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अनार खा रहे हैं रोज़? क्या है इसकी सही डोज

हेल्थ डेस्क। अनार को सेहत का खजाना कहा जाता है। इसके छोटे-छोटे दानों में बड़ी मात्रा में पोषक तत्व छिपे होते हैं, जो दिल से लेकर त्वचा तक को स्वस्थ बनाए रखते हैं। यही वजह है कि कई लोग इसे रोज़ाना अपनी डाइट में शामिल करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हर चीज़ की तरह अनार भी सीमित मात्रा में ही फायदेमंद होता है?

क्यों ज़रूरी है सही मात्रा जानना?

अनार विटामिन C, विटामिन K, फाइबर, पोटैशियम और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है। यह इम्यून सिस्टम को मजबूत करने, ब्लड प्रेशर नियंत्रित रखने और पाचन तंत्र सुधारने में मदद करता है। लेकिन जरूरत से ज्यादा सेवन करने पर यह शरीर में शुगर लेवल को बढ़ा सकता है।

कितनी है "सही डोज़"?

पोषण विशेषज्ञों की मानें तो एक स्वस्थ व्यक्ति को रोजाना 1 मध्यम आकार का अनार या एक कप (लगभग 150-200 ग्राम) अनार के दाने का सेवन करना चाहिए। यह मात्रा शरीर को जरूरी पोषक तत्व देती है, बिना किसी साइड इफेक्ट के।

कैसे करें सेवन?

रोज़ अनार खाने के लिए इसे सलाद, स्मूदी या दही के साथ मिक्स करके खाया जा सकता है। चाहें तो इसका जूस भी पिया जा सकता है, लेकिन जूस में फाइबर नहीं रहता और शुगर ज्यादा हो सकती है, इसलिए पूरा फल खाना ज्यादा फायदेमंद माना जाता है।

अनार के फायदे। 

 1. दिल को रखे सेहतमंद: अनार में मौजूद पॉलीफेनोल्स और एंटीऑक्सीडेंट्स ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करते हैं और खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) को कम करने में मदद करते हैं, जिससे दिल की बीमारियों का खतरा घटता है।

2. इम्यून सिस्टम को करता है मजबूत: अनार में विटामिन C और अन्य एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में होते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक होते हैं।

3. पाचन में मददगार: इसमें फाइबर की अच्छी मात्रा होती है, जो पाचन क्रिया को सुधारती है और कब्ज जैसी समस्याओं से राहत देती है।

4. याददाश्त और दिमाग के लिए फायदेमंद: कुछ रिसर्च के अनुसार, अनार का नियमित सेवन दिमाग की कार्यक्षमता को बेहतर बनाता है और याददाश्त में सुधार कर सकता है।

5. त्वचा को बनाता है चमकदार और जवान: अनार के एंटी-एजिंग गुण त्वचा को फ्री-रेडिकल्स से बचाते हैं, जिससे झुर्रियों और दाग-धब्बों में कमी आती है और त्वचा ग्लो करती है।

8वें वेतन आयोग: ग्रेड-पे 2000 वालों की क्या होगी नई सैलरी ?

नई दिल्ली। केंद्र सरकार के लाखों कर्मचारियों को 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) का बेसब्री से इंतजार है। पिछली बार 7वें वेतन आयोग की सिफारिशें जनवरी 2016 से लागू हुई थीं। अब लगभग एक दशक होने को है और कर्मचारियों को उम्मीद है कि जल्द ही 8वां वेतन आयोग घोषित किया जाएगा। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि इससे उनकी सैलरी में कितना इजाफा होगा, खासकर उन कर्मचारियों के लिए जो ग्रेड-पे 2000 के अंतर्गत आते हैं।

इस रिपोर्ट में हम 8वें वेतन आयोग में ग्रेड-पे 2000 (लेवल-3) वालों की अनुमानित सैलरी का ब्रेकअप प्रस्तुत कर रहे हैं, जो पूरी तरह से संभावित फिटमेंट फैक्टर, महंगाई भत्ता, HRA और TA के आधार पर तैयार किया गया है। हालांकि, यह गणना आधिकारिक नहीं है, लेकिन इससे यह स्पष्ट होता है कि यदि सरकार प्रस्तावित बदलावों को लागू करती है तो कर्मचारियों की सैलरी में कितना बढ़ोतरी हो सकती है।

 कैसे की गई सैलरी की गणना?

हमने निम्नलिखित आधारों पर सैलरी ब्रेकअप तैयार किया है: फिटमेंट फैक्टर: 1.92 (संभावित), महंगाई भत्ता (DA): 0% (8वें वेतन आयोग में DA मूल वेतन में मर्ज हो सकता है), X श्रेणी शहरों के लिए HRA: 30%, TA: बड़े शहरों के लिए हायर TPTA रेट लागू किया गया है। 

ग्रेड-पे 2000 वालों की अनुमानित सैलरी

Level-3 (Basic Pay ₹21,700) Revised Basic: ₹41,664 HRA: ₹12,499 TA: ₹3,600 Gross Salary: ₹57,763 NPS + CGHS: ₹4,416 Net Salary: ₹53,347

 सैलरी में कितनी बढ़ोतरी होगी?

वर्तमान में लेवल-3 (ग्रेड-पे 2000) वाले कर्मचारियों की कुल सैलरी लगभग ₹35,000 से ₹38,000 के बीच होती है (स्थान और भत्तों के आधार पर)। ऐसे में अगर ऊपर दी गई गणना लागू होती है तो नेट सैलरी में ₹15,000 से अधिक की बढ़ोतरी संभव है, जो कि लगभग 40-45% की बढ़ोतरी मानी जा सकती है। हालांकि, यह पूरी गणना एक अनुमान है और इसे सिर्फ जानकारी देने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। वास्तविक सैलरी 8वें वेतन आयोग की सिफारिशों और केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद ही तय होगी।

बिहार में 'इंटर' पास के लिए बंपर भर्ती, 20 तक आवेदन

पटना। बिहार के युवाओं के लिए नौकरी का शानदार अवसर सामने आया है। केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती), बिहार (Central Selection Board of Constable - CSBC) ने कांस्टेबल (ड्राइवर) के 4361 पदों पर भर्ती के लिए आधिकारिक अधिसूचना जारी की है। इच्छुक एवं योग्य अभ्यर्थी 20 अगस्त 2025 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

योग्यता एवं आवश्यकताएं

इस भर्ती प्रक्रिया के लिए अभ्यर्थियों को किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से 10+2 (इंटरमीडिएट) या समकक्ष परीक्षा उत्तीर्ण होना अनिवार्य है। इसके साथ ही उनके पास हल्के या भारी वाहन चलाने का वैध ड्राइविंग लाइसेंस होना चाहिए, जो कम से कम 17 जुलाई 2024 या उससे पहले जारी हुआ हो।

वेतनमान और आयु सीमा

चयनित अभ्यर्थियों को लेवल-3 के तहत ₹21,700 से ₹69,100 प्रति माह वेतन दिया जाएगा। आवेदकों की अधिकतम आयु सीमा 40 वर्ष निर्धारित की गई है। आयु में छूट आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को सरकारी नियमों के अनुसार मिलेगी।

चयन प्रक्रिया

अभ्यर्थियों का चयन चार चरणों के आधार पर किया जाएगा: लिखित परीक्षा (100 अंक), शारीरिक दक्षता परीक्षा (PET), ड्राइविंग कौशल परीक्षा (100 अंक), दस्तावेज़ सत्यापन और चिकित्सीय परीक्षण

आवेदन शुल्क

सामान्य, पिछड़ा वर्ग एवं आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (पुरुष) के लिए आवेदन शुल्क ₹675/-, अनुसूचित जाति/जनजाति तथा सभी वर्ग की महिला अभ्यर्थियों के लिए आवेदन शुल्क ₹180/- निर्धारित किया गया हैं।

कैसे करें आवेदन?

इच्छुक अभ्यर्थी CSBC की आधिकारिक वेबसाइट https://csbc.bihar.gov.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन की अंतिम तिथि 20 अगस्त 2025 है, इसलिए उम्मीदवारों को सलाह दी जाती है कि वे अंतिम तिथि का इंतज़ार किए बिना जल्द से जल्द आवेदन करें।

महत्वपूर्ण तिथियाँ

ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि: 20 अगस्त 2025

दुनिया पर क्यों हावी है अमेरिका? जानिए इसके पीछे के 4 बड़े कारण

न्यूज डेस्क। जब हम अमेरिका को "दुनिया का सबसे ताकतवर देश" कहते हैं, तो हमारे ज़हन में अक्सर उसकी सेना या हथियारों की ताकत सबसे पहले आती है। लेकिन अमेरिका की असली ताकत सिर्फ उसकी मिलिट्री नहीं है। वह चार बड़े स्तंभों—इनोवेशन, डॉलर, अर्थव्यवस्था, और सेना—पर खड़ा एक ऐसा तंत्र है, जो दुनिया की दिशा तय करने में बड़ी भूमिका निभाता है। 

1. इनोवेशन: तकनीक की दुनिया का बादशाह

अमेरिका ने तकनीकी नवाचार (Innovation) को हथियार बना लिया है। सिलिकॉन वैली सिर्फ एक जगह नहीं, बल्कि विचारों और टेक्नोलॉजी का वैश्विक पावरहाउस है। गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, ऐपल, मेटा और अब ओपनएआई जैसी कंपनियाँ न केवल तकनीकी उत्पाद बनाती हैं, बल्कि सूचना, डेटा और कम्युनिकेशन पर नियंत्रण रखती हैं। इसका मतलब ये है कि अमेरिका के पास सिर्फ हथियार नहीं, बल्कि लोगों के दिमाग तक पहुंचने का जरिया भी है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), मशीन लर्निंग, स्पेस टेक्नोलॉजी और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसे क्षेत्रों में अमेरिकी लीडरशिप यह सुनिश्चित करती है कि भविष्य की दुनिया की चाबी उसी के हाथ में रहे।

2. डॉलर: आर्थिक दबाव का सबसे मजबूत औज़ार

दुनिया की अर्थव्यवस्था का खून अगर डॉलर है, तो अमेरिका उसका दिल। डॉलर अंतरराष्ट्रीय व्यापार की मुख्य मुद्रा है। तेल से लेकर तकनीक तक—हर बड़ी डील डॉलर में होती है। यह अमेरिका को वो ताकत देता है जो कोई युद्ध नहीं दे सकता। जब अमेरिका किसी देश पर आर्थिक प्रतिबंध लगाता है, जैसे कि ईरान या रूस पर, तो उसका असर सिर्फ उस देश पर नहीं, पूरी वैश्विक सप्लाई चेन पर पड़ता है। अमेरिका "SWIFT" जैसे बैंकिंग सिस्टम से किसी देश को बाहर करके उसे पूरी दुनिया से आर्थिक रूप से काट सकता है। यह एक ऐसा दबाव है जिसे हथियारों से भी नहीं बनाया जा सकता।

3. अर्थव्यवस्था: सबसे बड़ा बाज़ार, सबसे ज़्यादा प्रभाव

अमेरिका की GDP दुनिया में सबसे बड़ी है। इसका मतलब है कि दुनिया भर की कंपनियाँ वहां व्यापार करना चाहती हैं। ये अमेरिका को ऐसी स्थिति में पहुंचा देता है जहां वह ग्लोबल नियमों को तय कर सकता है। उदाहरण के तौर पर, अगर अमेरिका अपने देश में ब्याज दरें बढ़ाता है, तो उसका असर भारत से लेकर ब्राज़ील तक के बाजारों पर पड़ता है। डॉलर की मांग, पूंजी का प्रवाह, निवेश और महंगाई सब कुछ अमेरिका की आर्थिक नीतियों से प्रभावित होता है।

4. मिलिट्री: शक्ति नहीं, डर है असली हथियार

अमेरिका अपनी सेना पर हर साल खरबों डॉलर खर्च करता है। उसकी मिलिट्री सिर्फ बड़ी नहीं, बल्कि दुनिया में सबसे फैली हुई है—सैकड़ों बेस, दर्जनों युद्धपोत और हजारों सैनिक दुनियाभर में तैनात हैं। यह सिर्फ युद्ध लड़ने के लिए नहीं है, बल्कि एक मनोवैज्ञानिक दबाव बनाए रखने के लिए भी है। जब किसी देश को यह लगे कि अमेरिका कभी भी दखल दे सकता है, तो वह पहले से ही अपनी नीतियों में सावधानी बरतता है। अमेरिका अकेले नहीं लड़ता—नाटो और दूसरे सहयोगियों के ज़रिए वह अपना प्रभाव और ज़्यादा मजबूत करता है। हथियार बेचना, ट्रेनिंग देना और "सुरक्षा" का वादा करना—इन सबके जरिए वह दूसरे देशों को खुद पर निर्भर बना लेता है।

केंद्रीय कर्मचारियों के लिए बड़ी सौगात, सरकार का एलान

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने एक अहम फैसला लेते हुए लाखों केंद्रीय कर्मचारियों को बड़ी राहत दी है। अब अगर कोई कर्मचारी केंद्र सरकार की सेवा में आने से पहले किसी स्वायत्त निकाय (Autonomous Body) में कार्यरत रहा है, तो उस अवधि को भी ग्रेच्युटी (Gratuity) की गणना में जोड़ा जाएगा। यह जानकारी केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने हाल ही में राज्यसभा में लिखित उत्तर के माध्यम से दी।

क्या है यह नया नियम?

पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग (DoPPW) ने वर्ष 2021 में "केंद्रीय सिविल सेवा (राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के तहत ग्रेच्युटी का भुगतान) नियम" अधिसूचित किए थे। इन नियमों के अनुसार, भले ही स्वायत्त निकायों पर ये नियम सीधे तौर पर लागू नहीं होते, लेकिन अगर कोई कर्मचारी पहले किसी स्वायत्त संस्था में काम कर चुका है और बाद में केंद्र सरकार की सेवा में आया है, तो उस व्यक्ति की पूर्व सेवा अवधि को ग्रेच्युटी के लिए मान्यता दी जा सकती है।

स्वायत्त निकाय क्या होते हैं?

स्वायत्त निकाय वे सरकारी संस्थाएं होती हैं जिन्हें कामकाज में कुछ हद तक स्वतंत्रता प्राप्त होती है। उदाहरण के तौर पर – विश्वविद्यालय, अनुसंधान संस्थान, राष्ट्रीय स्तर की अकादमियां आदि। हालांकि ये सरकार के अधीन होते हैं, लेकिन इनका प्रबंधन और संचालन स्वतंत्र रूप से किया जाता है।

ग्रेच्युटी भुगतान से जुड़ी शर्तें

मंत्री के अनुसार, स्वायत्त निकायों में सेवा देने वाले कर्मचारियों के ग्रेच्युटी भुगतान, ब्याज की गणना और सेवा अवधि की मान्यता जैसे मामलों में निर्णय स्वयं उस निकाय द्वारा बनाए गए नियमों पर निर्भर करेगा। यानी प्रत्येक स्वायत्त निकाय के ग्रेच्युटी नियम अलग-अलग हो सकते हैं।

बिहार में सभी 'जमीन मालिकों' के लिए खुशखबरी

पटना। बिहार के भूमि मालिकों और रैयतों के लिए एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है। अब उन्हें अपनी जमीन से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। पटना जिले के अकबरपुर में भूमि सुधार को लेकर आयोजित एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान अंचलाधिकारी संजय कुमार प्रसाद ने यह जानकारी दी। यह प्रशिक्षण राजस्व कर्मियों और अमीनों को दिया गया, ताकि वे आम लोगों तक पहुंचकर इस अभियान को सफल बना सकें।

16 अगस्त से शुरू होगा महाअभियान

राज्य सरकार द्वारा 16 अगस्त से 20 सितंबर तक ‘राजस्व महाअभियान’ चलाया जाएगा। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य है—जमीन से संबंधित त्रुटियों को दूर करना और दस्तावेजों को दुरुस्त करना। इसके अंतर्गत हर प्रखंड, हल्का और राजस्व गांव (मौजा) में शिविर लगाए जाएंगे, जहां आम लोग सीधे पहुंचकर अपनी समस्याएं दर्ज कर सकेंगे और उनका समाधान भी पा सकेंगे।

अब कर्मचारियों की मदद से होगा आवेदन

एक खास बात यह है कि इस बार सरकारी कर्मचारी और अमीन खुद लोगों के घर-घर जाकर संपर्क करेंगे और उन्हें आवेदन भरने में मदद करेंगे। यह पहल खास तौर पर उन लोगों के लिए फायदेमंद होगी जो दस्तावेजी प्रक्रिया से अनजान हैं या जिनके पास डिजिटल सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं।

तकनीकी संसाधनों से लैस शिविर

प्रत्येक शिविर में तकनीकी रूप से सक्षम 10 सर्वेक्षण अमीन लैपटॉप और इंटरनेट डोंगल के साथ मौजूद रहेंगे। ये अमीन लोगों से प्राप्त आवेदन की जानकारी कंप्यूटर में दर्ज करेंगे, ताकि प्रक्रिया पारदर्शी और तेज हो सके। इसके साथ ही, प्रत्येक शिविर में एक राजस्व कर्मचारी प्रभारी के रूप में नियुक्त किया जाएगा, जो सारी गतिविधियों की निगरानी करेगा और प्रतिदिन की रिपोर्ट ऑनलाइन पोर्टल पर दर्ज करेगा।

किन-किन कामों का निपटारा होगा?

इस अभियान में निम्नलिखित भूमि-संबंधी कार्यों का समाधान किया जाएगा:

दाखिल-खारिज की प्रक्रिया

खाता और खसरा में नाम की त्रुटियाँ

वंशावली के आधार पर नाम दर्ज करना

विभाजन के बाद नई जमाबंदी बनाना

पुरानी या छूटी हुई जमाबंदियों का डिजिटलीकरण

ट्रंप की धमकी, भारत पर 50% टैरिफ जारी रहेगा

न्यूज डेस्क। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ को लेकर एक कड़ा रुख अपनाया है। ट्रंप ने साफ शब्दों में कहा है कि जब तक यह विवादित टैरिफ मुद्दा हल नहीं होता, तब तक भारत के साथ कोई भी व्यापार वार्ता नहीं होगी। यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत-अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों में पहले से ही तनाव की स्थिति है, खासकर टैरिफ को लेकर।

टैरिफ का दो चरणों वाला प्रभाव

ट्रंप प्रशासन ने भारत से आयातित वस्तुओं पर 25% से बढ़ाकर 50% तक टैरिफ लगाने का फैसला किया है। इस टैरिफ को दो चरणों में लागू किया जाएगा। पहला चरण 7 अगस्त से लागू हो चुका है जिसमें 25% शुल्क बढ़ाया गया, और दूसरा चरण 27 अगस्त से प्रभावी होगा, जिसमें अतिरिक्त 25% शुल्क लगाया जाएगा। भारत सरकार ने इस फैसले को एकतरफा और अतार्किक बताया है। इसके कारण भारत के निर्यातकों की चिंता बढ़ गई है, जो अमेरिकी बाजार में अपनी पहुंच को खतरे में देख रहे हैं।

भारत की प्रतिक्रिया और कूटनीतिक वार्ता

भारत इस टैरिफ नीति को आर्थिक नज़रिए से नुकसानदायक मान रहा है और इस मुद्दे पर अमेरिकी पक्ष के साथ कूटनीतिक स्तर पर बातचीत जारी है। भारतीय उद्योग संगठन भी इस नीति के खिलाफ आवाज़ उठाने की तैयारी में हैं। भारत सरकार ने कहा है कि वे इस असंतुलन को दूर करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे, ताकि दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्ते प्रभावित न हों।

सेमीकंडक्टर चिप्स उद्योग पर मंडरा रहा खतरा

ट्रंप प्रशासन के सूत्रों के अनुसार, अब सेमीकंडक्टर चिप्स पर 100% टैरिफ लगाने की योजना भी बनाई जा रही है। यह कदम न केवल चीन या ताइवान के लिए है, बल्कि भारत जैसे उभरते सेमीकंडक्टर बाजार को भी प्रभावित करेगा। भारत सरकार ने हाल के वर्षों में चिप उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं और निवेश किए हैं। यदि इस टैरिफ को लागू किया गया तो यह भारत की टेक्नोलॉजी महत्वाकांक्षाओं को गंभीर झटका देगा और उद्योग की विकास गति धीमी कर सकता है।

अमेरिका की सफाई: रणनीतिक साझेदारी का हवाला

ट्रंप के कड़े बयान के बाद अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने इस मामले पर सफाई दी। प्रिंसिपल डिप्टी प्रवक्ता टॉमी पिगॉट ने बताया कि भारत अमेरिका का एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है। उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने व्यापार असंतुलन और भारत की रूस से तेल खरीद को लेकर अपनी चिंताएं जाहिर की हैं। इस पर दोनों देशों के बीच खुला संवाद जारी रहेगा। इस बयान को दोनों देशों के बीच रणनीतिक सहयोग बनाए रखने का प्रयास माना जा रहा है।

ब्लड कैंसर क्यों होता है? जानिए इसके 5 संकेत

हेल्थ डेस्क। ब्लड कैंसर, जिसे "रक्त कैंसर" या "ल्यूकेमिया" भी कहा जाता है, एक घातक रोग है जो रक्त बनाने वाली कोशिकाओं को प्रभावित करता है। यह कैंसर बोन मैरो (अस्थि मज्जा) में शुरू होता है, जहां हमारे शरीर की रक्त कोशिकाएं बनती हैं। जब कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं और स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने लगती हैं, तो इसे ब्लड कैंसर कहा जाता है।

ब्लड कैंसर क्यों होता है?

ब्लड कैंसर होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ अभी भी चिकित्सा विज्ञान के लिए पूरी तरह स्पष्ट नहीं हैं। लेकिन कुछ संभावित कारण इस प्रकार हैं:

1 .जेनेटिक (आनुवंशिक) कारण: यदि परिवार में किसी को पहले ब्लड कैंसर हुआ हो, तो अगली पीढ़ी में भी इसका खतरा बढ़ जाता है।

2 .रेडिएशन और केमिकल्स: उच्च स्तर की रेडिएशन (जैसे कि परमाणु विकिरण) या कुछ खतरनाक रसायनों (जैसे बेंजीन) के संपर्क में आना ब्लड कैंसर का कारण बन सकता है।

3 .वायरल संक्रमण: कुछ वायरस, जैसे कि एचटीएलवी-1 (HTLV-1), इम्यून सिस्टम को कमजोर कर ब्लड कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं।

4 .कमजोर इम्यून सिस्टम: जिन लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है, उन्हें ब्लड कैंसर होने की संभावना अधिक होती है।

5 .कुछ खास दवाएं या कीमोथेरेपी: कैंसर के इलाज में इस्तेमाल होने वाली कुछ दवाएं भी भविष्य में ब्लड कैंसर की आशंका बढ़ा सकती हैं।

ब्लड कैंसर के 5 प्रमुख संकेत

ब्लड कैंसर की शुरुआती पहचान करना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि इसके लक्षण अन्य सामान्य बीमारियों जैसे लग सकते हैं। लेकिन यदि निम्नलिखित लक्षण लगातार बने रहें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए:

1 .लगातार थकान और कमजोरी: शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी के कारण व्यक्ति को हर समय थकान महसूस होती है।

2 .बार-बार बुखार या संक्रमण: शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है, जिससे व्यक्ति जल्दी बीमार पड़ने लगता है।

3 .त्वचा पर चकत्ते या आसानी से चोट लगना: शरीर में प्लेटलेट्स की कमी से खून का थक्का नहीं बनता, जिससे त्वचा पर नीले-पीले निशान आ सकते हैं।

4 .अकारण वजन घटना: बिना किसी कोशिश के अचानक वजन कम होना एक गंभीर संकेत हो सकता है।

5 .हड्डियों और जोड़ो में दर्द: खासकर पीठ, पैरों और बाजुओं में बार-बार दर्द रहना।

ब्रह्मोस बनाम टॉमहॉक: कौन बेहतर क्रूज मिसाइल है?

