एक मिसाइल, कई निशाने! MIRV तकनीक में केवल 6 देश सफल

नई दिल्ली: दुनिया की रणनीतिक सैन्य शक्ति का संतुलन अब महज मिसाइल की मारक क्षमता पर नहीं, बल्कि उसकी "स्मार्टनेस" पर भी निर्भर करता है। इस दौड़ में सबसे घातक और तकनीकी रूप से जटिल प्रणाली है — MIRV (Multiple Independently targetable Reentry Vehicle) तकनीक। यह तकनीक एक ही बैलिस्टिक मिसाइल से कई परमाणु हथियारों को अलग-अलग लक्ष्यों पर सटीकता से दागने की क्षमता प्रदान करती है।

MIRV तकनीक क्या है?

MIRV एक ऐसी अत्याधुनिक तकनीक है जिसमें एक बैलिस्टिक मिसाइल के भीतर कई रीएंट्री व्हीकल (warheads) लगाए जाते हैं। ये वॉरहेड्स मिसाइल के वायुमंडल में प्रवेश करने के बाद स्वतंत्र रूप से अलग-अलग दिशाओं में जाकर अलग-अलग लक्ष्यों को निशाना बना सकते हैं।

उदाहरण के तौर पर, यदि किसी एक MIRV से लैस मिसाइल में 4-10 वॉरहेड्स लगे हों, तो वह एक ही लॉन्च में 4 से 10 अलग-अलग शहरों या ठिकानों पर हमला कर सकती है — और वह भी हजारों किलोमीटर दूर तक। जिससे ये मिसाइल ज्यादा खतरनाक हो जाता हैं।

कौन-कौन हैं MIRV क्लब में?

1 .अमेरिका: सबसे पहले MIRV तकनीक का विकास करने वाला देश हैं। इसकी Minuteman III मिसाइलें MIRV-capable हैं।

2 .रूस: अपनी RS-28 Sarmat मिसाइलों में 10 से अधिक वॉरहेड्स ले जाने की क्षमता रखता हैं। इसकी रेंज 18000 किमी हैं।

3 .चीन: बता दें की DF-41 जैसी आधुनिक ICBM मिसाइलें MIRV तकनीक से लैस। इसकी रेंज भी 15000 किमी तक बताई जाती हैं।

4 .फ्रांस: अपनी M51 SLBM प्रणाली में MIRV तकनीक का इस्तेमाल करता है।

5 .ब्रिटेन: Trident II मिसाइलों के माध्यम से MIRV क्षमताएं रखता है।

6 .भारत: भारत की अग्नि-5 भी MIRV-capable मिसाइल हैं।

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