1984 से 2011 तक की कहानी
इन कर्मचारियों की नियुक्ति 1984 से 1989 के बीच मस्टर रोल और वर्क चार्ज श्रेणी में हुई थी। इसके बाद 1991 से 2011 के बीच इन्हें विनियमित किया गया। विनियमन के बावजूद, अगस्त 2020 में जारी आदेशों ने उनके कई सेवा लाभ छीन लिए थे, जिससे कर्मचारियों में गहरा असंतोष फैल गया था।
दायर की गई थी अपील
जल निगम के इन कर्मचारियों ने सिंगल बेंच के आदेश को चुनौती देते हुए डबल बेंच में विशेष अपील दायर की थी। सिंगल बेंच ने सिर्फ रिटायर हो चुके कर्मचारियों को पेंशन और सेवा लाभ देने का आदेश दिया था, जबकि जो कर्मचारी अब भी सेवा में हैं, उन्हें इससे वंचित रखा गया था।
मिलेगा सबको बराबरी का हक
डबल बेंच ने इस अपील को गंभीरता से लेते हुए स्पष्ट किया कि सेवा लाभ और पेंशन जैसे अधिकार सभी कर्मचारियों के लिए समान रूप से लागू होने चाहिए। अदालत ने कहा कि सभी 1742 कर्मचारियों को पेंशन और अन्य सेवा लाभ मिलेंगे, जैसे कि वे पहले से ही रिटायर हो चुके हों। इसके अलावा, पहले से दिए गए लाभों की किसी प्रकार की वसूली नहीं की जाएगी।
कर्मचारियों में खुशी की लहर
डबल बेंच के इस फैसले से कर्मचारियों में खुशी की लहर दौड़ गई है। वर्षों से अपने अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ रहे इन कर्मचारियों को अब न्याय मिला है। कर्मचारियों का कहना है कि यह फैसला उनके आर्थिक और सामाजिक भविष्य को सुरक्षित करेगा और वर्षों की मेहनत को मान्यता देगा।
क्यों अहम है यह फैसला?
यह फैसला सिर्फ जल निगम के कर्मचारियों के लिए ही नहीं, बल्कि देश भर में अस्थायी रूप से नियुक्त कर्मचारियों के लिए भी एक मिसाल बन सकता है। यह दिखाता है कि न्यायपालिका सेवा संबंधी अधिकारों को लेकर कितनी संवेदनशील है और सभी कर्मचारियों को समान अधिकार दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है।
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