नई दिल्ली। आधुनिक सैन्य रणनीति में क्रूज मिसाइलें एक केंद्रीय भूमिका निभा रही हैं। ये हथियार दुश्मन की सीमा के भीतर सटीक हमले करने की क्षमता प्रदान करते हैं, वह भी बिना पायलट या सैनिकों को जोखिम में डाले। विश्व स्तर पर दो प्रमुख क्रूज मिसाइलें हैं — भारत-रूस द्वारा विकसित ब्रह्मोस, और अमेरिका की प्रसिद्ध टॉमहॉक। दोनों की तकनीकी विशेषताएं, उपयोगिता और रणनीतिक दृष्टिकोण में स्पष्ट अंतर हैं। आइए इन दोनों मिसाइलों की गहराई से तुलना करें।

1. गति: ब्रह्मोस की तेज़ रफ्तार बनाम टॉमहॉक की चुपके चाल

ब्रह्मोस की सबसे उल्लेखनीय विशेषता इसकी सुपरसोनिक गति है। यह मिसाइल लगभग मैक 2.8 से 3.0 की गति से उड़ान भरती है, जो इसे अविश्वसनीय रूप से तेज़ बनाती है। इस गति के कारण दुश्मन की वायु रक्षा प्रणालियों को प्रतिक्रिया देने के लिए बहुत कम समय मिलता है।

इसके उलट, टॉमहॉक की गति सबसोनिक है — लगभग मैक 0.74। हालांकि यह ब्रह्मोस से काफी धीमी है, लेकिन इसकी उड़ान पथ बेहद नीची होती है, जिससे यह दुश्मन के रडार से बचने में सक्षम होती है। इसका चुपके से वार करना इसे लंबे समय तक मिशनों के लिए उपयुक्त बनाता है।

2. रेंज: कौन मारता है दूर तक?

टॉमहॉक की रेंज इसे रणनीतिक हथियार बनाती है। इसके नवीनतम संस्करण 2,400 किलोमीटर तक लक्ष्य भेद सकते हैं, जो इसे युद्ध की शुरुआती अवस्था में ही महत्वपूर्ण टारगेट्स को खत्म करने की क्षमता देता है।

ब्रह्मोस की शुरुआती रेंज 500 किलोमीटर तक सीमित थी, लेकिन भारत के MTCR में शामिल होने के बाद इसकी सीमा बढ़ाकर 800 किलोमीटर या उससे भी अधिक कर दी गई है। साथ ही, ब्रह्मोस-II जैसे हाइपरसोनिक संस्करणों पर काम चल रहा है, जो इसे और अधिक लंबी दूरी व उच्च गति प्रदान करेगा।

3. मार्गदर्शन प्रणाली: सटीकता में किसका जवाब नहीं?

टॉमहॉक अपने जटिल मार्गदर्शन तंत्र के लिए जाना जाता है। इसमें GPS, INS, TERCOM और DSMAC जैसी तकनीकों का प्रयोग होता है, जिससे यह बेहद सटीक हमले करने में सक्षम होती है — विशेष रूप से ऐसे इलाकों में जहां GPS उपलब्ध न हो।

ब्रह्मोस भी सटीकता में कम नहीं है। यह इनर्शियल नेविगेशन, उपग्रह मार्गदर्शन और एक्टिव रडार होमिंग का मिश्रण उपयोग करता है। इसके नवीनतम संस्करणों में टारगेट की पहचान और ट्रैकिंग में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, खासकर चलते-फिरते लक्ष्यों के लिए।

4. युद्ध उपयोग और विश्वसनीयता

टॉमहॉक का युद्ध क्षेत्र में परीक्षण किया जा चुका है। इसे खाड़ी युद्ध, लीबिया, सीरिया, और अफगानिस्तान में अमेरिकी सेनाओं द्वारा बार-बार उपयोग किया गया है। इसका यह व्यापक उपयोग इसे एक अनुभवी और भरोसेमंद हथियार बनाता है।

ब्रह्मोस का युद्धकालीन उपयोग हाल में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के खिलाफ हुआ हैं। यह मिसाइल भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना में सेवा में है। विशेष रूप से Su-30MKI फाइटर जेट से दागा गया वर्जन इसकी रणनीतिक पहुंच को और बढ़ाता है।

5. रणनीतिक उद्देश्य: कौन कहां चमकता है?

टॉमहॉक की रणनीति लंबी दूरी से प्रारंभिक आक्रमण की है। यह युद्ध की शुरुआत में कमांड सेंटर्स, रडार स्टेशनों, और अन्य महत्वपूर्ण ठिकानों को नष्ट करने के लिए आदर्श है।

ब्रह्मोस की रणनीति त्वरित और सटीक जवाबी कार्रवाई पर केंद्रित है। यह विशेष रूप से नौसेना अभियानों और सीमा पार लक्ष्यों के विरुद्ध उपयोगी है, जहाँ उच्च गति और त्वरित प्रतिक्रिया जरूरी होती है।

'खून' को रखें साफ, ये 3 घरेलू चीजें करेंगे कमाल!

हेल्थ डेस्क। स्वस्थ जीवन के लिए साफ और शुद्ध खून का होना अत्यंत आवश्यक है। खून हमारे शरीर की हर कोशिका तक ऑक्सीजन और पोषक तत्व पहुंचाने का काम करता है। लेकिन बदलती जीवनशैली, गलत खानपान और प्रदूषण की वजह से खून में विषैले तत्व (टॉक्सिन्स) जमा हो सकते हैं, जो कई गंभीर बीमारियों का कारण बनते हैं। ऐसे में जरूरी है कि हम समय-समय पर अपने खून की सफाई करें।

1. लहसुन (Garlic): शरीर का प्राकृतिक डिटॉक्सिफायर

लहसुन में एंटीऑक्सिडेंट और सल्फर यौगिक पाए जाते हैं, जो खून से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करते हैं। यह ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित करता है और हृदय को स्वस्थ बनाए रखता है। रोज सुबह खाली पेट 1-2 कच्ची लहसुन की कलियां पानी के साथ खाने से लाभ होता है। इसका असर कुछ ही हफ्तों में दिखाई देने लगता है।

2. चुकंदर (Beetroot): आयरन और फाइबर से भरपूर

चुकंदर खून को साफ करने के साथ ही हीमोग्लोबिन बढ़ाने में भी सहायक होता है। इसमें मौजूद बीटालेंस (betalains) नामक यौगिक लीवर और ब्लड को डिटॉक्स करने में मदद करता है। चुकंदर का रस सुबह खाली पेट या फिर दोपहर के भोजन से पहले लेना फायदेमंद होता है। सलाद के रूप में इसका नियमित सेवन भी लाभकारी है।

3. धनिया के पत्ते (Coriander Leaves): खून से टॉक्सिन्स बाहर निकालें

धनिया में डिटॉक्सिफाइंग गुण होते हैं जो शरीर से भारी धातुओं (Heavy Metals) और अन्य टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में सहायक होते हैं। यह खून को शुद्ध करके त्वचा को भी साफ और चमकदार बनाता है। धनिया की पत्तियों का रस या चटनी बनाकर नियमित रूप से सेवन करें। आप इसे सूप, सलाद या दाल में भी डाल सकते हैं।

दिल्ली-प्रयागराज के बीच चलेंगी 4 साप्ताहिक ट्रेनें

प्रयागराज/दिल्ली। रक्षाबंधन और जन्माष्टमी जैसे प्रमुख त्योहारों पर यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए रेलवे ने दिल्ली और प्रयागराज के बीच चार विशेष साप्ताहिक ट्रेनें चलाने का निर्णय लिया है। उत्तर-मध्य रेलवे प्रयागराज मंडल के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी शशिकांत त्रिपाठी ने जानकारी देते हुए बताया कि ये सभी ट्रेनें सीमित अवधि के लिए चलाई जाएंगी और इनका एक प्रमुख ठहराव कानपुर के गोविंदपुरी स्टेशन पर होगा।

त्योहारों पर अतिरिक्त भीड़ को देखते हुए फैसला

रक्षाबंधन (19 अगस्त) और जन्माष्टमी (26 अगस्त) के आसपास दिल्ली से उत्तर प्रदेश आने-जाने वाले यात्रियों की भारी भीड़ को देखते हुए रेलवे ने यह निर्णय लिया है। यह विशेष ट्रेनें 8 अगस्त से 16 अगस्त के बीच सप्ताह में एक बार दोनों दिशाओं में चलाई जाएंगी।

प्रयागराज से दिल्ली के लिए: ट्रेन संख्या 02417 और 02421

ट्रेन संख्या 02417 प्रत्येक शुक्रवार को 8 अगस्त से 15 अगस्त तक प्रयागराज से सुबह 9:35 बजे रवाना होगी। यह फतेहपुर होते हुए दोपहर 12:15 बजे गोविंदपुरी (कानपुर) पहुंचेगी, जहां पांच मिनट का ठहराव रहेगा। इसके बाद यह विभिन्न स्टेशनों पर रुकते हुए रात 8:55 बजे दिल्ली पहुंचेगी।

वहीं ट्रेन संख्या 02421 भी 9 अगस्त को प्रयागराज से इसी समय यानी सुबह 9:35 बजे रवाना होकर लगभग उसी मार्ग से होते हुए दिल्ली पहुंचेगी।

दिल्ली से प्रयागराज के लिए: ट्रेन संख्या 02418 और 02422

इन ट्रेनों की वापसी सेवा के रूप में ट्रेन संख्या 02418 प्रत्येक शनिवार को 9 अगस्त से 16 अगस्त तक दिल्ली से सुबह 9:30 बजे रवाना होगी। यह विभिन्न स्टेशनों पर रुकते हुए शाम 4:00 बजे गोविंदपुरी और फिर 4:05 बजे प्रयागराज के लिए रवाना होकर शाम 7:40 बजे प्रयागराज पहुंचेगी।

इसी प्रकार ट्रेन संख्या 02422 16 अगस्त को दिल्ली से सुबह 9:30 बजे चलेगी और वही मार्ग अपनाते हुए प्रयागराज तक पहुंचेगी। इन विशेष ट्रेनों के संचालन से दिल्ली और प्रयागराज के बीच यात्रा कर रहे हजारों यात्रियों को राहत मिलेगी।

भारत-चीन-रूस की बढ़ती नजदीकियां: अमेरिका को टेंशन

नई दिल्ली। हाल के घटनाक्रम वैश्विक कूटनीति के मंच पर एक नई दिशा का संकेत दे रहे हैं। अमेरिका की एकतरफा व्यापारिक नीतियों और दबाव की राजनीति के जवाब में भारत, चीन और रूस के रिश्तों में एक नई गरमाहट देखी जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आगामी शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन दौरा और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का भारत आगमन इसी बदलते समीकरण का हिस्सा माना जा रहा है।

अमेरिका के साथ तनाव और नए समीकरण

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर आयात शुल्क बढ़ाने और रूस से करीबी संबंधों को लेकर चेतावनियों के बाद भारत ने स्पष्ट रूप से "रणनीतिक स्वायत्तता" का रुख अपनाया है। रूस से तेल खरीद जारी रखना और पश्चिमी दबाव के बावजूद रक्षा सहयोग बनाए रखना इस बात का प्रमाण है। अमेरिका की "या तो हमारे साथ या हमारे खिलाफ" वाली नीति अब उतनी प्रभावी नहीं रह गई है, खासकर उन देशों के लिए जो वैश्विक संतुलन में अपनी स्वतंत्र भूमिका चाहते हैं।

भारत-चीन रिश्तों में बदलता स्वर

2020 के गलवान संघर्ष के बाद पहली बार प्रधानमंत्री मोदी का चीन दौरा हो रहा है, जो दोनों देशों के बीच एक नई समझ और संवाद की पहल का संकेत देता है। इससे पहले रक्षा मंत्री और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के स्तर पर भी चर्चाएं हुई हैं। हालांकि, सीमा विवाद, आर्थिक प्रतिस्पर्धा और रणनीतिक अविश्वास अब भी बरकरार हैं, लेकिन वार्ता की मेज पर वापसी एक सकारात्मक संकेत है।

रूस-भारत सहयोग: दोस्ती की मजबूती

रूस और भारत का द्विपक्षीय संबंध हमेशा रणनीतिक गहराई लिए रहा है। रक्षा, ऊर्जा और व्यापार के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच भरोसा बना हुआ है। ब्रह्मोस मिसाइल, S-400 डिफेंस सिस्टम और ऊर्जा आपूर्ति जैसे प्रोजेक्ट्स इस सहयोग की नींव को और मजबूत कर रहे हैं। राष्ट्रपति पुतिन का बार-बार भारत दौरा इस बात को रेखांकित करता है कि दोनों देशों के रिश्ते केवल व्यापार तक सीमित नहीं हैं, बल्कि उनमें रणनीतिक गहराई भी है।

