यूपी में इंजीनियरों पर बड़ी कार्रवाई: प्रमोशन पर भी रोक!

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने प्रशासनिक जवाबदेही का सख्त संदेश देते हुए आवास विकास परिषद के नौ इंजीनियरों पर कड़ी कार्रवाई की है। किसानों की समस्याओं की अनदेखी, धरना स्थल पर अनुपस्थिति और समय रहते संवाद न करने के चलते इन इंजीनियरों को विशेष प्रतिकूल प्रविष्टि दी गई है। अब इन्हें सेवा अवधि के दौरान पदोन्नति भी नहीं मिलेगी।

क्या है मामला?

23 अक्तूबर 2024 को राजधानी लखनऊ की अवध विहार योजना से जुड़े किसान अपनी समस्याओं को लेकर धरना-प्रदर्शन कर रहे थे। किसानों का आरोप था कि उन्हें समय से मुआवजा नहीं मिला, भूमि अधिग्रहण के बाद भी सुविधाओं का अभाव बना हुआ है, और विभाग उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रहा।

इस बीच, आवास विकास परिषद का कोई भी जिम्मेदार इंजीनियर या अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। किसान जब अपनी शिकायत लेकर सीएम आवास की ओर कूच करने लगे, तब भी विभागीय इंजीनियरों की ओर से कोई पहल नहीं की गई। इससे हालात तनावपूर्ण हो गए और प्रशासन को असहज स्थिति का सामना करना पड़ा।

कौन-कौन आए कार्रवाई की जद में?

घटना की गंभीरता को देखते हुए आवास आयुक्त डॉ. बलकार सिंह ने जांच के आदेश दिए। जोनल आवास आयुक्त हिमांशु गुप्ता द्वारा की गई जांच में यह पाया गया कि इंजीनियरों ने अपने कर्तव्यों का पालन नहीं किया और किसानों की समस्याओं के समाधान की दिशा में कोई ठोस प्रयास नहीं किया।

जांच रिपोर्ट के आधार पर नौ अभियंताओं को विशेष प्रतिकूल प्रविष्टि दी गई है, जो सरकारी सेवा में एक प्रकार की सजा मानी जाती है। इससे उनकी आगामी पदोन्नति की सभी संभावनाएं समाप्त हो गई हैं। इनमें शामिल अधिकारी हैं: अधिशासी अभियंता शशांक पाण्डेय, सहायक अभियंता प्रमोद कुमार, शुभम सिंह, राकेश कुमार, अवर अभियंता कुंदन कुमार, मनुदेव, आनंद भवन सिंह, पवन कुमार, विमल कुमार।

विभाग में हड़कंप, सख्ती का संदेश

इस कार्रवाई के बाद आवास विकास विभाग में हड़कंप मच गया है। माना जा रहा है कि यह कदम न केवल भविष्य में लापरवाह कर्मचारियों के लिए चेतावनी है, बल्कि सरकार की जनहित के प्रति संवेदनशीलता और प्रशासनिक अनुशासन के प्रति प्रतिबद्धता भी दर्शाता है।

विशेष प्रतिकूल प्रविष्टि क्या है?

सरकारी सेवाओं में विशेष प्रतिकूल प्रविष्टि (Special Adverse Entry) एक कठोर अनुशासनात्मक दंड है। यह न केवल तत्काल प्रभाव से पदोन्नति की संभावनाओं को खत्म करता है, बल्कि कर्मचारी के पूरे सेवाकाल में उसकी कार्यप्रणाली पर एक स्थायी प्रश्नचिह्न लगा देता है।

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