भारत के AMCA मार्क-1 और मार्क-2: क्या है अंतर?

नई दिल्ली — भारत के स्वदेशी फाइटर जेट प्रोग्राम एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) ने रफ्तार पकड़ ली है। यह प्रोजेक्ट दो चरणों में विकसित किया जा रहा है: AMCA मार्क-1 और AMCA मार्क-2। दोनों वेरिएंट भारतीय वायुसेना की क्षमताओं को भविष्य की लड़ाइयों के लिए तैयार करने की दिशा में एक अहम कदम हैं। लेकिन दोनों के बीच क्या अंतर है? आइए जानते हैं।

AMCA मार्क-1: 5वीं पीढ़ी का स्टील्थ जेट

AMCA का पहला वेरिएंट, मार्क-1, पूरी तरह से 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान के रूप में तैयार किया जा रहा है। इसमें स्टील्थ तकनीक, इंटरनल वेपन्स बे, और एडवांस्ड सेंसर जैसे फीचर्स होंगे, जो इसे दुश्मन की नज़रों से छिपाकर गहरे हमले करने में सक्षम बनाएंगे।

इसमें अमेरिका का GE-F414 इंजन लगाया जाएगा, जो 98 किलो न्यूटन का थ्रस्ट देता है। इसका पहला प्रोटोटाइप 2028 तक तैयार होने की संभावना है। यह वर्जन भारतीय वायुसेना के लिए एक बड़ी तकनीकी छलांग साबित होगा।

AMCA मार्क-2: भविष्य की लड़ाई का चेहरा

दूसरी ओर, AMCA मार्क-2 को और अधिक उन्नत रूप में विकसित किया जा रहा है। इसमें 110 किलो न्यूटन थ्रस्ट वाला नया इंजन लगाया जाएगा, जो भारत और विदेशी कंपनियों—जैसे GE, Safran या Rolls-Royce—के सहयोग से विकसित किया जाएगा।

यह वर्जन न सिर्फ 5वीं पीढ़ी की क्षमताएं रखेगा, बल्कि इसमें 6वीं पीढ़ी की शुरुआती तकनीकें भी शामिल होंगी। इनमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), डायरेक्टेड एनर्जी वेपन्स, और बेहतर सेंसर फ्यूजन शामिल हैं, जो इसे और ज्यादा घातक और स्मार्ट बनाएंगे।

क्या होगा फर्क मैदान में?

मार्क-1 जल्दी सेवा में आएगा और मौजूदा टेक्नोलॉजी का परिष्कृत रूप होगा। जबकि मार्क-2, थोड़ा देर से आएगा, लेकिन यह भारत को तकनीकी आत्मनिर्भरता और वैश्विक स्तर पर लड़ाकू विमानों की अगली पीढ़ी में प्रवेश दिलाएगा। AMCA का निर्माण भारत की रणनीतिक स्वायत्तता की दिशा में बड़ा कदम है, जो ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ को मजबूती देगा।

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