K-6 मिसाइल: एक झलक
K-6 मिसाइल रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित की जा रही है और इसे भारत के भविष्य के परमाणु-संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियों (SSBNs) से लॉन्च किया जाएगा। इस मिसाइल की विशेषताएं इसे भारत की रणनीतिक त्रिकोण का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा बनाती हैं।
प्रमुख विशेषताएं:
1 .मारक क्षमता: 8,000 किलोमीटर , यानी K-6 मिसाइल दूर तक हमला करने में सक्षम होगी।
2 .पेलोड: यह मिसाइल लगभग 3 टन तक पेलोड ले जा सकती है, जिसमें परमाणु हथियार भी शामिल हैं।
3 .वारहेड: इसमें MIRV (Multiple Independently targetable Reentry Vehicles) तकनीक है, जिससे यह एक साथ कई अलग-अलग लक्ष्यों को भेद सकती है।
4 .ईंधन: इस मिसाइल में ठोस ईंधन पर आधारित तीन-चरणीय डिजाइन, जो इसे स्थिरता और तेजी से लॉन्च की क्षमता देता है।
5 .लॉन्च प्लेटफ़ॉर्म: परमाणु पनडुब्बियाँ, यानी ये मिसाइल समुद्र की गहराइयों से पूरी तरह से छिपकर दागी जा सकती है, जिससे दुश्मन के लिए इसका पता लगाना मुश्किल हो जाता है।
रणनीतिक महत्व:
K-6 मिसाइल भारत की 'सुरक्षित द्वितीय प्रहार' (Credible Second Strike) नीति को मजबूत करती है। इसका मतलब यह है कि अगर भारत पर पहले परमाणु हमला होता है, तो वह अपने दुश्मन को पूरी ताकत से जवाब देने में सक्षम रहेगा। समुद्र से दागी जाने वाली मिसाइलें इस रणनीति में सबसे अहम मानी जाती हैं, क्योंकि पनडुब्बियाँ सतह से अदृश्य रहती हैं और दुश्मन की निगाहों से बची रहती हैं।
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