रक्षा विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों का मानना है कि यह हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक भारत के लिए 21वीं सदी का 'ब्रह्मास्त्र' साबित हो सकती है – एक ऐसा हथियार जो न केवल परमाणु संतुलन में अहम भूमिका निभाएगा, बल्कि भारत की सामरिक क्षमताओं को वैश्विक स्तर पर एक नई ऊंचाई देगा।
क्या है LRAShM?
LRAShM एक लॉन्ग-रेंज हाइपरसोनिक मिसाइल है, जिसे भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने विकसित किया है। यह मिसाइल अत्यधिक गति, सटीकता और मारक क्षमता के लिए जानी जाती है। इसके हाइपरसोनिक गति से न केवल दुश्मन की रडार प्रणाली को चकमा दिया जा सकता है, बल्कि इसका इंटरसेप्ट करना भी लगभग असंभव है।
DRDO के अनुसार, यह मिसाइल किसी भी लक्ष्य को कई हजार किलोमीटर की दूरी से कुछ ही मिनटों में ध्वस्त करने में सक्षम है। इसकी उड़ान भरने की रफ्तार इतनी तेज है कि यह पारंपरिक रक्षा प्रणाली को अप्रासंगिक बना देती है।
भारत की रणनीतिक बढ़त
इस परीक्षण के साथ ही भारत हाइपरसोनिक हथियारों की दौड़ में अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों की सूची में शामिल हो गया है। यह तकनीक सिर्फ एक रक्षा उपकरण नहीं, बल्कि भारत की बढ़ती वैज्ञानिक, तकनीकी और रणनीतिक शक्ति का प्रमाण है। यह मिसाइल भविष्य के युद्धों की दिशा और दशा तय करने वाली टेक्नोलॉजी में से एक मानी जा रही है।
क्यों है यह मिसाइल खास?
गति: 11,113 किमी/घंटा (मैक 9 के करीब)
रेंज: कई हजार किलोमीटर
ट्रैक करना लगभग नामुमकिन
दुश्मन की वायु रक्षा प्रणाली को मात देने में सक्षम
कम समय में सटीक निशाना।
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