ब्रह्मोस के नए अवतार: सुपरसोनिक से हाइपरसोनिक

नई दिल्ली। भारत की सबसे घातक मिसाइल में गिना जाने वाला ब्रह्मोस अब और भी खतरनाक रूप लेने जा रहा है। भारत और रूस की संयुक्त परियोजना से बनी इस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को अब हाइपरसोनिक हथियार में तब्दील किया जा रहा है, जिससे यह सिर्फ पाकिस्तान के शहरों लाहौर, इस्लामाबाद या रावलपिंडी तक ही सीमित नहीं रहेगी, बल्कि अब चीन के भीतर सैकड़ों किलोमीटर तक स्थित सैन्य ठिकानों को भी सटीकता से निशाना बना सकेगी।

ब्रह्मोस में किए जा रहे 5 बड़े बदलाव:

1. रेंज में ज़बरदस्त इजाफा

अब तक ब्रह्मोस की अधिकतम रेंज 290–400 किमी थी, जिसे अब बढ़ाकर 800 किमी तक किया जा रहा है। इससे यह मिसाइल दुश्मन के गहरे इलाकों तक पहुंच बनाने में सक्षम होगी।

2. सुपरसोनिक से हाइपरसोनिक में अपग्रेड

ब्रह्मोस अब माक-3 (ध्वनि से तीन गुना तेज) से माक-5 (ध्वनि से पांच गुना तेज) तक की गति हासिल कर सकता है। यानी अब यह मिसाइल हाइपरसोनिक श्रेणी में आ जाएगी, जिससे दुश्मन को प्रतिक्रिया का मौका ही नहीं मिलेगा।

3. हल्का लेकिन घातक

नई ब्रह्मोस का वजन घटाकर 1000 किलोग्राम से भी कम किया जा रहा है। इससे इसे अब केवल सुखोई-30MKI ही नहीं, बल्कि राफेल और तेजस जैसे हल्के फाइटर जेट्स से भी लॉन्च किया जा सकेगा।

4. हर प्लेटफॉर्म से लॉन्च की क्षमता

ब्रह्मोस पहले ही चार प्लेटफॉर्म्स – जमीन, समुद्र, वायु और पनडुब्बी – से लॉन्च की जा सकती है। नए वर्जन को और अधिक प्लेटफॉर्म-फ्रेंडली बनाया जा रहा है, जिससे इसकी तैनाती में तेजी लाई जा सके।

5. मल्टी टारगेट अटैक क्षमता

रिपोर्ट्स के मुताबिक, नए ब्रह्मोस संस्करण में एक साथ कई लक्ष्यों को भेदने की तकनीक विकसित की जा रही है, जिससे दुश्मन के राडार और कम्युनिकेशन सिस्टम को एक ही झटके में तबाह किया जा सके।

चीन और पाकिस्तान के लिए बड़ी चिंता

ब्रह्मोस के इस अपग्रेड से पाकिस्तान और चीन दोनों की चिंता बढ़ना तय है। चीन की रणनीतिक गहराई में मौजूद ठिकानों को यदि भारत हवा से या पनडुब्बी से भी निशाना बना सके, तो उसका पूरा सैन्य संतुलन खतरे में आ सकता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि ब्रह्मोस का यह नया रूप ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ जैसे अभियानों को और अधिक धारदार बना देगा।

0 comments:

Post a Comment