1. हर घर तक पहुंचेगी ज़मीन सुधार टीम
अब ज़मीन से जुड़े दस्तावेज दुरुस्त कराने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने की जरूरत नहीं पड़ेगी। बिहार सरकार कि विशेष राजस्व टीमें सीधे गांवों और मोहल्लों में जाकर: लोगों से ज़मीन से जुड़े दस्तावेज लेंगी, मौके पर ही सत्यापन करेंगी और आवश्यक फॉर्म भरवाकर प्रक्रिया शुरू करेंगी।
2. 4 बड़ी समस्याओं का होगा सीधा समाधान
राजस्व अभियान के ज़रिए ज़मीन मालिकों को जिन समस्याओं से सबसे ज़्यादा जूझना पड़ता है, अब उनका समाधान तेजी से किया जाएगा: छुट्टी हुई जमाबंदी को फिर से रिकॉर्ड में जोड़ा जाएगा। ऑनलाइन रिकॉर्ड में नाम, खाता, खेसरा या रकबे की त्रुटियाँ सुधारी जाएंगी। मृतक रैयत के नाम हटाकर उत्तराधिकारियों का नाम जोड़ा जाएगा। ज़मीन के बंटवारे के अनुसार नई जमाबंदी तैयार की जाएगी।
3. ज़मीन मालिक रखें ये दस्तावेज तैयार
सरकारी टीम जब गांव-गांव जाकर दस्तावेज इकट्ठा करेगी, तो ज़मीन मालिकों को चाहिए कि ये ज़रूरी कागजात पहले से तैयार रखें: पहचान पत्र (आधार, वोटर ID आदि), पुराने ज़मीन के कागजात, खाता-खेसरा संख्या, वारिसों से जुड़े दस्तावेज (यदि कोई रैयत मृत हो चुका हो)
4. तीन चरणों में होगा अभियान का संचालन
राजस्व सुधार कार्य को तीन साफ-सुथरे चरणों में बांटा गया है, ताकि योजना व्यवस्थित रूप से लागू हो: पहला चरण (16 अगस्त तक): अंचलाधिकारी माइक्रो प्लान तैयार करेंगे। दूसरा चरण (16 अगस्त–20 सितंबर): घर-घर जाकर दस्तावेज और आवेदन लिए जाएंगे। तीसरा चरण (30 अक्टूबर तक): सभी आवेदनों का निपटारा कर अंतिम रिपोर्ट तैयार होगी।
5. पारदर्शिता, समय की बचत और शिकायतों का त्वरित निपटारा
सरकार का साफ निर्देश है कि इस अभियान को मिशन मोड में चलाया जाए। यह कर्मचारियों की तत्परता और समर्पण से ही सफल होगा। इससे निम्नलिखित बड़े फायदे होंगे: सरकारी कार्यालयों में भीड़ कम होगी, भ्रष्टाचार और लेन-देन पर अंकुश लगेगा, लोग समय पर सही दस्तावेज पा सकेंगे, शिकायतों और विसंगतियों का तेजी से समाधान होगा।
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