जानिए, आने वाले दिनों में ये हैं इसरो के ड्रीम प्रॉजेक्ट

साइंस डेस्क: आज के वर्तमान समय में इसरों पूरी दुनिया में अपनी अलग पहचान बना रहा हैं जो हर भारतीयों के लिए एक गर्व का विषय हैं। आज इसी विषय में जानने की कोशिश करेंगे इसरो के ड्रीम प्रॉजेक्ट के बारे में  जिसपर इसरों के वैज्ञानिक काम कर रहे हैं और रात दिन इस काम को करने में जुटे हुए हैं। तो आइये इसके बारे में जानते हैं विस्तार से की आने वाले दिनों में इसरो के ड्रीम प्रॉजेक्ट कौन-कौन से हैं। 
गगनयान :
इसरो ने अंतरिक्ष में जाने के लिए 25 टेस्‍ट पायलटों के पहले बैच का चयन कर लिया है। इनमें से 3 चुने गए पायलटों को रूस भेजा जाएगा ताकि वे इसरो के गगनयान मिशन के लिए अंतरिक्ष यात्री के रूप में ट्रेनिंग हासिल कर सकें। इसरो गगनयान मिशन के तहत अंतरिक्षयात्रियों को दिसंबर 2021 तक अंतरिक्ष में भेजेगा। रूस इस मिशन में भारत की मदद कर रहा है। इसके तहत रूस स्‍पेस सूट मुहैया कराएगा और अंतरिक्ष यात्रियों को स्‍पेस कैप्‍सूल के अंदर एक सप्‍ताह तक रहने का तरीका बताएगा। 

आदित्‍य एल-1 :
वर्ष 2020 तक इसरो आदित्‍य एल-1 प्रोब लॉन्‍च करेगा। सूर्य की बाहरी परत का अध्‍ययन करने के लिए यह पहला पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध मिशन होगा।

शुक्रयान-1 :
आदित्‍य एल-1 प्रोब लॉन्‍च करने के बाद इसरों शुक्रयान-1 भी लॉन्‍च करेगा। वर्ष 2023 तक लॉन्‍च किया जाने वाला शुक्रयान शुक्र ग्रह के करीब 400 किलोमीटर की ऊंचाई से उसका अध्‍ययन करेगा। 

मंगलयान-2 :
इसरो वर्ष 2022 से 2023 के बीच मंगलयान-2 लॉन्‍च करेगा जो 'लाल ग्रह' मंगल का अध्‍ययन करेगा और उसके रहस्यों को सुझाएगा। 

अंतरिक्ष में स्‍पेस स्‍टेशन :
इसरो वर्ष 2020 के आसपास एस्‍ट्रोसैट-2 अंतरिक्ष वेधशाला लॉन्‍च करना चाहता है जो एस्‍ट्रोसैट-1 की जगह लेगा। यह वेधशाला अंतरिक्ष में रहकर ब्रह्मांड के उत्‍पत्ति के रहस्‍यों का पता लगाएगा। इसरो का फोकस नए ग्रहों की खोज करने पर रहेगा। भारत वर्ष 2030 के आसपास अंतरिक्ष में अपना एक स्‍पेस स्‍टेशन बनाना चाहता है जहां पर रहकर अंतरिक्ष यात्री कुछ दिनों तक प्रयोग करेंगे।

चंद्रयान-3 :
भारत-जापान मिलकर वर्ष 2024 में वह चंद्रयान-3 की मदद से दोबारा चांद पर उतरने का प्रयास करेगा। इसरो के साथ इस बार जापान की अंतरिक्ष एजेंसी जाक्‍सा भी होगी। माना जा रहा है कि चंद्रयान-3 के लिए जापान रॉकेट और लूनर रोवर मुहैया कराएगा जबकि लैंडर इसरो का होगा। लूनर रोवर चद्रमा की सतह में खुदाई करेगा और वैज्ञानिक परीक्षण करेगा। इस मिशन का लक्ष्‍य चांद पर बस्‍ती बसाने के लिए एक सही स्‍थान का चुनाव करना है।

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