इस डील का उद्देश्य भारतीय नौसेना की समुद्री क्षमताओं को मजबूत करना, अमेरिका और क्षेत्रीय साझेदारों के साथ इंटरऑपरेबिलिटी बढ़ाना और दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को और गहरा करना है। अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट ने एक पोस्ट में कहा कि यह एग्रीमेंट इंडियन नेवी की सामरिक शक्ति बढ़ाने और क्षेत्र में सुरक्षा सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाएगा।
आधिकारिक बयान में बताया गया कि सस्टेनमेंट पैकेज में पुर्ज़ों और सहायक उपकरणों की आपूर्ति, उत्पाद समर्थन, घटकों की मरम्मत, प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता, तथा भारत में ‘मध्यवर्ती’ स्तर की घटक मरम्मत और रखरखाव निरीक्षण सुविधाओं की स्थापना शामिल है।
विशेष रूप से यह पहल ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विज़न के अनुरूप भी है। एग्रीमेंट के माध्यम से भारतीय MSMEs और अन्य स्थानीय कंपनियों के जरिए स्वदेशी उत्पाद और सेवाओं के विकास को बढ़ावा मिलेगा, जिससे देश की रक्षा उत्पादन क्षमता मजबूत होगी।
सियासी दृष्टि से इस एग्रीमेंट का समय भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के 4-5 दिसंबर को भारत आने से ठीक पहले हुआ है। पुतिन के इस दौरे के दौरान 23वें द्विपक्षीय भारत-रूस शिखर सम्मेलन की तैयारियाँ पूरी हो रही हैं। माना जा रहा है कि मोदी सरकार इस दौरे को भी विशेष महत्व दे रही है।
विश्लेषकों के अनुसार, इस कदम से भारत-यूएस रक्षा साझेदारी में नए आयाम खुलेंगे और क्षेत्रीय रणनीतिक संतुलन में भी यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। साथ ही, यह भारतीय नौसेना के आधुनिकीकृत और आत्मनिर्भर ढांचे की दिशा में एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है।

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