क्यों ज़रूरी है यह अभियान?
राज्य सरकार बच्चों की शिक्षा और मूलभूत ज़रूरतों को पूरा करने के लिए स्कूल यूनिफार्म, जूते-मोज़े, स्वेटर और बैग के लिए ₹1200 प्रतिवर्ष सीधे बच्चों के माता-पिता/अभिभावकों के बैंक खातों में भेजती है। प्रदेश में 1.30 करोड़ से अधिक बच्चे इस सुविधा का लाभ पहले ही पा चुके हैं, लेकिन अभी भी लगभग 6 लाख बच्चे बैंक खातों के आधार न जुड़ पाने या अन्य तकनीकी समस्याओं के कारण इससे वंचित हैं।
कैसे जोड़े जाएंगे छूटे हुए बच्चे?
सरकार ने इन बच्चों को योजना से जोड़ने के लिए एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार की है:
1. बच्चों की पहचान का अभियान
जिले स्तर से लेकर ग्राम पंचायत स्तर तक विशेष अभियान चलाया जाएगा। शिक्षकों, शिक्षा विभाग और प्रशासन की टीम घर-घर जाकर ऐसे बच्चों की पहचान करेगी।
2. नजदीकी सरकारी स्कूलों में दाखिला
जो बच्चे स्कूल नहीं जा रहे या बीच में पढ़ाई छोड़ चुके हैं, उनका सत्यापन कर उन्हें निकटतम परिषदीय विद्यालय में पुनः दाखिला दिलाया जाएगा।
3. बैंक खातों और आधार सीडिंग का सुधार
जिन बच्चों के अभिभावकों के बैंक खाते आधार से लिंक नहीं हैं, उनके लिए शिविर और जागरूकता अभियान चलाकर आधार सीडिंग कराई जाएगी, ताकि डीबीटी भुगतान आसानी से हो सके।
अधिकारियों की महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी
सरकार ने इस अभियान की निगरानी और सफलता सुनिश्चित करने के लिए जिलाधिकारी (DM) और बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) को सीधी जिम्मेदारी दी है। उनकी देखरेख में बच्चों की सूची का सत्यापन होगा, स्कूलों में दाखिला कराया जाएगा, आधार सीडिंग करवाकर बैंक खातों को सक्रिय किया जाएगा और फिर डीबीटी की राशि भेजी जाएगी।

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