RIC समूह की वापसी: बहुध्रुवीय विश्व की ओर

भारत, रूस और चीन का त्रिकोणीय RIC समूह, जो लंबे समय से निष्क्रिय पड़ा था, अब फिर से चर्चा में है। इन तीनों देशों का अमेरिका से असहजता के अनुभव ने उन्हें साथ लाने का काम किया है। जहां चीन और रूस अमेरिका के सामरिक प्रतिद्वंद्वी हैं, वहीं भारत की स्थिति थोड़ी संतुलित है। भारत ना तो पूरी तरह अमेरिका के खेमे में है और ना ही रूस-चीन की धुरी में शामिल है। उसकी रणनीति "गठबंधन में नहीं, सहयोग में विश्वास" की रही है।

संतुलन की चुनौतियाँ

भारत के लिए सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वह किस हद तक चीन और रूस के साथ घनिष्ठता बढ़ाए बिना अपने पश्चिमी साझेदारों को नाराज किए बिना चल सकता है। चीन के साथ सीमा विवाद और व्यापारिक असमानताएं अब भी भारत के लिए एक गंभीर चुनौती हैं। वहीं, रूस के साथ गहरे संबंध भारत को पश्चिमी पाबंदियों और आलोचनाओं के घेरे में ला सकते हैं।

बिहार में युवाओं के लिए खुशखबरी, इस विभाग में आई जॉब

पटना। बिहार के बेरोजगार युवाओं के लिए राहत भरी खबर सामने आई है। राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार (SHS Bihar) ने नेत्र सहायक (Ophthalmic Assistant) के 220 पदों पर भर्ती के लिए नोटिफिकेशन जारी किया है। इस भर्ती के तहत 12वीं पास और संबंधित डिप्लोमा धारक उम्मीदवार ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन प्रक्रिया 14 अगस्त 2025 से शुरू होकर 28 अगस्त 2025 तक चलेगी।

आपको बता दें की इन पदों पर आवेदन केवल ऑनलाइन मोड में स्वीकार किए जाएंगे। इच्छुक उम्मीदवार SHS Bihar की आधिकारिक वेबसाइट shs.bihar.gov.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। इसको लेकर दिशा निर्देश भी जारी कर दिया गया हैं।

12वीं पास युवाओं के लिए सुनहरा मौका

इस भर्ती प्रक्रिया में शामिल होने के लिए उम्मीदवारों का किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से 12वीं (साइंस स्ट्रीम) पास होना जरूरी है, साथ ही नेत्र सहायक (Ophthalmic Assistant) डिप्लोमा होना अनिवार्य है। यह मौका उन युवाओं के लिए खास है जो स्वास्थ्य क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं।

इतनी होगी नियुक्तियां

राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा जारी जानकारी के मुताबिक, कुल 220 पदों पर नियुक्तियां की जाएंगी। इन पदों पर नियुक्ति राज्य भर के स्वास्थ्य केंद्रों पर की जाएगी, जिससे ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में नेत्र चिकित्सा सेवाएं मजबूत होंगी।

ऐसे करें आवेदन

उम्मीदवार SHS Bihar की वेबसाइट shs.bihar.gov.in पर जाएं। "Ophthalmic Assistant Recruitment 2025" लिंक पर क्लिक करें। आवेदन फॉर्म भरें, आवश्यक दस्तावेज अपलोड करें और शुल्क का भुगतान करें। आवेदन फॉर्म सबमिट करने के बाद उसकी एक प्रिंट कॉपी अपने पास सुरक्षित रखें।

ये हैं अहम तिथियां

ऑनलाइन आवेदन शुरू होने की तिथि: 14 अगस्त 2025

ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि: 28 अगस्त 2025

यूपी में बारिश का रेड अलर्ट, इन जिलों में स्कूल बंद

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में मौसम का मिजाज एक बार फिर बिगड़ गया है। राज्य के कई जिलों में शुक्रवार को भारी बारिश की चेतावनी को देखते हुए रेड अलर्ट जारी किया गया है। मौसम विभाग ने लखनऊ, अयोध्या, बाराबंकी, लखीमपुर खीरी समेत कुल आठ जिलों में अत्यधिक वर्षा के साथ तेज हवाएं और बिजली गिरने की आशंका जताई है। इस चेतावनी के बाद प्रशासन ने एहतियातन कई कदम उठाए हैं, जिसमें स्कूल बंद करने का निर्णय सबसे महत्वपूर्ण है।

लखनऊ में स्कूलों की छुट्टी

लखनऊ के जिलाधिकारी ने आदेश जारी कर जानकारी दी कि प्री-प्राइमरी से लेकर कक्षा आठ तक के सभी विद्यालय शुक्रवार को बंद रहेंगे। यह आदेश शहर और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों के लिए प्रभावी है। हालांकि, आदेश उस समय जारी किया गया जब अधिकांश बच्चे स्कूल के लिए निकल चुके थे, जिससे कुछ अभिभावकों को असुविधा का सामना करना पड़ा। इसके अलावे वाराणसी में भी 12वीं तक के स्कूल बंद किये गए हैं।

किन कारणों से बिगड़ा मौसम

मौसम विभाग के अनुसार, प्रदेश के ऊपर से गुजर रही मानसूनी ट्रफ लाइन और उत्तर-पश्चिम दिशा से आ रहे पश्चिमी विक्षोभ ने मिलकर मौसम को असामान्य बना दिया है। खासकर लखीमपुर खीरी से लेकर अयोध्या तक फैले इलाके में बादल बहुत सघन हो चुके हैं। इन परिस्थितियों में भारी वर्षा, तूफानी हवाएं और वज्रपात की संभावना सामान्य से कई गुना बढ़ गई है।

रेड अलर्ट किन जिलों में?

मौसम विभाग ने जिन आठ जिलों में रेड अलर्ट जारी किया है, वे हैं: लखनऊ, अमेठी, अयोध्या, बाराबंकी, सीतापुर, बहराइच, गोंडा, लखीमपुर खीरी। इन क्षेत्रों में लोगों को अत्यधिक सतर्क रहने की सलाह दी गई है। प्रशासनिक स्तर पर राहत व बचाव कार्यों के लिए टीमें तैनात कर दी गई हैं।

यलो अलर्ट वाले जिले

इसके अलावा, प्रदेश के अन्य कई जिलों में यलो अलर्ट जारी किया गया है, जिनमें प्रयागराज, जौनपुर, रायबरेली, बस्ती, उन्नाव, हरदोई, बलरामपुर, शाहजहांपुर आदि शामिल हैं। यहां मध्यम से भारी बारिश के साथ बिजली गिरने और जलभराव की स्थिति बन सकती है।

बिहार में 'मैट्रिक' पास के लिए भर्ती: 3700+ पदों पर आवेदन

पटना। बिहार के युवाओं के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। बिहार कर्मचारी चयन आयोग (BSSC) ने ऑफिस अटेंडेंट के 3727 पदों पर बंपर भर्ती की घोषणा की है। इस भर्ती के लिए वे सभी उम्मीदवार आवेदन कर सकते हैं जिन्होंने न्यूनतम 10वीं कक्षा (मैट्रिक) पास की हो। यह उन युवाओं के लिए एक सुनहरा मौका है जो सरकारी नौकरी की तलाश में हैं और योग्यता के अनुसार रोजगार पाना चाहते हैं।

ऑनलाइन आवेदन की तिथि और अंतिम तारीख

इस भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया 25 अगस्त 2025 से शुरू होगी और 26 सितंबर 2025 तक चलेगी। इच्छुक अभ्यर्थी आयोग की आधिकारिक वेबसाइट bssc.bihar.gov.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। इसको लेकर निर्देश दिए गए हैं।

आवेदन शुल्क:

सामान्य / ओबीसी / अन्य राज्य के लिए आवेदन शुल्क ₹540/-, जबकि एससी / एसटी / दिव्यांग के लिए आवेदन शुल्क ₹135/-, वहीं सभी वर्ग की महिला के लिए ₹135/- निर्धारित किया गया हैं।

आयु सीमा:

इन पदों पर आवेदन करने के लिए न्यूनतम आयु: 18 वर्ष, अधिकतम आयु: 37 वर्ष, (आरक्षित वर्गों को सरकारी नियमानुसार आयु में छूट दी जाएगी)

आवेदन कैसे करें?

आयोग की आधिकारिक वेबसाइट bssc.bihar.gov.in पर जाएं। "ऑफिस अटेंडेंट भर्ती 2025" के लिंक पर क्लिक करें। रजिस्ट्रेशन कर लॉगइन करें। मांगी गई जानकारी भरें और जरूरी दस्तावेज़ अपलोड करें। आवेदन शुल्क का भुगतान कर सबमिट करें। आवेदन का प्रिंट आउट भविष्य के लिए सुरक्षित रखें

नौकरी करने का स्थान: बिहार।

यूपी के इस जिले में 12वीं तक के सभी स्कूल बंद

लखनऊ। पूर्वी उत्तर प्रदेश इन दिनों मूसलधार बारिश और बाढ़ की मार झेल रहा है। बीते पंद्रह दिनों से लगातार हो रही बारिश ने जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। इस भीषण मौसम ने जहां लोगों की दिनचर्या को प्रभावित किया है, वहीं अब प्रशासन को भी अलर्ट मोड में आना पड़ा है। इसी कड़ी में वाराणसी जिला प्रशासन ने शुक्रवार को कक्षा 12वीं तक के सभी स्कूलों को बंद रखने का आदेश जारी किया है।

डीएम का निर्णय, सभी बोर्डों के लिए लागू आदेश

वाराणसी के जिलाधिकारी ने मौसम विभाग की चेतावनी को गंभीरता से लेते हुए यह निर्णय लिया है। जिला विद्यालय निरीक्षक (DIOS) भोलेंद्र प्रताप सिंह ने इस आदेश की पुष्टि करते हुए बताया कि यह निर्देश न केवल सरकारी स्कूलों, बल्कि सीबीएसई, आईसीएसई, संस्कृत बोर्ड और मदरसा बोर्ड के सभी शिक्षण संस्थानों पर भी लागू होगा। आदेश में साफ तौर पर कहा गया है कि सभी विद्यालयों को इसका कड़ाई से अनुपालन करना होगा।

क्यों लिया गया ये फैसला?

मौसम विभाग के अनुसार, बंगाल की खाड़ी और उत्तरी ओड़िशा क्षेत्र में बने चक्रवातीय परिसंचरण के चलते मानसून की सक्रियता में तेजी आई है। इसके साथ ही उत्तर-पश्चिम भारत से आ रही पश्चिमी हवाएं और अरब सागर से आ रही नमी मिलकर एक गंभीर स्थिति पैदा कर रही हैं। इसके परिणामस्वरूप शुक्रवार को वाराणसी सहित आसपास के जिलों में भारी बारिश की संभावना जताई गई है।

बाढ़ और जलजमाव से बिगड़े हालात

बारिश के कारण नदियों का जलस्तर बढ़ गया है और कई क्षेत्रों में बाढ़ जैसे हालात बन चुके हैं। शहर के निचले इलाकों में जलजमाव की समस्या गंभीर हो गई है। इससे न केवल आवागमन बाधित हुआ है, बल्कि स्कूल जाने वाले बच्चों की सुरक्षा भी एक बड़ी चिंता बन गई है। इन्हीं कारणों से स्कूलों को एहतियातन बंद करने का निर्णय लिया गया है।

आगे का मौसम कैसा रहेगा?

