क्यों जरूरी था यह कदम?
दिव्यांग कर्मचारियों को रोजमर्रा की जिंदगी में तमाम चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, खासकर यात्रा के दौरान। सामान्य जन परिवहन प्रणाली उनके लिए अक्सर अनुकूल नहीं होती। कभी असुविधाजनक वाहन, तो कभी भौगोलिक बाधाएं, ये सब उनके लिए कार्यस्थल पहुंचना एक कठिन कार्य बना देती हैं। ऐसे में अतिरिक्त परिवहन भत्ता एक ठोस सहायता के रूप में सामने आता है, जिससे वे बेहतर तरीके से अपने कार्यस्थल तक पहुंच सकें।
किन्हें मिलेगा इसका लाभ?
वित्त मंत्रालय द्वारा जारी संशोधित निर्देशों के अनुसार, दोगुना परिवहन भत्ता कुछ विशेष श्रेणियों के दिव्यांग कर्मचारियों को मिलेगा। इनमें शामिल हैं: अंधता या दृष्टिबाधित कर्मचारी, मस्तिष्क पक्षाघात से पीड़ित, रीढ़ की हड्डी की चोट से विकलांगता, बौनापन, एसिड अटैक पीड़ित, ठीक हो चुके कुष्ठ रोगी, मानसिक रोग से पीड़ित, बहरापन और अन्य स्थायी दिव्यांगताएं। इस सूची को केंद्र सरकार ने दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के तहत तैयार किया है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी पात्र कर्मचारी इस लाभ से वंचित न रह जाए।
सिर्फ आर्थिक नहीं, सामाजिक पहलू भी है अहम
यह फैसला केवल एक आर्थिक सहायता नहीं है, बल्कि यह सरकार की उस सोच को भी दर्शाता है, जिसमें समावेशी और संवेदनशील प्रशासन की झलक मिलती है। यह कदम दिव्यांगजनों को मुख्यधारा में लाने की दिशा में मजबूत प्रयास है, जो उन्हें आत्मविश्वास से अपने कर्तव्यों के निर्वहन की सुविधा देता है।
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