नागास्त्र-1: भारत का पहला स्वदेशी आत्मघाती ड्रोन

नई दिल्ली। भारत की रक्षा क्षमताओं में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाते हुए, देश ने अपना पहला स्वदेशी आत्मघाती ड्रोन – नागास्त्र-1 – सफलतापूर्वक विकसित कर लिया है। यह अत्याधुनिक ‘लूजर म्यूनिशन’ सिस्टम भारत की सैन्य ताकत को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में सहायक होगा। नागपुर स्थित सोलर इंडस्ट्रीज ने भारतीय सेना को पहला स्वदेशी रूप से विकसित आत्मघाती ड्रोन ‘नागस्त्र-1’ (Nagastra-1) की 120 इकाइयों का पहला बैच प्रदान भी कर दिया हैं।

क्या है नागास्त्र-1?

नागास्त्र-1 एक लूजर म्यूनिशन (Loitering Munition) या आत्मघाती ड्रोन है, जो लक्ष्य के ऊपर मंडराता है और सही समय पर उस पर हमला करता है। यह सिस्टम एक बार लक्ष्य पर हमला करने के बाद स्वयं को नष्ट कर देता है। नागास्त्र-1 को विशेष रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों में दुश्मन के बंकरों, रडार सिस्टम, कम्युनिकेशन सेंटर या सैन्य वाहनों को नष्ट करने के लिए तैयार किया गया है।

प्रमुख विशेषताएं

मारक क्षमता: नागास्त्र-1 की रेंज लगभग 15 किलोमीटर है और यह एक बार में 60 मिनट तक हवा में मंडरा सकता है।

सटीकता: इसमें इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल और इन्फ्रारेड कैमरा सिस्टम लगे हैं, जिससे यह दिन और रात दोनों समय लक्ष्य को पहचानकर हमला कर सकता है।

मूक हमला: इसका इंजन बेहद कम शोर करता है, जिससे यह दुश्मन की नजर में आए बिना हमला करने में सक्षम है।

सामरिक लचीलापन: इसे सिपाही अपने कंधे पर या जीप से भी लॉन्च कर सकते हैं, जिससे यह युद्ध के मैदान में कहीं भी उपयोग में लाया जा सकता है।

भारत के रक्षा दृष्टिकोण में बदलाव

नागास्त्र-1 के विकास से यह स्पष्ट है कि भारत अब आधुनिक युद्ध प्रणालियों में भी आत्मनिर्भर बनने की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ रहा है। अब तक इस प्रकार के आत्मघाती ड्रोन को आयात किया जाता था, जिससे न केवल आर्थिक बोझ बढ़ता था, बल्कि तकनीकी निर्भरता भी बनी रहती थी। नागास्त्र-1 ने इस स्थिति को बदलने की दिशा में पहला ठोस कदम रखा है।

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