पहले क्या था?
अब तक CGHS लाभार्थियों को यदि किसी अस्पताल में भर्ती किया जाता था, तो उनकी जियो-टैग्ड तस्वीरें रोजाना अपलोड करना अनिवार्य था। इससे अस्पताल प्रशासन और मरीज, दोनों को ही तकनीकी परेशानियों का सामना करना पड़ता था। खासकर बुजुर्ग मरीजों और गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों के लिए यह प्रक्रिया बोझिल थी।
अब नया क्या नियम है?
1. IPD (In-Patient Department) रेफरल मामले:
अब इन मामलों में जियो-टैग्ड फोटो की जरूरत नहीं है। बस यह सुनिश्चित होना चाहिए कि मरीज को CGHS के तहत वैध रेफरल मिला हो। संबंधित जानकारी राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) के पोर्टल पर अपलोड की जानी चाहिए।
2. IPD नॉन-रेफरल मामले:
यदि मरीज को बिना रेफरल के भर्ती किया जाता है, तो कुछ नियम अभी भी लागू होंगे: भर्ती के समय और छुट्टी के समय – दो जियो-टैग्ड तस्वीरें अनिवार्य हैं। यदि मरीज 7 दिनों से अधिक अस्पताल में भर्ती रहता है, तो हर 7वें दिन एक अतिरिक्त फोटो अपलोड करनी होगी। फोटो केवल वार्ड या ICU में ही ली जा सकती है। CGHS कार्ड दिखाना अनिवार्य नहीं है।
3. OPD (Out-Patient Department) मामले:
यदि रेफरल के साथ OPD सेवा ली जा रही है, तो किसी भी फोटो की जरूरत नहीं है। बिना रेफरल के यदि मरीज 70 वर्ष से अधिक आयु का है और बिस्तर पर है, तो उसकी जियो-टैग्ड फोटो अनिवार्य है। फोटो केवल मोबाइल या टैबलेट से ली जा सकती है। उसका साइज 1MB से कम होना चाहिए और 24 घंटे के भीतर CGHS पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य है।
मरीजों और अस्पतालों के लिए क्या बदलेगा?
इन नए नियमों से दो बड़े फायदे होंगे: पहला तकनीकी बोझ में कमी होगा, इससे अब हर दिन फोटो खींचने और अपलोड करने का झंझट खत्म हुआ है, जिससे अस्पताल स्टाफ को राहत मिलेगी। दूसरा बुजुर्ग व गंभीर मरीजों के लिए सहूलियत होगी, जो मरीज ICU में हैं, बिस्तर से उठ नहीं सकते या तकनीकी सुविधाओं से दूर हैं, उनके लिए यह बदलाव एक बड़ी राहत है।
0 comments:
Post a Comment