नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने बैंकिंग सेक्टर में काफी बड़ा कदम उठाते हुए कई बड़े बैंकों के मर्जर का ऐलान किया है। लोगों के मन में इस बात की चिंता बनी हुई हैं की उससे उनपर क्या प्रभाव पड़ेगा। लोगों के मन में कई तरह के सवाल चल रहें हैं। आज इसी विषय में जानने की कोशिश करेंगे की बैंकों के विलय से ग्राहकों पर क्या पड़ेगा असर।
जानकारों का मानना है कि कमजोर बैंकों का अगर मजबूत बैंकों में विलय होता है तो ग्राहकों के लिए फायदे का सौदा होता है। मजबूत बैंक खाताधारकों के लिए लंबी अवधि में जमा पर ज्यादा आकर्षक ब्याज दे सकते हैं और कर्ज की दरें भी कम कर सकते हैं। इसलिए ग्राहकों को इससे चिंता नहीं करनी चाहिए। ये उनके लिए लाभकारी साबित होगा।
विलय प्रक्रिया में कम से कम 4 से 6 महीने का वक्त लग सकता है। ग्राहकों को संबंधित बैंकों की शाखाओं को नया नाम मिलेगा और उनके IFSC कोड भी बदल जाएंगे।
हालांकि, इन बैंकों के ग्राहकों पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि यह प्रक्रिया चरणबद्ध तरीके से चलेगी। बता दें कि एसबीआई में उसके असोसिएट्स बैंकों के विलय की प्रक्रिया लंबे वक्त में पूरी हुई थी और इसके बावजूद कस्टमर सर्विस प्रभावित नहीं हुई थी।
सरकार का कहना है कि बैंकों के विलय के बाद बनने वाले नए बैंक के कस्टमर बेस, मार्केट में पहुंच और संचालन में दक्षता बढ़ेगी। इसके अलावा ग्राहकों को अच्छी सेवाएं मिलेंगी। सरकार का कहना है कि बड़े बैंकों को अर्थव्यवस्था से बड़ा लाभ होता है और वे अपनी दक्षता बढ़ाने के लिए आसानी से कॉस्ट कटिंग कर सकते हैं। बैंकों का यह विलय ग्राहकों के लिए आने वाले समय में फायदे का सौदा साबित होगा।
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