किन शिक्षकों को मिलेगा अवसर?
यूजीसी के अनुसार आवेदन वही शिक्षक कर सकेंगे जो मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय या कॉलेज में नियमित रूप से कार्यरत हों, पीएचडी धारक हों, कम से कम पाँच वर्ष का शिक्षण अनुभव रखते हों, और जिनकी संस्था NIRF–2025 की किसी भी श्रेणी की शीर्ष-100 सूची में शामिल हो। इसके अतिरिक्त, आवेदक को अपनी संस्था से यह प्रमाण-पत्र देना होगा कि वह ऑनलाइन कोर्स संचालित करने की स्थिति में है।
कोर्स की मुख्य रूपरेखा
यूजीसी ने कोर्स संरचना को लेकर स्पष्ट दिशानिर्देश जारी किए हैं। यह मूक कोर्स चार क्रेडिट का होगा, जिसमें से दो क्रेडिट थ्योरी और दो क्रेडिट प्रैक्टिकल पर आधारित रहेंगे। कोर्स को राष्ट्रीय शिक्षा नीति–2020 की अवधारणाओं के अनुरूप बहुआयामी ढांचे में विकसित किया जाना है।
यह कोर्स स्नातक और स्नातकोत्तर दोनों स्तरों के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध रहेगा। हर सप्ताह 25 से 30 मिनट की वीडियो सामग्री तैयार करनी होगी, जिसे छोटे मॉड्यूल के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा। शिक्षक की स्क्रीन पर उपस्थिति अधिकतम 25 प्रतिशत तक सीमित होगी, जबकि शेष सामग्री ग्राफिक्स, एनीमेशन और विजुअल प्रस्तुति के माध्यम से तैयार करनी होगी।
बजट और कार्य-प्रक्रिया का निर्धारण
चार क्रेडिट वाले इस मूक कोर्स के लिए यूजीसी ने 13.50 लाख रुपये तक का बजट निर्धारित किया है। यह राशि कंटेंट डेवलपमेंट, टीचिंग–लर्निंग मैटेरियल, एनीमेशन, ग्राफिक्स तथा क्वालिटी चेक जैसी सभी प्रक्रियाओं पर व्यय की जा सकेगी।
डिजिटल शिक्षा के तेजी से बढ़ते दायरे को देखते हुए यूजीसी की यह पहल प्रदेश के योग्य शिक्षकों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। इससे शिक्षकों को न केवल राष्ट्रीय मंच पर अपनी विशेषज्ञता प्रदर्शित करने का मौका मिलेगा, बल्कि ऑनलाइन शिक्षण सामग्री तैयार करने का अनुभव भी प्राप्त होगा, जो भविष्य की शिक्षा प्रणाली में अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगा।

0 comments:
Post a Comment