गांव से बाहर जाने की ज़रूरत होगी कम
गांवों के लोग अब छोटी-छोटी जरूरतों के लिए शहर या तहसील मुख्यालय नहीं जाएंगे। पैक्स अब "वन स्टॉप सॉल्यूशन" के रूप में काम करेंगी जहां एक ही स्थान पर किसान और ग्रामीण जनता को कई तरह की सुविधाएं मिल सकेंगी। इनमें एलपीजी सिलेंडर की आपूर्ति, बिजली और अन्य यूटिलिटी बिल जमा करना, बैंकिंग सेवाएं, जन सेवा केंद्र, जन औषधि केंद्र, पीडीएस (राशन) की दुकानें, और यहां तक कि दूध कलेक्शन सेंटर और फूड प्रोसेसिंग यूनिट तक शामिल हैं।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिलेगा बल
पैक्स के माध्यम से अब किसानों को केवल खाद और बीज नहीं मिलेगा, बल्कि उनके उत्पादों के भंडारण और प्रोसेसिंग की भी सुविधा मिलेगी। कई समितियों पर नए गोदाम बनाए जा रहे हैं जिनकी क्षमता 100 से 250 मीट्रिक टन तक होगी। इससे फसल बर्बाद होने का खतरा कम होगा और किसान बेहतर दाम पा सकेंगे।
रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे
इन सुविधाओं के शुरू होने से गांवों में नए रोजगार के अवसर भी बनेंगे। दूध कलेक्शन सेंटर, फूड प्रोसेसिंग यूनिट, और पेट्रोल पंप जैसे प्रोजेक्ट्स न केवल स्थानीय युवाओं को काम देंगे, बल्कि गांव की अर्थव्यवस्था को भी गति देंगे। इसके अलावा, जन सेवा केंद्र और बैंकिंग एक्सटेंशन काउंटर जैसी सेवाएं स्थानीय स्तर पर डिजिटल और वित्तीय साक्षरता को भी बढ़ावा देंगी।
एक समृद्ध और आत्मनिर्भर गांव की ओर
प्रदेश में इस समय करीब 8134 पैक्स हैं जिनमें से 6861 सक्रिय रूप से कार्यरत हैं। सरकार की योजना है कि इन समितियों को बहुद्देशीय बनाकर ग्रामीण विकास की धुरी बनाया जाए। सहकारिता मंत्री जेपीएस राठौर के अनुसार, ये समितियां ग्रामीणों के लिए सहकारिता के माध्यम से समृद्धि का जरिया बनेंगी।
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