आर्थिक ताकत ही असली ताकत
गडकरी ने परोक्ष रूप से अमेरिका की "दादागिरी" पर टिप्पणी करते हुए स्पष्ट किया कि आज जो देश वैश्विक मंच पर प्रभावशाली भूमिका निभा रहे हैं, वे ऐसा अपनी आर्थिक मज़बूती और तकनीकी प्रगति के बल पर कर पा रहे हैं। चाहे वह टैरिफ तनाव हो या अंतरराष्ट्रीय संबंधों में प्रभुत्व की लड़ाई आधुनिक युग में शक्ति का सबसे बड़ा स्रोत आर्थिक और तकनीकी सामर्थ्य बन चुका है।
आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत
गडकरी का संदेश स्पष्ट था: अगर भारत को 'विश्व गुरु' बनना है, तो उसे आत्मनिर्भर बनना होगा, विशेषकर टेक्नोलॉजी और इकोनॉमी के क्षेत्र में। उन्होंने आयात कम करने और निर्यात बढ़ाने को प्राथमिकता देने की बात कही, जो भारत की व्यापार नीति में आत्मनिर्भर भारत अभियान के मूल मंत्र से मेल खाती है। उनका मानना है कि जब भारत की अर्थव्यवस्था सशक्त होगी और हम तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर बन जाएंगे, तब हमें किसी भी वैश्विक शक्ति के सामने झुकने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
संस्कृति से जुड़ी संवेदनशीलता
गडकरी ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत की संस्कृति में दादागिरी या वर्चस्ववाद के लिए कोई जगह नहीं है। हमारी परंपरा ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की रही है, जो विश्व को एक परिवार मानती है। ऐसे में, अगर भारत शक्तिशाली बनता भी है, तो भी वह अन्य देशों पर अपनी शक्ति थोपने का प्रयास नहीं करेगा। यह भारत की नैतिक ताकत है।
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