बिहार में 'शिक्षकों' को 1 बड़ी सौगात, सरकार ने दी खुशखबरी!

पटना। बिहार के लाखों नियोजित शिक्षकों के लिए गुरुवार का दिन बेहद खास साबित हुआ। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधानसभा में एक ऐसा ऐलान किया जिसने वर्षों से नौकरी की स्थिरता का इंतजार कर रहे शिक्षकों को बड़ी राहत दी। अब इन शिक्षकों को स्थायी सरकारी शिक्षक बनने के लिए कठिन BPSC परीक्षा नहीं देनी होगी। इसकी जगह सरकार एक सरल मूल्यांकन परीक्षा आयोजित करेगी, जिसके आधार पर उन्हें नियमितकरण का अवसर मिलेगा।

नियुक्ति प्रक्रिया में बड़ा बदलाव: BPSC का दबाव खत्म

अब तक नियोजित शिक्षकों को पूर्ण रूप से सरकारी सेवा में आने के लिए BPSC जैसी कठिन प्रतियोगी परीक्षा पास करनी पड़ती थी। यह प्रक्रिया कई शिक्षकों के लिए चुनौतीपूर्ण थी, क्योंकि वर्षों तक सेवा देने के बाद भी उन्हें स्थायित्व नहीं मिल पा रहा था।

सरकार ने इन समस्याओं को समझते हुए परीक्षा प्रक्रिया में बदलाव करने का निर्णय लिया है। नई व्यवस्था के तहत नियोजित शिक्षकों को सिर्फ एक सरल परीक्षा देनी होगी। परीक्षा केवल उनकी पात्रता का मूल्यांकन करेगी। सफल होने पर उन्हें सरकारी शिक्षक के रूप में नियमित किया जाएगा। यह बदलाव लंबे समय से माँगी जा रही मांगों को पूरा करता है।

शिक्षा व्यवस्था में आएगा सकारात्मक बदलाव

स्थायी नियुक्ति मिलने से शिक्षकों में सुरक्षा का भाव बढ़ेगा, जिससे वे ज्यादा आत्मविश्वास के साथ पढ़ा सकेंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि स्कूलों में शिक्षक अनुपस्थिति के मामलों में कमी आएगी, ग्रामीण इलाकों की शिक्षा व्यवस्था मजबूत होगी, अनुभव रखने वाले शिक्षकों को प्रोत्साहन मिलेगा, शिक्षण गुणवत्ता में निरंतरता आएगी। सरकार का मानना है कि स्थायित्व मिलने से शिक्षा व्यवस्था अधिक स्थिर और प्रभावी बनेगी।

शिक्षकों और संगठनों में खुशी की लहर

यह फैसला आते ही शिक्षकों और उनके संगठनों ने इसे एक "ऐतिहासिक कदम" बताया। उनका कहना है कि नियोजित शिक्षक वर्षों से कक्षाओं में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं, ऐसे में बार-बार कठिन परीक्षा देना तर्कसंगत नहीं था। संगठनों का स्पष्ट मत है कि यह निर्णय न केवल न्यायोचित है बल्कि शिक्षा व्यवस्था की वास्तविक जरूरतों के अनुरूप भी है।

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