भारत को लेकर पुतिन का बड़ा ऐलान, ट्रंप को लगेगी मिर्ची!

न्यूज डेस्क। नई दिल्ली की धरती इस समय भारत–रूस संबंधों के नए अध्याय की गवाह बनी। दो दिवसीय दौरे पर आए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को संयुक्त बयान जारी किया। इस दौरान पुतिन ने साफ कर दिया कि रूस भारत को ऊर्जा आपूर्ति लगातार और बिना किसी रुकावट के जारी रखेगा, एक ऐसा संदेश जिसने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हलचल मचा दी है।

रूसी तेल सप्लाई जारी

संयुक्त बयान में पुतिन ने कहा कि रूस भारत का “भरोसेमंद एनर्जी पार्टनर” है और रहेगा। उन्होंने दोहराया कि भारत की तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के लिए तेल, गैस और कोयले की निरंतर सप्लाई रूस जारी रखेगा। यह संदेश उस समय आया है जब अमेरिका लगातार भारत पर रूसी तेल आयात कम करने का दबाव डालता रहा है। अमेरिकी प्रशासन द्वारा बढ़े हुए टैरिफ लगाए जाने के बावजूद पुतिन का यह बयान अमेरिका को स्पष्ट संकेत देता है कि भारत–रूस ऊर्जा सहयोग किसी बाहरी दबाव से नहीं थमेगा।

एनर्जी सेक्टर में नए अवसर

दोनों नेताओं ने ऊर्जा क्षेत्र में साझेदारी का दायरा बढ़ाने पर सहमति जताई। पुतिन ने कहा कि दोनों देश तेल एवं गैस सप्लाई को और स्थिर बनाने के लिए नए मैकेनिज़्म पर विचार कर रहे हैं। भविष्य में यह सहयोग हाइड्रोजन, एलएनजी और कोयला तकनीक तक भी बढ़ाया जा सकता है।

भारत–रूस का ‘इंडिपेंडेंट फॉरेन पॉलिसी’ मॉडल

पुतिन ने कहा कि भारत और रूस वैश्विक मंचों ब्रिक्स, एससीओ समेत “स्वतंत्र और आत्मनिर्भर विदेश नीति” अपनाने वाले देशों के समूह के साथ खड़े हैं। दोनों देश संयुक्त राष्ट्र के मूल सिद्धांतों की रक्षा करने पर भी सहमत हैं। उनका यह बयान उस वैश्विक माहौल में खास मायने रखता है, जहां कई बड़े देश रणनीतिक दबावों के बीच अपने हित साधने की कोशिश कर रहे हैं।

ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर: उत्तर से दक्षिण तक नया गलियारा

पुतिन ने बताया कि रूस और भारत मिलकर नए इंटरनेशनल ट्रांसपोर्ट रूट्स तैयार कर रहे हैं, जिनमें उत्तर से हिंद महासागर तक जाने वाले नॉर्थ–साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर की योजना प्रमुख है। यह प्रोजेक्ट सफल होने पर यूरोप–एशिया व्यापार का समय और लागत दोनों में भारी कमी आ सकती है।

तेजी से बढ़ता व्यापार, 100 बिलियन डॉलर का लक्ष्य

पिछले वर्ष भारत–रूस व्यापार में 12% की वृद्धि दर्ज की गई, जो लगभग 64 बिलियन डॉलर के स्तर तक पहुंचा। पुतिन का कहना है कि दोनों देश इसे जल्द ही 100 बिलियन डॉलर तक ले जाने के लिए तैयार हैं। इस लक्ष्य को हासिल करने में भारत और यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन के बीच प्रस्तावित फ्री ट्रेड एग्रीमेंट महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

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