वर्तमान व्यवस्था और नई पहल की आवश्यकता
फिलहाल प्रदेश के 38 जिलों में ऐसे केंद्र कार्यरत हैं, लेकिन कई स्थानों पर संसाधनों की कमी या अन्य प्रशासनिक बाधाओं के कारण सेवाएं बाधित होती रही हैं। इन कमियों को दूर करते हुए सरकार अब एक एकीकृत और आधुनिक ढांचा तैयार कर रही है, ताकि किसी भी दिव्यांगजन को आवश्यक सेवाओं के लिए भटकना न पड़े।
नई सुविधाओं से क्या बदलेगा?
नए डीडीआरसी केंद्रों में दिव्यांगजनों के लिए एक ही छत के नीचे कई जरूरी सेवाओं का प्रावधान होगा, जिनमें शामिल हैं। सर्वे और पहचान प्रक्रिया, विशेष शिविरों का आयोजन, सहायक उपकरण और कृत्रिम अंग उपलब्ध कराना, कृत्रिम अंगों का फिटमेंट, विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम, फिजियोथेरेपी एवं स्पीच थेरेपी जैसी नैदानिक सेवाएं। इससे न केवल राहत मिलेगी बल्कि दिव्यांगजनों के पुनर्वास की प्रक्रिया अधिक तेज और प्रभावी हो जाएगी।
दस्तावेज भी आसानी से बन सकेंगे
अक्सर दिव्यांगजन UDID कार्ड और दिव्यांग प्रमाणपत्र जैसी जरूरी पहचान सेवाओं के लिए कई दफ्तरों के चक्कर काटते हैं। नए केंद्र इन दस्तावेजों के निर्गमन की प्रक्रिया को सहज बनाएंगे, जिससे समय और श्रम दोनों की बचत होगी।
सरकार की मंशा और संभावित प्रभाव
सरकार का स्पष्ट मानना है कि इस कदम से दिव्यांगजनों को योजनाओं के लाभ समय पर सुविधाजनक ढंग से और बिना अतिरिक्त परेशानी के मिल सकेंगे। नए केंद्रों के शुरू होने से न केवल सेवा-प्रदर्शन में पारदर्शिता और तेजी आएगी, बल्कि दिव्यांगजनों के सामाजिक व आर्थिक पुनर्वास की दिशा भी और मजबूत होगी।

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