रुपया गिरा, डॉलर हुआ महंगा: पहली बार 90 के पार

नई दिल्ली। भारतीय रुपया बुधवार को इतिहास में पहली बार अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 90 के स्तर के ऊपर चला गया। शुरुआती कारोबार में रुपये में भारी कमजोरी देखने को मिली और यह 90.14 प्रति डॉलर तक गिर गया। मंगलवार को भी रुपया 89.95 के स्तर तक फिसला था, जिससे संकेत मिल गया था कि दबाव लगातार बढ़ रहा है।

रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय रुपये की इस गिरावट के पीछे कई घरेलू और बाहरी कारण जिम्मेदार हैं। लेकिन मुख्य रूप से विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली, डॉलर की वैश्विक मजबूती तथा कंपनियों और आयातकों की ओर से डॉलर की बढ़ती मांग। 

रुपये की कमजोरी क्यों बढ़ी?

1. विदेशी निवेशकों की निकासी

पिछले कुछ हफ्तों से विदेशी संस्थागत निवेशक भारतीय बाजारों से पूंजी निकाल रहे हैं। इससे डॉलर की मांग बढ़ी है और रुपये पर दबाव लगातार गहराता गया है।

2. डॉलर की अंतर्राष्ट्रीय मजबूती

वैश्विक स्तर पर डॉलर मजबूत हो रहा है, जिसके चलते अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं की मुद्राएं भी दबाव में हैं। डॉलर इंडेक्स में उतार–चढ़ाव के बावजूद रुपये में बेहतर प्रदर्शन नहीं दिखा।

3. भारत–अमेरिका ट्रेड वार्ता में ठहराव

दोनों देशों के बीच व्यापारिक समझौते को लेकर बातचीत लंबे समय से आगे नहीं बढ़ पा रही। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि इससे अनिश्चितता बढ़ी है, जिसका असर मुद्रा बाज़ार पर भी दिख रहा है।

4. आयात बिल में बढ़ोतरी की आशंका

कंपनियों और आयातकों को विदेशों से भुगतान के लिए बड़ी मात्रा में डॉलर की आवश्यकता होती है। बढ़ी हुई मांग सीधे–सीधे रुपये पर दबाव डालती है और यह गिरावट तेज हो जाती है।

आज के कारोबार में क्या हुआ?

बुधवार को रुपया पिछले सत्र के 89.87 के मुकाबले 89.97 पर खुला, लेकिन बहुत जल्द यह 90.14 तक फिसल गया। यह पहली बार है जब भारतीय मुद्रा ने 90 का स्तर पार किया है। बाजार में यह चिंता बढ़ रही है कि यह गिरावट अस्थायी है या आने वाले दिनों में स्थिति और बिगड़ सकती है।

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