क्या है खास इस क्षेत्र में?
सोनभद्र प्राकृतिक संसाधनों के लिहाज से हमेशा ही समृद्ध रहा है। यह इलाका 180 करोड़ वर्ष पुरानी स्लेटी चट्टानों और 160 करोड़ वर्ष पुराने जीवाश्मों के लिए पहले से ही प्रसिद्ध है। अब अगर यहां यूरेनियम की उपस्थिति की आधिकारिक पुष्टि होती है, तो यह जिला न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि पूरे देश के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में एक नया अध्याय जोड़ेगा।
पांच साल से जारी है खोज
परमाणु ऊर्जा विभाग की टीम पिछले पांच वर्षों से लगातार कुदरी की पहाड़ियों में खोज और सर्वेक्षण में जुटी हुई है। यहां कैंप स्थापित कर वैज्ञानिकों की एक टीम ने ड्रिलिंग, सैंपलिंग और रेडियोएक्टिविटी परीक्षण के आधार पर यह संकेत दिया है कि पहाड़ी के गर्भ में यूरेनियम छिपा है।
चोपन ब्लॉक में भी मिले थे संकेत
यही नहीं, जीएसआई (Geological Survey of India) लखनऊ की एक टीम ने भी करीब तीन साल पहले चोपन ब्लॉक के हर्रा की पहाड़ियों में यूरेनियम के अंश मिलने की बात कही थी। हालांकि वहां की खोज अभी प्राथमिक स्तर पर है।
ललितपुर के बाद सोनभद्र की बारी?
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश का ललितपुर जिला पहले ही यूरेनियम उत्पादक क्षेत्र के तौर पर चर्चित है। यदि सोनभद्र में यूरेनियम का भंडार पर्याप्त मात्रा में मिला, तो यह जिला भी देश के परमाणु ऊर्जा विकास में अहम भूमिका निभा सकता है।
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