मौसम विभाग की मानें तो शुक्रवार को भारी बारिश के आसार हैं, जबकि शनिवार और रविवार को कुछ राहत मिलने की संभावना है। हालांकि सोमवार से एक बार फिर मौसम बिगड़ सकता है और भारी बारिश की आशंका जताई जा रही है। इस अस्थिर मौसम को देखते हुए लोगों से सतर्क रहने और प्रशासनिक निर्देशों का पालन करने की अपील की गई है।

यूपी में 'किसानों' के लिए एक बड़ी खुशखबरी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए एक बड़ी राहत भरी खबर सामने आई है। योगी सरकार ने प्रदेश के 62 जिलों में लंबे समय से बंद पड़े 1750 असफल राजकीय नलकूपों के पुनर्निर्माण की महत्वाकांक्षी योजना को हरी झंडी दे दी है। गुरुवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में आयोजित कैबिनेट बैठक में इस योजना को मंजूरी दी गई। योजना पर अनुमानित 561.20 करोड़ रुपये की लागत आएगी, जिसे आगामी दो वर्षों — वित्तीय वर्ष 2025-26 से 2026-27 — के भीतर पूरा किया जाएगा।

1.75 लाख हेक्टेयर में फिर बहाल होगी सिंचाई क्षमता

इस परियोजना के तहत जिन नलकूपों का पुनर्निर्माण किया जाएगा, उनके माध्यम से लगभग 1.75 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा फिर से सुलभ हो सकेगी। इससे करीब 2.39 लाख कृषक परिवारों को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा। सरकार की यह पहल विशेष रूप से लघु एवं सीमांत किसानों के लिए एक बड़ी राहत मानी जा रही है।

नहर विहीन क्षेत्रों को दी गई प्राथमिकता

परियोजना के लिए उन्हीं क्षेत्रों का चयन किया गया है, जहां नहरों के माध्यम से सिंचाई की सुविधा उपलब्ध नहीं है। ऐसे इलाकों में नलकूपों की निर्भरता अधिक होती है। यह निर्णय ऐसे किसानों के लिए एक वरदान साबित होगा, जिनकी आजीविका पूरी तरह वर्षा आधारित खेती पर निर्भर है।

कैसे तय होते हैं असफल नलकूप?

वर्तमान में प्रदेश में 36,094 राजकीय नलकूप कार्यरत हैं। वहीं 1750 नलकूप ऐसे हैं जो या तो जल निकास क्षमता खो चुके हैं या तकनीकी रूप से विफल हो चुके हैं। सिंचाई विभाग की मानें तो जो नलकूप 17 वर्षों या 57,000 घंटे की निर्धारित सीमा पार कर चुके हैं और जिनसे जल निकास न्यूनतम हो गया है, उन्हें ‘असफल’ श्रेणी में रखा जाता है।

रोजगार और कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी

इस परियोजना से न सिर्फ सिंचाई व्यवस्था को मजबूती मिलेगी, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे। अनुमान है कि इससे 16.13 लाख मानव-दिवसों का रोजगार सृजन होगा। प्रति हेक्टेयर सिंचाई लागत लगभग ₹32,369 रुपये आंकी गई है।

यूपी में 'घरौनी' को लेकर सरकार का बड़ा फैसला

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने ग्रामीण आबादी को भूमि स्वामित्व से जुड़ी एक बड़ी सौगात दी है। अब प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में तैयार की जा रही ‘घरौनी’ को सरकार ने कानूनी मान्यता प्रदान कर दी है। इस कदम से न केवल ग्रामीणों को उनकी संपत्ति का प्रमाण मिलेगा, बल्कि वे अब इस दस्तावेज़ के आधार पर बैंक से ऋण ले सकेंगे और संपत्ति के नामांतरण जैसी कानूनी प्रक्रियाएं भी पूरी कर सकेंगे।

क्या है ‘घरौनी’?

‘घरौनी’ दरअसल एक ऐसा दस्तावेज़ है जो ग्रामीण आबादी क्षेत्र में किसी व्यक्ति के स्वामित्व वाली भूमि या मकान की पहचान करता है। यह डिजिटल माध्यम से तैयार किया गया नक्शा और रिकार्ड होता है जो उस भूखंड या आवासीय संपत्ति का प्रमाणिक स्वामित्व दर्शाता है।

नया विधेयक: ग्रामीण पहचान

उत्तर प्रदेश सरकार ने ‘उत्तर प्रदेश ग्रामीण आबादी अभिलेख विधेयक-2025’ के प्रारूप को कैबिनेट से मंजूरी दे दी है। अब इसे विधानमंडल में प्रस्तुत किया जाएगा। इस विधेयक के माध्यम से ‘घरौनी’ को एक वैध संपत्ति दस्तावेज़ का दर्जा दिया जाएगा। अब तक राज्य में 1 करोड़ से अधिक घरौनियां तैयार हो चुकी हैं, जिनमें से अधिकांश ग्रामीणों को वितरित भी कर दी गई हैं। यह कदम केंद्र सरकार की ‘स्वामित्व योजना’ के अंतर्गत लिया गया है, जिसमें ड्रोन तकनीक की मदद से गाँवों का सर्वेक्षण कर संपत्ति का डिजिटलीकरण किया जा रहा है।

प्रशासनिक प्रक्रिया में पारदर्शिता

नई व्यवस्था के तहत यूपी में अब से राजस्व निरीक्षक, तहसीलदार और नायब तहसीलदार को अधिकृत किया गया है कि वे घरौनी में नामांतरण अथवा संशोधन जैसे कार्यों को कर सकें, बशर्ते मामला निर्विवाद हो। इससे प्रक्रिया सरल, तेज़ और पारदर्शी होगी।

घरौनी के माध्यम से मिलेंगी ये सुविधाएं:

1 .बैंक लोन की सुविधा: ग्रामीण अब घरौनी के आधार पर बैंक से ऋण प्राप्त कर सकेंगे।

2 .नामांतरण में आसानी: उत्तराधिकार, विक्रय, वसीयत या अदालत के आदेश पर घरौनी में नाम परिवर्तन आसान हो जाएगा।

3 .दस्तावेज़ों में संशोधन: यदि घरौनी में किसी प्रकार की त्रुटि है—जैसे पता, नाम या फोन नंबर—तो उन्हें सुधारने की प्रक्रिया विधेयक के माध्यम से तय की जाएगी।

4 .पारिवारिक समझौते को मान्यता: लिखित पारिवारिक समझौते के आधार पर भी नामांतरण संभव होगा, जिससे परिवारों में विवाद की संभावनाएं कम होंगी।

यूपी वाले सावधान! आज 39 जिलों में भारी बारिश के आसार

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में मौसम ने विकराल रूप ले लिया है। शुक्रवार को प्रदेश के तराई और दक्षिणी क्षेत्रों में भारी बारिश के आसार हैं। मौसम विभाग ने राज्य के 39 जिलों में येलो अलर्ट जारी किया है। प्रयागराज, वाराणसी, चित्रकूट समेत करीब दो दर्जन जिलों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं, जबकि कई इलाकों में जलभराव से जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।

मूसलधार बारिश से जनजीवन बेहाल

तराई और पूर्वांचल के ज़िलों में बारिश का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। सड़कों पर पानी भर गया है, निचले इलाकों में घरों में पानी घुस गया है, और किसानों की खड़ी फसलें बर्बाद होने लगी हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में आवागमन बुरी तरह प्रभावित हुआ है, वहीं शहरों में ट्रैफिक जाम और जलभराव ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

24 ज़िले बाढ़ की चपेट में

प्रयागराज, वाराणसी, चित्रकूट, भदोही, और सोनभद्र जैसे जिलों में बाढ़ जैसे हालात हैं। नदी-नालों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है और कई स्थानों पर पानी आबादी वाले इलाकों तक पहुंच गया है। राहत और बचाव कार्य जारी है, लेकिन भारी बारिश के चलते रेस्क्यू टीमों को भी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

मौसम विभाग की चेतावनी

लखनऊ स्थित आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अतुल कुमार सिंह ने बताया कि बांग्लादेश और बंगाल की खाड़ी के ऊपर सक्रिय वेदर सिस्टम के कारण प्रदेश के कई हिस्सों में भारी बारिश का सिलसिला बना रहेगा। उन्होंने कहा कि शुक्रवार को प्रदेश के विंध्य, तराई और पूर्वांचल क्षेत्रों के लिए येलो अलर्ट जारी किया गया है।

39 ज़िलों में भारी बारिश के आसार

प्रयागराज, फतेहपुर, प्रतापगढ़, सोनभद्र, बांदा, चित्रकूट, कौशांबी, मिर्जापुर, चंदौली, वाराणसी, भदोही, जौनपुर, गाजीपुर, बलिया, फर्रुखाबाद, कन्नौज, कानपुर देहात, कानपुर नगर, उन्नाव, रायबरेली, सहारनपुर, अलीगढ़, मथुरा, हाथरस, कासगंज, एटा, औरैया, बिजनौर, अमरोहा, मुरादाबाद, रामपुर, संभल, बदायूं, जालौन, हमीरपुर, आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी और महोबा में आज भारी बारिश हो सकती है।

यूपी में 'गांवों' के लोगों के लिए बड़ी खुशखबरी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने गांवों के लोगों को जमीन और मकान के मालिकाना हक को लेकर बड़ी सौगात दी है। अब प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में अविवादित भूमि पर बने घरों के लिए 'घरौनी' के माध्यम से न सिर्फ मालिकाना हक मिलेगा, बल्कि ग्रामीण अपने मकानों पर बैंक से लोन भी ले सकेंगे। उत्तर प्रदेश ग्रामीण आबादी अभिलेख विधेयक-2025 को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है, जिससे गांवों की अर्थव्यवस्था में एक बड़ा बदलाव आने की उम्मीद जताई जा रही है।

मालिकाना हक की वैधता अब घरौनी से तय होगी

अब तक ग्रामीण क्षेत्रों में आबादी के भीतर स्थित मकानों या भूमि का कोई पुख्ता सरकारी दस्तावेज़ नहीं होता था। इससे ग्रामीणों को बैंक लोन, कानूनी संरक्षण या संपत्ति से जुड़े किसी भी अधिकार में मुश्किलें आती थीं। लेकिन नए कानून के तहत 'घरौनी' को वैध दस्तावेज़ का दर्जा मिलेगा, जिससे ग्रामीणों को उनकी जमीन पर पूर्ण अधिकार प्राप्त होगा।

नामांतरण व रिकॉर्ड अपडेट की प्रक्रिया होगी आसान

नई व्यवस्था के अंतर्गत यदि किसी जमीन की वरासत, बिक्री, उपहार, वसीयत, नीलामी या पारिवारिक समझौते के तहत मालिकाना हक में बदलाव होता है, तो राजस्व निरीक्षक, कानूनगो, तहसीलदार और नायब तहसीलदार को इसके अनुसार घरौनी रिकॉर्ड में बदलाव का अधिकार मिलेगा। इससे ग्रामीणों को अब छोटे-छोटे बदलावों के लिए महीनों तहसील के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।

अब बैंकों से मिलेगा लोन, बदलेगी गांव की तस्वीर

नए विधेयक के लागू होने के बाद अब ग्रामीणों को अपने घर या ज़मीन के बदले बैंकों से ऋण प्राप्त करने में आसानी होगी। इससे स्वरोजगार, शिक्षा, इलाज और मकान निर्माण जैसे कार्यों के लिए आर्थिक मदद मिल सकेगी। लंबे समय से गांवों में संपत्ति को लेकर बनी असुरक्षा की स्थिति खत्म होगी।

बिहार में 'सभी महिलाओं' के लिए बड़ी खुशखबरी

पटना। रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है, और इस खास दिन बिहार सरकार ने महिलाओं और लड़कियों के लिए एक अनोखा उपहार दिया है। इस बार 9 अगस्त को बिहार की चुनिंदा सरकारी बसों में महिलाएं और लड़कियां बिना टिकट के मुफ्त यात्रा कर सकेंगी। यह निर्णय बिहार राज्य पथ परिवहन निगम (BSRTC) ने लिया है, ताकि महिलाओं को सार्वजनिक परिवहन में सुविधा और सुरक्षा का अनुभव हो सके।

बता दें की सरकारी सिटी बसों के साथ-साथ शहरों में चलने वाली ‘पिंक बसों’ में भी यह मुफ्त यात्रा सुविधा लागू होगी। सुबह 6 बजे से लेकर रात तक महिलाएं अपनी यात्रा का आनंद बिना किसी भुगतान के ले सकेंगी। वहीं, पुरुष यात्रियों को टिकट लेना अनिवार्य होगा।

यह पहल न केवल महिलाओं के लिए आर्थिक रूप से राहत देने वाली है, बल्कि उनके लिए यात्रा को सुरक्षित और आरामदायक बनाने का भी प्रयास है। पिछले वर्षों की तरह इस बार भी सरकार ने इस पारंपरिक त्योहार को महिलाओं के लिए खास बनाने की दिशा में कदम बढ़ाया है।

राज्य सरकार का यह कदम महिला सशक्तिकरण और उनकी सुरक्षा को लेकर उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। मुफ्त यात्रा सुविधा से महिलाओं में सार्वजनिक परिवहन का उपयोग बढ़ेगा और वे आसानी से अपनी जरूरतों के मुताबिक कहीं भी पहुंच सकेंगी।

