यूपी में मजदूरों के लिए न्यूनतम मजदूरी तय, जानिए

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे लाखों मजदूरों के हित में ऐतिहासिक कदम उठाया है। श्रम एवं सेवायोजन विभाग ने राज्य के सात प्रमुख असंगठित सेक्टरों के लिए न्यूनतम मजदूरी तय कर दी है। इस फैसले से होटल, रेस्तरां, बीड़ी, कालीन, कांच व चूड़ी, इंजीनियरिंग, चीनी और आसवनी उद्योग में कार्यरत 20 लाख से अधिक श्रमिकों को सीधे तौर पर फायदा होगा।

किस सेक्टर में कितनी मजदूरी?

श्रम विभाग द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार:

आसवनी (डिस्टलरी) उद्योग के श्रमिकों को अब न्यूनतम ₹20,000 प्रति माह मजदूरी मिलेगी।

चीनी उद्योग में काम करने वाले मजदूरों के लिए न्यूनतम मजदूरी ₹24,000 प्रति माह निर्धारित की गई है।

बीड़ी, कालीन और कांच उद्योग के श्रमिकों की मजदूरी ₹8,000 से ₹10,000 प्रति माह के बीच तय की गई है।

होटल और रेस्तरां सेक्टर में काम करने वाले मजदूरों के लिए ₹11,000 से ₹22,000 प्रति माह की न्यूनतम मजदूरी तय की गई है।

मजदूरों के जीवन में आएगा बदलाव

सरकार का मानना है कि इस निर्णय से न केवल मजदूरों की आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा, बल्कि उनके जीवन स्तर में भी सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेगा। श्रमिकों को नियमित और मानकीकृत मजदूरी मिलने से वे बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवनशैली के संसाधनों तक पहुंच बना सकेंगे।

पहचान और पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू

श्रम विभाग अन्य सरकारी विभागों और श्रमिक संगठनों की मदद से इन असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की पहचान और पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू करेगा। इससे सुनिश्चित किया जाएगा कि हर पात्र श्रमिक को उसका हक मिल सके। इस नीति का सबसे अधिक लाभ उन श्रमिकों को होगा जो अब तक न्यूनतम मजदूरी से भी कम वेतन पर काम कर रहे थे, खासकर होटल और रेस्तरां जैसे क्षेत्रों में।

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