्रमुख हैं। इस मामले में रूस अमेरिका से काफी आगे हैं।

2 .चीन: चीन ने भी ‘डीएफ-17’ जैसी हाइपरसोनिक मिसाइलें विकसित की हैं और अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रहा है। हाइपरसोनिक तकनीक में चीन तेजी से आगे बढ़ रहा हैं।

3 .संयुक्त राज्य अमेरिका: अमेरिका सक्रिय रूप से हाइपरसोनिक तकनीक पर काम कर रहा है और कई प्रोजेक्ट्स में निवेश कर रहा है।

4 .भारत: भारत भी इस क्षेत्र में तेजी से प्रगति कर रहा है: भारत हाल ही में हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण सफलतापूर्वक कर चुका है।

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