रक्षाबंधन के अवसर पर इस तरह की पहल समाज में महिला सम्मान और समानता के संदेश को मजबूत करती है। उम्मीद की जानी चाहिए कि भविष्य में भी बिहार सरकार महिलाओं के हित में इस तरह की सकारात्मक योजनाएं जारी रखेगी।

भारतीय वायुसेना को मिलेगी 100+ घातक मिसाइलें

नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना (IAF) जल्द ही अपनी मारक क्षमताओं को एक नई ऊँचाई पर ले जाने जा रही है। रक्षा मंत्रालय द्वारा हाल ही में स्वीकृत 7.64 बिलियन डॉलर के मेगा डिफेंस प्रोक्योरमेंट प्रोग्राम के तहत भारतीय वायुसेना को 110 ब्रह्मोस-ए (BrahMos-A) वायु-प्रक्षेपित सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें मिलने जा रही हैं। इस बड़ी खरीद में 87 शक्तिशाली लड़ाकू ड्रोन भी शामिल हैं, जो भारतीय सैन्य शक्ति के आधुनिकीकरण की दिशा में एक ठोस कदम है।

ब्रह्मोस-ए: हवा से मार करने वाली संहारक मिसाइल

ब्रह्मोस-ए, विश्व की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों में से एक हैं। यह मिसाइल 2.8 से 3.0 मैक (ध्वनि की गति से तीन गुना तेज) की रफ्तार से उड़ान भर सकती है और 450 किलोमीटर से अधिक की दूरी तक लक्ष्य भेद सकती है। इसके विस्तारित रेंज वर्जन से यह दूरी 800 किलोमीटर तक भी जा सकती है, जिससे यह किसी भी दुश्मन की रणनीतिक गहराई में हमला करने में सक्षम बन जाती है।

'दागो और भूल जाओ' का भरोसेमंद हथियार

ब्रह्मोस-ए की सबसे खास बात इसका "फायर एंड फॉरगेट" सिद्धांत है। एक बार लक्ष्य सेट कर दाग देने के बाद इसे किसी मानवीय हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होती — यह अपने आप ही लक्ष्य तक पहुँचकर सटीक हमला करती है। Su-30MKI जैसे भारतीय वायुसेना के अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों से लॉन्च की जाने वाली यह मिसाइल 200-300 किलोग्राम तक का उच्च-विस्फोटक वारहेड ले जाने में सक्षम है।

ऑपरेशन सिंदूर में दिखाई ताकत

हाल ही में संपन्न "ऑपरेशन सिंदूर" के दौरान ब्रह्मोस-ए ने पाकिस्तानी वायुसेना के अहम ठिकानों — रनवे और एयरबेस — को निशाना बनाकर उसकी सटीकता और विनाशक क्षमता का जोरदार प्रदर्शन किया। यह पहली बार था जब इसे एक सक्रिय सैन्य ऑपरेशन में इस्तेमाल किया गया, और इसके प्रभाव ने भारत की वायु शक्ति को एक नई परिभाषा दी।

क्यों खास है यह मिसाइल?

अदृश्य हमलावर: ब्रह्मोस-ए रडार को चकमा देने में सक्षम है। यह 15 किलोमीटर की ऊँचाई से लेकर मात्र 10 मीटर की ऊँचाई पर उड़ते हुए भी हमला कर सकती है, जिससे इसे रोकना बेहद मुश्किल हो जाता है।

बहु-भूमिकाएँ: यह मिसाइल जमीन और समुद्र दोनों लक्ष्यों पर समान रूप से असरदार है — मतलब यह एक बहुआयामी हथियार है।

सर्जिकल स्ट्राइक के लिए आदर्श: इसकी सटीकता और तेज़ी इसे सीमित समय में अधिकतम नुकसान पहुंचाने में सक्षम बनाती है।

यूपी में चतुर्थ श्रेणी कर्मियों को भी मिलेगा प्रमोशन

लखनऊ। उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) ने एक महत्वपूर्ण और सराहनीय कदम उठाते हुए अपने चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों (फोर्थ क्लास एम्प्लॉयीज) के लिये प्रोन्नति और प्रशिक्षण को लेकर एक नयी योजना का ऐलान किया है। यह कदम न सिर्फ कर्मचारियों की कार्यकुशलता को बढ़ावा देगा, बल्कि उन्हें करियर में आगे बढ़ने का भी एक स्पष्ट रास्ता देगा।

प्रोन्नति की नयी राह

अब तक चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी आमतौर पर एक ही पद पर वर्षों तक काम करते रहते थे, जिससे उनका मनोबल भी प्रभावित होता था। लेकिन अब पावर कारपोरेशन ने इन कर्मचारियों को उनकी क्षमता और कार्यकुशलता के आधार पर तृतीय श्रेणी (थर्ड क्लास) पदों पर पदोन्नति देने की योजना बनाई है। इसके तहत कर्मचारियों के लिये एक चयन प्रक्रिया और विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम तय किया जाएगा।

इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि जो कर्मचारी वास्तव में आगे बढ़ने की योग्यता रखते हैं, उन्हें उचित अवसर और मंच मिले। यह पहल ना केवल कर्मचारियों के व्यक्तिगत विकास में सहायक होगी, बल्कि संस्थान को भी अधिक अनुभवी और प्रशिक्षित मानव संसाधन उपलब्ध कराएगी।

प्रशिक्षण की भूमिका

कारपोरेशन के चेयरमैन डॉ. आशीष गोयल ने समीक्षा बैठक में यह स्पष्ट किया कि ऊर्जा विभाग उपभोक्ताओं से सीधे जुड़ा है, और इसलिए यहां कार्यरत कर्मचारियों को लगातार प्रशिक्षित किया जाना आवश्यक है। प्रशिक्षण केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि सेवा की गुणवत्ता को बढ़ाने का माध्यम माना जा रहा है। इस दिशा में विभाग की योजना है कि हर संवर्ग, चाहे वो स्थायी कर्मचारी हों या संविदा कर्मी, सभी को समय-समय पर प्रशिक्षण से जोड़ा जाए। इसके साथ ही बायोमैट्रिक उपस्थिति प्रणाली को और सख्ती से लागू कर वेतन भुगतान भी इसी के आधार पर सुनिश्चित किया जाएगा।

सुरक्षा और वेतन का भी रखा गया ध्यान

बैठक में संविदा कर्मियों के समय पर वेतन भुगतान की बात भी प्रमुखता से रखी गई। इसके अलावा मेंटेनेंस कार्य से जुड़े कर्मचारियों को सभी आवश्यक सुरक्षा उपकरण सुनिश्चित रूप से प्रदान करने का निर्देश भी दिया गया है, जिससे उनकी सुरक्षा में कोई चूक न हो।

8वें वेतन आयोग: 1.92 फिटमेंट फैक्टर के आधार पर नई सैलरी?

नई दिल्ली। सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिये अच्छी खबर है। केंद्र सरकार 8वें वेतन आयोग की तैयारी में जुट गई है, और इससे जुड़े संकेतों ने लाखों कर्मचारियों की उम्मीदें जगा दी हैं। हाल ही में राज्यसभा में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी द्वारा दिए गए लिखित उत्तर में इस बात की पुष्टि की गई कि आयोग के गठन की प्रक्रिया तेज़ की जा रही है और हितधारकों से सलाह ली जा रही है।

वेतन निर्धारण में फिटमेंट फैक्टर की भूमिका

वेतन आयोग की सिफारिशों के केंद्र में फिटमेंट फैक्टर होता है, जो मौजूदा बेसिक सैलरी को नए वेतन ढांचे में बदलने का आधार बनता है। 7वें वेतन आयोग में यह फैक्टर 2.57 रखा गया था, जिससे न्यूनतम वेतन ₹18,000 प्रति माह तय हुआ था। अब 8वें वेतन आयोग के तहत जो फिटमेंट फैक्टर प्रस्तावित है, वह 1.92 से 2.86 के बीच हो सकता है। हालांकि, कई रिपोर्टों में अनुमान लगाया जा रहा है कि यदि सरकार 1.92 को ही आधार बनाती है, तो भी कर्मचारियों को अच्छी बढ़ोतरी मिलेगी।

1.92 फिटमेंट फैक्टर पर नई सैलरी का अनुमान

यदि न्यूनतम बेसिक सैलरी को 1.92 के अनुपात से बढ़ाया जाए, तो इसका सीधा असर वेतन पर पड़ेगा। मौजूदा न्यूनतम बेसिक सैलरी: ₹18,000, 1.92 फिटमेंट फैक्टर से नई सैलरी: ₹18,000 × 1.92 = ₹34,560, यह लगभग ₹16,560 की वृद्धि को दर्शाता है, जो महंगाई और बढ़ते खर्चों के मद्देनज़र एक राहतभरी बढ़ोतरी मानी जा सकती है।

अगर 2.86 फैक्टर को अपनाया गया तो?

कई कर्मचारी संगठन और विशेषज्ञ यह उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार अधिक उदार रूख अपनाते हुए 2.86 फिटमेंट फैक्टर को मंजूरी दे सकती है। ऐसे में बढ़ोतरी और भी आकर्षक होगी: ₹18,000 × 2.86 = ₹51,480 यह बढ़ोतरी लगभग ₹33,480 प्रति माह की होगी, जोकि एक बंपर सैलरी हाइक मानी जा सकती है।

पेंशनभोगियों को भी होगा लाभ

फिटमेंट फैक्टर केवल वेतन नहीं, बल्कि पेंशन के पुनर्गणना में भी उपयोग होता है। अतः पेंशनभोगियों की मासिक पेंशन में भी इस संशोधन का सीधा लाभ मिलेगा। खासतौर से वे पेंशनधारक जिनकी पेंशन 6ठे और 7वें वेतन आयोग के आधार पर तय हुई थी, उन्हें नयी गणना के अनुसार पर्याप्त राहत मिल सकती है।

बिहार में 'स्नातक' के लिए बंपर भर्ती, 1400+ पदों पर आवेदन

पटना। बिहार के शिक्षित युवाओं के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। बिहार कर्मचारी चयन आयोग (BSSC) ने स्नातक स्तर के 1481 पदों पर बंपर बहाली की घोषणा की है। यह भर्ती असिस्टेंट ब्रांच ऑफिसर, ऑडिटर, डाटा एंट्री ऑपरेटर, प्लानिंग असिस्टेंट समेत कई पदों के लिए निकाली गई है। आयोग द्वारा जारी नोटिफिकेशन के अनुसार, ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया 18 अगस्त 2025 से शुरू होकर 19 सितंबर 2025 तक चलेगी।

कौन कर सकता है आवेदन?

इस भर्ती प्रक्रिया में स्नातक (Any Graduate), BCA, B.Com, B.Sc, और PGDCA जैसे योग्यताधारी अभ्यर्थी आवेदन कर सकते हैं। यह बहाली उन युवाओं के लिए एक सुनहरा मौका लेकर आया है जो सरकारी नौकरी की तैयारी में जुटे हैं।

पदों का विवरण एवं वेतनमान:

असिस्टेंट ब्रांच ऑफिसर: 44,900 - 1,42,400

प्लानिंग असिस्टेंट: 44,900 - 1,42,400

जूनियर स्टैटिस्टिकल असिस्टेंट: 44,900 - 1,42,400

डाटा एंट्री ऑपरेटर: 35,400 - 1,12,400

ऑडिटर: 29,200 - 92,300

को-ऑपरेटिव सोसाइटीज के ऑडिटर: 29,200 - 92,300

आयु सीमा (01 अगस्त 2025 के अनुसार):

इन पदों पर आवेदन के लिए न्यूनतम आयु: 21 वर्ष, अधिकतम आयु: 37 वर्ष, आरक्षित वर्गों को नियमानुसार आयु में छूट प्रदान की जाएगी।

आवेदन करने के लिए आवेदन शुल्क:

सामान्य / ओबीसी / अन्य राज्य के लिए आवेदन शुल्क ₹540/-, SC / ST / दिव्यांग / महिला उम्मीदवार के लिए ₹135/- निर्धारित किया गया हैं। भुगतान ऑनलाइन माध्यम से किया जा सकता है।

कैसे करें ऑनलाइन आवेदन?

