ब्लड ग्रुप का मेल और शादी: एक भ्रम या वैज्ञानिक चिंता?
आमतौर पर ब्लड ग्रुप (A, B, AB, O) की चर्चा खून चढ़ाने या ऑर्गन डोनेशन के समय होती है। लेकिन अब कुछ लोग शादी से पहले भी यह देखने लगे हैं कि वर-वधू का ब्लड ग्रुप क्या है। यह जानना जरूरी है कि केवल ब्लड ग्रुप से यह तय नहीं होता कि शादी से कोई जैविक नुकसान होगा या नहीं। लेकिन कुछ खास परिस्थितियों में यह ज़रूर मायने रख सकता है — खासकर जब बात प्रेगनेंसी की आती है।
Rh फैक्टर और गर्भावस्था में खतरा
ब्लड ग्रुप का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है Rh फैक्टर — जो Rh पॉजिटिव (+) या Rh नेगेटिव (-) हो सकता है। अगर महिला Rh- है और पुरुष Rh+, तो प्रेगनेंसी में कुछ समस्याएं हो सकती हैं। इस स्थिति में मां के शरीर में भ्रूण के खून को "विदेशी" मानकर एंटीबॉडीज़ बनने लगती हैं, जिससे अगली प्रेगनेंसी में गर्भपात या नवजात की सेहत पर असर हो सकता है।
यह समस्या तब और बढ़ जाती है जब पहली बार में सावधानी नहीं बरती जाए। हालांकि, आज के मेडिकल साइंस में इसका इलाज संभव है — जैसे कि Rh-इम्युनोग्लोबुलिन इंजेक्शन, जिससे यह खतरा काफी हद तक टाला जा सकता है।
जेनेटिक बीमारियों से जुड़ा भ्रम
कई लोग यह भी मानते हैं कि एक ही ब्लड ग्रुप वाले जोड़ों में जेनेटिक बीमारियों का खतरा ज्यादा होता है, लेकिन मेडिकल साइंस इसे पूरी तरह से सत्य नहीं मानती। असल खतरा तब होता है जब शादी रक्त संबंधियों (जैसे चचेरे, ममेरे भाई-बहन) के बीच हो, जिसे consanguineous marriage कहते हैं। इसमें अनुवांशिक रोगों (जैसे थैलेसीमिया, हेमोफिलिया) का जोखिम बढ़ जाता है — लेकिन इसका ब्लड ग्रुप से कोई सीधा लेना-देना नहीं है।
सेम ब्लड ग्रुप शादी: क्या फायदे हैं?
ब्लड ग्रुप का मेल ब्लड डोनेशन और ट्रांसफ्यूजन की स्थिति में फायदेमंद हो सकता है। दोनों पार्टनर Rh+ हों तो प्रेगनेंसी में कोई खास मेडिकल चिंता नहीं होती। सेम ब्लड ग्रुप में शादी कोई समस्या नहीं है, जब तक कि Rh फैक्टर और अन्य मेडिकल मामलों की सही जानकारी और इलाज मौजूद हो। यदि आप शादी के बाद बच्चे की योजना बना रहे हैं, तो शुरुआती मेडिकल जांच आपको और आपके परिवार को सुरक्षित रख सकती है।
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