भगवास्त्र: भारत की नई एंटी-ड्रोन रक्षा प्रणाली

नई दिल्ली। भारत ने हाल ही में अपनी अत्याधुनिक माइक्रो मिसाइल प्रणाली "भगवास्त्र" का सफल परीक्षण किया है, जिसे विशेष रूप से झुंड में आने वाले दुश्मन ड्रोन से निपटने के लिए विकसित किया गया है। यह प्रणाली भारत की निजी रक्षा कंपनी इकोनॉमिक एक्सप्लोसिव्स लिमिटेड (EEL) द्वारा निर्मित की गई है और इसे देश के लिए एक महत्वपूर्ण सामरिक उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है।

क्या है "भगवास्त्र"?

भगवास्त्र एक माइक्रो मिसाइल आधारित एंटी-ड्रोन सिस्टम है, जिसे भारत के बदलते रक्षा परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए विकसित किया गया है। इसका उद्देश्य दुश्मन के उन ड्रोन को निष्क्रिय करना है जो झुंड में हमला करते हैं — जिसे "स्वार्म अटैक" कहा जाता है। पारंपरिक रक्षा प्रणालियाँ इस तरह के हमलों के विरुद्ध अक्सर अप्रभावी होती हैं, लेकिन भगवास्त्र इस चुनौती से निपटने में सक्षम है।

नाम में छिपा है गौरव

इस प्रणाली का नाम "भगवास्त्र" भारतीय पौराणिक परंपरा से लिया गया है। इसे कभी-कभी "भार्गवास्त्र" भी कहा जाता है, जो कि भगवान परशुराम के दिव्य अस्त्र का नाम था। इस नाम से जुड़ाव भारतीय सांस्कृतिक विरासत को तकनीकी नवाचार से जोड़ता है, जिससे देशवासियों में गर्व की भावना जागृत होती है।

तकनीकी विशेषताएँ

1 .माइक्रो मिसाइल सिस्टम: छोटे आकार की, उच्च गतिशीलता वाली मिसाइलें जो एक साथ कई लक्ष्यों को निशाना बना सकती हैं।

2 .किफायती विकल्प: विदेशी प्रणालियों की तुलना में कम लागत में विकसित, जिससे बड़े पैमाने पर तैनाती संभव हो पाती है।

3 .झुंड के खिलाफ प्रभावी: एक साथ कई ड्रोन को ट्रैक कर उन्हें निष्क्रिय करने में सक्षम है।

4 .तेजी से प्रतिक्रिया: तेज गति से लॉन्च और लक्ष्य साधने की क्षमता, जो अचानक हमलों के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करती है।

क्यों है यह जरूरी?

हाल के वर्षों में ड्रोन तकनीक का सैन्य उपयोग बहुत तेजी से बढ़ा है। पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी देशों द्वारा ड्रोन के माध्यम से खुफिया जानकारी इकट्ठा करने, हथियार गिराने और आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने की घटनाएं सामने आई हैं। ऐसे में एक घरेलू और किफायती एंटी-ड्रोन प्रणाली की आवश्यकता अत्यंत महत्वपूर्ण हो गई थी। भगवास्त्र इस आवश्यकता को पूरी करता है।

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