इच्छुक अभ्यर्थी 18 अगस्त 2025 से BSSC की आधिकारिक वेबसाइट bssc.bihar.gov.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन करने से पूर्व उम्मीदवारों को सलाह दी जाती है कि वे आधिकारिक अधिसूचना को ध्यानपूर्वक पढ़ लें।

लुधियाना: 700+ पदों के लिए 30 तक आवेदन

लुधियाना: शिक्षण क्षेत्र में करियर बनाने की चाह रखने वाले युवाओं के लिए एक सुनहरा अवसर सामने आया है। पंजाब एजुकेशन रिक्रूटमेंट बोर्ड ने वर्ष 2025 के लिए 725 पदों पर भर्ती की घोषणा की है। ये नियुक्तियाँ प्राथमिक शिक्षक (PRT) और प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (TGT) पदों के लिए की जाएंगी।

इस भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया 28 जुलाई 2025 से शुरू होकर 30 अगस्त 2025 तक चलेगी। इच्छुक और पात्र उम्मीदवार आधिकारिक वेबसाइट ssapunjab.org पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। इसको लेकर निर्देश दिए गए हैं।

पात्रता मानदंड:

इस भर्ती प्रक्रिया में आवेदन करने के लिए अभ्यर्थियों के पास निम्न में से कोई एक योग्यता होनी चाहिए: स्नातक डिग्री (Any Graduate), बी.एड (B.Ed), डिप्लोमा, डी.एल.एड (D.El.Ed)

आवेदन शुल्क:

सामान्य / ओबीसी / ईडब्ल्यूएस श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए आवेदन शुल्क ₹2000/-, एससी / एसटी श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए ₹1000/-, भूतपूर्व सैनिकों (Ex-Servicemen) के लिए आवेदन निःशुल्क है। शुल्क का भुगतान ऑनलाइन माध्यम से किया जा सकता है।

आयु सीमा (1 जनवरी 2025 के अनुसार):

इन पदों पर आवेदन करने के लिए न्यूनतम आयु: 18 वर्ष, अधिकतम आयु: 37 वर्ष निर्धारित किया गया हैं। सरकारी नियमों के अनुसार आयु में छूट दी जाएगी।

आवेदन की प्रक्रिया:

उम्मीदवार ssapunjab.org पर जाएं। 'Recruitment 2025' सेक्शन में जाकर संबंधित पद के लिए आवेदन लिंक पर क्लिक करें। अपनी शैक्षणिक योग्यता और अन्य विवरण दर्ज करें। आवश्यक दस्तावेज़ अपलोड करें और शुल्क का भुगतान करें। फॉर्म जमा करने के बाद उसकी प्रिंट कॉपी अपने पास सुरक्षित रखें।

अगर दिखें ये 5 लक्षण, तो समझ लें किडनी में बन रही है पथरी

हेल्थ डेस्क। आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी, असंतुलित खानपान और कम पानी पीने की आदतों के कारण किडनी में पथरी (Kidney Stone) होना एक आम समस्या बन चुकी है। यह स्थिति तब होती है जब यूरिन में मौजूद मिनरल्स और साल्ट्स एक साथ जमने लगते हैं और धीरे-धीरे पत्थर का रूप ले लेते हैं। शुरुआती लक्षणों को अगर समय रहते पहचान लिया जाए, तो इलाज आसान हो सकता है।

1. पीठ या कमर के एक ओर तेज़ दर्द

किडनी में पथरी होने का सबसे आम और पहला लक्षण है पीठ के निचले हिस्से या एक तरफ तेज़ दर्द। यह दर्द अचानक शुरू होता है और बहुत असहनीय हो सकता है। कई बार यह दर्द पेट या कमर से चलकर जांघों तक भी फैलता है।

2. बार-बार पेशाब आना

पथरी मूत्र मार्ग में फंस जाए तो पेशाब करने में रुकावट आ सकती है। इसके साथ ही बार-बार पेशाब आने की इच्छा होती है, लेकिन पेशाब ठीक से नहीं हो पाता।

3. पेशाब में जलन या दर्द

अगर पेशाब करते समय जलन या चुभन महसूस हो रही है, तो यह भी किडनी स्टोन का लक्षण हो सकता है। यह संकेत पथरी के साथ-साथ संक्रमण (यूटीआई) का भी हो सकता है।

4. पेशाब का रंग बदलना

अगर पेशाब का रंग सामान्य से गहरा हो गया हो, बदबू आ रही हो, या उसमें खून की मात्रा दिखे — तो यह किडनी में पथरी का सीधा संकेत हो सकता है। पथरी मूत्र मार्ग को खुरच सकती है जिससे खून आने लगता है।

5. मतली या उल्टी महसूस होना

किडनी स्टोन के कारण जब दर्द बहुत अधिक बढ़ जाता है, तो इससे मतली और उल्टी की समस्या भी हो सकती है। यह शरीर की प्रतिक्रिया होती है जब वह असहनीय दर्द और आंतरिक सूजन को सहन नहीं कर पाता।

यूपी के सभी जिलों में किसानों के लिए बड़ा अपडेट

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। राज्य सरकार किसानों की आय बढ़ाने और खेती को आधुनिक बनाने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण योजना को लागू करने जा रही है। इस योजना के तहत प्रदेश भर के किसानों को अनुदान पर अत्याधुनिक कृषि यंत्र उपलब्ध कराए जाएंगे। इसका लाभ पाने के लिए जिलास्तर पर ई-लॉटरी की प्रक्रिया अपनाई जा रही है, जो 7 और 8 अगस्त को संपन्न होगी।

डीएम की अध्यक्षता में होगी पारदर्शी प्रक्रिया

कृषि विभाग द्वारा आयोजित इस प्रक्रिया की निगरानी संबंधित जिलों के जिलाधिकारी (डीएम) स्वयं करेंगे। लॉटरी की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए यह सुनिश्चित किया गया है कि पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन (ई-लॉटरी) के माध्यम से की जाए, ताकि किसी भी प्रकार की अनियमितता से बचा जा सके।

चयनित किसानों को एसएमएस के माध्यम से सूचना

लॉटरी में चयनित किसानों को एसएमएस के माध्यम से इसकी जानकारी दी जाएगी। इसके साथ ही उन्हें कृषि यंत्रों की खरीद के लिए जरूरी बिल अपलोड करने की अंतिम तिथि भी बताई जाएगी। साथ ही प्रतीक्षा सूची (वेटिंग लिस्ट) में आए किसानों को भी सूचित किया जाएगा, ताकि यदि कोई चयनित किसान समय पर प्रक्रिया पूरी न करे, तो उनका नंबर आ सके।

चयन न होने पर वापस मिलेगी जमानत राशि

आपको बता दें की जिन किसानों का चयन लॉटरी में नहीं हो पाता है, तो उनकी दी गई जमानत राशि अधिकतम छह महीने के भीतर वापस कर दी जाएगी। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि किसानों को कोई आर्थिक नुकसान न हो।

पोर्टल पर बुकिंग करने वाले किसान जरूर लें भाग

कृषि यंत्रों के लिए पहले से बुकिंग कर चुके किसानों को ई-लॉटरी की प्रक्रिया में अवश्य शामिल होना चाहिए। यदि वे चयनित होते हैं तो उन्हें सरकार द्वारा निर्धारित अनुदान पर यंत्र दिए जाएंगे, जिससे खेती की लागत कम होगी और उत्पादकता में वृद्धि होगी।

Astra Mark-3: भारत के इस मिसाइल से दुश्मनों का सफाया

नई दिल्ली: भारत की रक्षा तैयारियों को और मजबूती देने की दिशा में एक और बड़ी छलांग लगाते हुए, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने हवा से हवा में मार करने वाली अपनी अत्याधुनिक मिसाइल अस्त्र मार्क-3, जिसे अब 'गांडीव' नाम दिया गया है, को सफलतापूर्वक विकसित किया है। यह मिसाइल न केवल भारत की आत्मनिर्भर सैन्य ताकत का प्रतीक है, बल्कि यह तकनीकी दृष्टि से दुनिया की सबसे उन्नत BVR (Beyond Visual Range) मिसाइलों में से एक मानी जा रही है।

340 किलोमीटर की रेंज: दुश्मनों का काल

‘गांडीव’ की सबसे खास बात इसकी 340 किलोमीटर तक की लंबी मारक क्षमता है, जो इसे वर्तमान समय में विश्व की सबसे लंबी दूरी की एयर-टू-एयर मिसाइलों में शुमार करती है। यह क्षमता इसे दुश्मन के लड़ाकू विमानों को उनकी सीमा में ही नष्ट करने की ताकत देती है, जिससे भारतीय वायुसेना को रणनीतिक बढ़त मिलती है।

यह मिसाइल आत्मनिर्भर भारत की उड़ान

DRDO द्वारा विकसित यह मिसाइल पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित है। इसका निर्माण 'मेक इन इंडिया' के तहत किया गया है, जो भारत को विदेशी हथियारों पर निर्भरता से मुक्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

तकनीकी विशेषताएं: आधुनिक युद्ध की तैयारी

1 .दोहरे ईंधन वाला रैमजेट इंजन: यह इंजन मिसाइल को अधिक दूरी और ऊंचाई से लॉन्च करने की क्षमता देता है। यह मिसाइल समुद्र तल से लेकर 20 किलोमीटर की ऊंचाई तक से प्रक्षेपित की जा सकती है।

2 .2.0 से 3.6 मैक की गति: ‘गांडीव’ ध्वनि की गति से तीन गुना तेज़ उड़ान भरती है, जिससे यह अपने लक्ष्य को तेजी से नष्ट कर सकती है।

3 .एयर-टू-एयर कॉम्बैट: इसे विशेष रूप से लड़ाकू विमानों के बीच होने वाले BVR डॉगफाइट के लिए तैयार किया गया है।

वायुसेना में तैनाती से बढ़ेगी मारक क्षमता

‘गांडीव’ को निकट भविष्य में भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों जैसे Su-30MKI, Tejas Mk1A और राफेल में तैनात किया जाएगा। इससे भारत को न केवल हवाई युद्ध में बढ़त मिलेगी, बल्कि यह शत्रु देशों के विमानों को उनके आकाश में ही निशाना बना सकेगा।

रणनीतिक बढ़त और सुरक्षा की गारंटी

‘गांडीव’ सिर्फ एक मिसाइल नहीं, बल्कि यह भारत की बढ़ती सामरिक ताकत, तकनीकी श्रेष्ठता और आत्मनिर्भरता की जीती-जागती मिसाल है। यह मिसाइल न केवल युद्ध के दौरान बल्कि शांति के समय में भी एक बड़ा मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने का काम करेगी।

खजूर सेहतमंद, पर कितने खाएं रोज? जानें सही मात्रा

हेल्थ डेस्क। खजूर एक ऐसा सुपरफूड है जो पोषण से भरपूर होता है। इसमें फाइबर, आयरन, कैल्शियम, पोटैशियम, और एंटीऑक्सिडेंट्स जैसे आवश्यक तत्व पाए जाते हैं। यही वजह है कि खजूर को ऊर्जा का बेहतरीन स्रोत माना जाता है। खासकर सर्दियों में खजूर का सेवन शरीर को गर्म रखने और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है। लेकिन सवाल यह है कि खजूर जितना फायदेमंद है, क्या उसे रोजाना किसी भी मात्रा में खाया जा सकता है? या इसकी भी एक सीमित मात्रा होनी चाहिए?

रोज कितने खजूर खाने चाहिए?

पोषण विशेषज्ञों के अनुसार, एक स्वस्थ व्यक्ति को रोजाना 2 से 4 खजूर खाने चाहिए। यह मात्रा उम्र, शरीर की जरूरतों और स्वास्थ्य स्थितियों पर निर्भर करती है। उदाहरण के तौर पर: व्यायाम करने वाले या मेहनतकश लोगों को दिन में 4–6 खजूर तक की अनुमति दी जा सकती है, क्योंकि उन्हें ज्यादा ऊर्जा की जरूरत होती है। जबकि, वजन कम करने वालों को खजूर की मात्रा 1–2 तक सीमित रखनी चाहिए, ताकि अतिरिक्त कैलोरी से बचा जा सके।

कब और कैसे खाएं खजूर?

