रॉकेट इंजन: भारत की सबसे बड़ी तकनीकी ताकत
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने बीते कुछ दशकों में रॉकेट प्रौद्योगिकी में जो उपलब्धियां हासिल की हैं, वे विश्व स्तर पर सराहनीय रही हैं। PSLV, GSLV और अब LVM-3 जैसे लॉन्च व्हीकल, भारत को उन गिने-चुने देशों में शामिल करते हैं जो भारी उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजने की क्षमता रखते हैं।
ISRO द्वारा विकसित ‘विकास इंजन’, ‘क्रायोजेनिक इंजन CE-20’ और अब विकासाधीन ‘सेमी-क्रायोजेनिक इंजन SCE-200’ यह दर्शाते हैं कि भारत, रॉकेट इंजनों के डिज़ाइन, निर्माण और संचालन में आत्मनिर्भर हो चुका है। PSLV के माध्यम से भारत ने एक ही मिशन में 104 उपग्रह प्रक्षेपित कर विश्व रिकॉर्ड भी बनाया है। GSLV Mk III के ज़रिए अब भारत गगनयान जैसे मानव मिशनों के लिए तैयार हो रहा है।
जेट इंजन: अब भी विदेशी तकनीक पर निर्भरता
इसके उलट, लड़ाकू विमानों और सैन्य विमानन के लिए भारत अब भी विदेशी जेट इंजनों पर निर्भर है। तेजस फाइटर जेट जैसे स्वदेशी विमान भी अमेरिकी मूल के GE-404 इंजन पर उड़ान भरते हैं। स्वदेशी ‘कावेरी इंजन’ प्रोजेक्ट, जिसे 1980 के दशक में शुरू किया गया था, अब तक अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर सका है।
रॉकेट इंजन टेक्नोलॉजी में भारत क्यों बना ताकतवर?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने बीते दशकों में PSLV, GSLV और LVM3 जैसे रॉकेट विकसित किए हैं जो न केवल स्वदेशी हैं, बल्कि विश्वसनीयता और सफलता के मामले में NASA और SpaceX जैसी एजेंसियों को टक्कर देते हैं। जब पूरी दुनिया ने भारत को रॉकेट इंजन देने से मना किया तो भारत के वैज्ञानिकों ने कड़ी मेहनत से स्वदेसी रॉकेट इंजन तैयार कर लिया, जिसे अब दुनिया के सबसे बेहतर इंजन माना जाता हैं।
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