ब्रह्मोस की सफलता और अगली पीढ़ी की उम्मीदें
ब्रहमोस मिसाइल ने पहले ही युद्ध के कई मैदानों में अपनी ताकत का परिचय दिया है।अब इसी मिसाइल के एडवांस संस्करण ब्रह्मोस-NG की चर्चा चल रही है, जो अपने हल्के वजन और बेहतर तकनीक के कारण सुरक्षा क्षेत्र में नया मुकाम स्थापित करेगा।
ब्रह्मोस एयरोस्पेस के पूर्व सीईओ का बयान
ब्रह्मोस एयरोस्पेस के पूर्व सीईओ सुधीर मिश्रा ने स्पष्ट किया है कि भारतीय सेना इस नई मिसाइल को लेकर बेहद उत्साहित है। ब्रह्मोस-NG सिर्फ जमीनी तैनाती के लिए नहीं, बल्कि हवाई और समुद्री प्लेटफॉर्म पर भी तैनात की जा सकेगी। भारतीय वायुसेना इसे सुखोई Su-30MKI, मिग-29, मिराज 2000, तेजस और राफेल जैसे विमान पर तैनात करने की योजना बना रही है, जिससे इसकी मारक क्षमता और व्यापक हो जाएगी।
हल्के वजन से दुगनी-तिगुनी मारक क्षमता
ब्रहमोस-NG की सबसे बड़ी खासियत इसका हल्का वजन है। वर्तमान ब्रह्मोस मिसाइल के ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लॉन्चर (TEL) में तीन मिसाइलें ले जाई जाती हैं, जबकि ब्रह्मोस-NG के कारण एक TEL पर छह से नौ मिसाइलें तैनात की जा सकेंगी। इसका मतलब है कि सेना की प्रति लॉन्चर मारक क्षमता दोगुनी या तिगुनी हो जाएगी, जो युद्ध क्षेत्र में भारी लाभकारी साबित होगी।
ब्रह्मोस-NG के तकनीकी फीचर्स
रेंज: लगभग 290 किलोमीटर, जो पुराने ब्रह्मोस मॉडल के समान है।
स्पीड: करीब 930 मीटर प्रति सेकंड (मैक 2.8), जो इसे बेहद तेज है।
वजन: हल्का, जिससे उसकी तैनाती और संचालन अधिक कुशल होगा।
मारक क्षमता: इस मिसाइल के वजन कम होने के बावजूद शक्ति में वृद्धि।