खजूर सुबह खाली पेट खाने से शरीर को तुरंत ऊर्जा मिलती है और मेटाबोलिज़्म तेज होता है। कुछ लोग इसे दूध के साथ लेना पसंद करते हैं, जिससे इसकी पौष्टिकता और बढ़ जाती है। खजूर को नाश्ते में, मिड-मील स्नैक के तौर पर या फिर वर्कआउट के बाद लिया जा सकता है। रात को सोने से ठीक पहले खजूर खाने से बचना चाहिए, खासकर अगर आपको गैस या एसिडिटी की समस्या है।

खजूर के फायदे

1 .एनर्जी बूस्टर: खजूर प्राकृतिक शक्कर से भरपूर होता है, जो तुरंत ऊर्जा देता है।

2 .पाचन में सहायक: इसमें मौजूद फाइबर कब्ज की समस्या को दूर करता है।

3 .हड्डियों के लिए फायदेमंद: इसमें कैल्शियम और फॉस्फोरस होता है, जो हड्डियों को मजबूत करता है।

4 .रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है: खजूर में एंटीऑक्सिडेंट्स और विटामिन्स होते हैं जो इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं।

GSSSB भर्ती 2025: 260+ पदों के लिए आवेदन

अहमदाबाद। गुजरात अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (GSSSB) ने वर्ष 2025 के लिए नेत्र सहायक (Ophthalmic Assistant) के कुल 261 पदों पर भर्ती हेतु अधिसूचना जारी की है। इस भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया 11 अगस्त 2025 से शुरू होगी और 25 अगस्त 2025 तक चलेगी। इच्छुक और पात्र अभ्यर्थी GSSSB की आधिकारिक वेबसाइट gsssb.gujarat.gov.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं।

शैक्षिक योग्यता:

इस भर्ती के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवारों के पास निम्न में से कोई एक योग्यता होना अनिवार्य है: ऑप्थैल्मिक असिस्टेंट में डिप्लोमा, बैचलर ऑफ ऑप्टोमेट्री (B.Optom)

आयु सीमा:

इन पदों पर आवेदन करने के लिए न्यूनतम आयु: 18 वर्ष, अधिकतम आयु: 35 वर्ष निर्धारित किया गया हैं। सरकारी नियमों के अनुसार आरक्षित वर्गों को आयु में छूट दी जाएगी।

वेतनमान:

चयनित उम्मीदवारों को प्रारंभिक वेतन ₹40,800/- प्रति माह मिलेगा।

आवेदन प्रक्रिया:

GSSSB की आधिकारिक वेबसाइट gsssb.gujarat.gov.in पर जाएं। भर्ती अनुभाग में जाकर "Ophthalmic Assistant Recruitment 2025" लिंक पर क्लिक करें। आवश्यक विवरण भरें और दस्तावेज़ अपलोड करें। आवेदन शुल्क (यदि लागू हो) का भुगतान करें। आवेदन पत्र सबमिट कर उसकी एक प्रति डाउनलोड कर सुरक्षित रखें।

महत्वपूर्ण तिथियाँ:

ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि: 25 अगस्त 2025

बिहार में सरकारी कर्मियों को मिलेगी खुशखबरी

पटना। बिहार में कार्यरत लाखों सरकारी कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए यह साल त्योहारों से पहले एक बड़ी राहत लेकर आ सकता है। जनवरी 2025 से लागू दो प्रतिशत महंगाई भत्ता (DA) वृद्धि के बाद अब जुलाई से इसमें तीन प्रतिशत और बढ़ोतरी की संभावना जताई जा रही है। यदि ऐसा होता है, तो वर्तमान में मिल रहा 55% डीए बढ़कर 58% हो जाएगा।

क्यों मिल रहा है केंद्र के बराबर महंगाई भत्ता?

बिहार सरकार अपने कर्मचारियों को केंद्र सरकार के सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुरूप वेतन देती है। इसी वजह से राज्य के कर्मियों को भी वही महंगाई भत्ता मिलता है जो केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों को देती है। केंद्र सरकार साल में दो बार — जनवरी और जुलाई — में डीए में संशोधन करती है, और बिहार सरकार उसी दर को कुछ समय बाद लागू करती है।

डीए वृद्धि की वजह क्या है?

महंगाई भत्ता और महंगाई राहत (Dearness Relief - DR) की गणना अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI-IW) पर आधारित होती है, जो औद्योगिक श्रमिकों के लिए तय किया जाता है। जून 2025 के आंकड़ों के अनुसार इस सूचकांक में 1.0 अंक की बढ़त हुई है, जिससे अनुमान लगाया जा रहा है कि डीए में तीन प्रतिशत की बढ़ोतरी तय है।

कब होगी घोषणा?

मीडिया के मुताबिक, केंद्र सरकार द्वारा महंगाई भत्ते की घोषणा सितंबर या अक्टूबर 2025 में की जा सकती है, और वह जुलाई से प्रभावी मानी जाएगी। उसके कुछ ही दिनों बाद बिहार सरकार भी अपने कर्मचारियों के लिए यही दर लागू करेगी। यह फैसला संभवतः दशहरा और दीपावली के आसपास घोषित किया जाएगा, जिससे त्योहारों से पहले कर्मचारियों को अतिरिक्त राहत और उत्साह दोनों मिलेगा।

यूपी में इन स्कूलों पर होगी कार्रवाई, आदेश जारी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में शिक्षा विभाग ने एक बार फिर बिना मान्यता के संचालित हो रहे स्कूलों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। निदेशालय ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि ऐसे सभी विद्यालयों की सूची तैयार कर 15 अगस्त तक रिपोर्ट अनिवार्य रूप से भेजी जाए। यदि इस आदेश की अवहेलना की गई या किसी जिले में ऐसे स्कूल संचालन करते पाए गए, तो वहां के बीएसए (जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी) और बीईओ (खंड शिक्षा अधिकारी) को व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी माना जाएगा।

यह कदम दिखाता है कि राज्य सरकार अब शिक्षा की गुणवत्ता और संस्थागत जवाबदेही को लेकर सतर्क है। वर्षों से यह देखने में आता रहा है कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बिना किसी वैधानिक मान्यता के निजी स्कूल धड़ल्ले से चल रहे हैं। इन स्कूलों में न तो योग्य शिक्षक होते हैं, न ही आवश्यक आधारभूत सुविधाएं। फिर भी माता-पिता मजबूरी में वहां अपने बच्चों को पढ़ाते हैं, क्योंकि सरकारी स्कूलों में कभी शिक्षकों की कमी तो कभी बुनियादी सुविधाओं की अनुपलब्धता रहती है।

शिक्षा विभाग का यह मानना बिल्कुल सही है कि बिना मान्यता के स्कूलों में बच्चों की शिक्षा और भविष्य दोनों ही खतरे में होते हैं। ये संस्थान शिक्षा को व्यापार बना देते हैं, जहां गुणवत्ता से ज्यादा कमाई पर ध्यान होता है। बच्चों को न तो सही मार्गदर्शन मिलता है और न ही वे राष्ट्रीय शिक्षा मानकों के अनुरूप शिक्षा प्राप्त कर पाते हैं।

हालांकि, चिंता का विषय यह है कि पहले भी इस प्रकार के आदेश जारी किए गए थे, जैसे 1 जुलाई को भेजे गए निर्देश, जिसमें 15 जुलाई तक रिपोर्ट मांगी गई थी। इसके बावजूद प्रदेश के अधिकांश जिलों ने समय पर रिपोर्ट नहीं भेजी। यह विभागीय उदासीनता और प्रणालीगत लापरवाही को उजागर करता है। अब जब दोबारा अंतिम चेतावनी दी गई है, तो देखना होगा कि यह आदेश कागजों से बाहर आकर वास्तविकता में कितना असर डालता है।

IOCL भर्ती 2025: 470+ पदों पर करें आवेदन

नई दिल्ली। इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOCL) ने 2025 के लिए अप्रेंटिस पदों पर बड़ी भर्ती का ऐलान किया है। IOCL की मार्केटिंग डिवीजन, साउदर्न रीजन में कुल 475 पदों पर अप्रेंटिस नियुक्त किए जाएंगे। इच्छुक और योग्य उम्मीदवार 8 अगस्त 2025 से 5 सितंबर 2025 तक IOCL की आधिकारिक वेबसाइट www.iocl.com के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

विभिन्न पदों का विवरण:

ट्रेड अप्रेंटिस – 80 पद

टेक्नीशियन अप्रेंटिस – 95 पद

ग्रेजुएट अप्रेंटिस – 300 पद

यह भर्ती आईटीआई, डिप्लोमा और ग्रेजुएट योग्यता रखने वाले युवाओं के लिए एक बेहतरीन मौका है, जिससे उन्हें देश की प्रतिष्ठित सार्वजनिक उपक्रम कंपनी में प्रशिक्षण का अनुभव मिलेगा।

आयु सीमा (31 अगस्त 2025 तक):

इन पदों पर आवेदन करने के लिए न्यूनतम आयु – 18 वर्ष, अधिकतम आयु – 24 वर्ष निर्धारित किया गया हैं। आरक्षित वर्गों को केंद्र सरकार के नियमों के अनुसार आयु में छूट दी जाएगी।

पात्रता:

ट्रेड अप्रेंटिस पद के लिए उम्मीदवार के पास संबंधित ट्रेड में ITI सर्टिफिकेट होना चाहिए। टेक्नीशियन अप्रेंटिस पद के लिए संबंधित विषय में डिप्लोमा अनिवार्य है। ग्रेजुएट अप्रेंटिस के लिए किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक डिग्री आवश्यक है।

आवेदन प्रक्रिया:

उम्मीदवार www.iocl.com पर जाकर ऑनलाइन आवेदन फॉर्म भर सकते हैं। आवेदन करते समय आवश्यक दस्तावेजों को स्कैन कर अपलोड करना अनिवार्य होगा।

हर उम्र के व्यक्ति को कराने चाहिए ये 7 हेल्थ टेस्ट!

हेल्थ डेस्क। आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में लोग अकसर अपनी सेहत को नजरअंदाज कर देते हैं। हम तब तक डॉक्टर के पास नहीं जाते जब तक कोई बड़ी तकलीफ़ न हो जाए। लेकिन यह आदत हमारी सेहत के लिए गंभीर खतरा बन सकती है। विशेषज्ञों की मानें तो कुछ मेडिकल टेस्ट ऐसे हैं, जो हर उम्र के व्यक्ति को नियमित रूप से कराने चाहिए, ताकि बीमारियों की शुरुआती पहचान हो सके और समय पर इलाज शुरू किया जा सके।

1. ब्लड प्रेशर (Blood Pressure) जांच

उम्र बढ़ने के साथ-साथ हाई ब्लड प्रेशर की समस्या आम होती जा रही है। यह एक 'साइलेंट किलर' है, जो बिना लक्षणों के दिल, किडनी और आंखों को नुकसान पहुंचा सकता है। समय-समय पर ब्लड प्रेशर की जांच कराना बेहद जरूरी है।

2. ब्लड शुगर टेस्ट (Fasting/PP Glucose Test)

डायबिटीज़ एक तेजी से फैलती बीमारी बन चुकी है। इसका समय रहते पता चलना जरूरी है। यदि परिवार में किसी को डायबिटीज़ है, तो यह टेस्ट और भी जरूरी हो जाता है।

3. लिपिड प्रोफाइल टेस्ट (Cholesterol Test)

यह टेस्ट शरीर में कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर को मापता है। बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल हृदय रोगों की प्रमुख वजह है। नियमित जांच से हृदय रोगों से बचाव संभव है।

4. CBC (Complete Blood Count)

इस बेसिक ब्लड टेस्ट से शरीर में खून की मात्रा, इंफेक्शन, एनीमिया आदि की जानकारी मिलती है। यह संपूर्ण स्वास्थ्य की शुरुआती जांच के लिए जरूरी है।

5. लीवर और किडनी फंक्शन टेस्ट (LFT/KFT)

आजकल बदलती लाइफस्टाइल और गलत खानपान के चलते लीवर और किडनी की बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। इन दोनों अंगों की कार्यप्रणाली जांचना बेहद जरूरी है।

6. विटामिन D और B12 की जांच

शरीर की इम्यूनिटी और एनर्जी के लिए विटामिन D और B12 का स्तर संतुलित होना चाहिए। इसकी कमी से थकान, कमजोरी, हड्डियों में दर्द और मानसिक थकावट जैसे लक्षण हो सकते हैं।

7. थायरॉइड प्रोफाइल (TSH, T3, T4)

थायरॉइड हार्मोन असंतुलन से वजन बढ़ना, बाल झड़ना, डिप्रेशन और महिलाओं में मासिक धर्म की अनियमितता जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसकी जांच बहुत जरूरी है, खासकर महिलाओं के लिए।