पंचायतीराज विभाग और ग्राम्य विकास विभाग ने इसको लेकर संयुक्त स्तर पर कवायद शुरू कर दी है। सभी जिलाधिकारियों और जिला पंचायतराज अधिकारियों से 5 जून तक रिपोर्ट मांगी गई है, ताकि पुनर्गठन की प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया जा सके।
क्या है बदलाव की वजह?
पंचायतीराज विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, एक ग्राम पंचायत में कम से कम 1,000 लोगों की आबादी होना अनिवार्य है। प्रदेश में ऐसी कई ग्राम पंचायतें हैं, जिनकी आबादी 3,000 से 5,000 के बीच है, और इनमें गांवों की संख्या भी ज़्यादा है। ऐसे बड़े पंचायत क्षेत्रों को विभाजित कर नई ग्राम पंचायतें बनाई जाएंगी, ताकि स्थानीय प्रशासन ज्यादा प्रभावी और विकास कार्य ज़मीनी स्तर पर तेज़ी से हो सकें।
पुनर्गठन की जरूरत
2021 के पंचायत चुनाव में 58,189 ग्राम पंचायतें और 826 विकासखंड थे। लेकिन इसके बाद नगरीय निकाय चुनावों में 107 नई नगर पंचायतों के गठन के चलते 494 ग्राम पंचायतों को शहरी सीमा में शामिल कर लिया गया। परिणामस्वरूप, अब राज्य में ग्राम पंचायतों की संख्या घटकर 57,695 रह गई है। पुनर्गठन के बाद अब यह संख्या 58,195 तक पहुंच सकती है।
75 नए ब्लॉक: विकास को मिलेगी नई दिशा
वहीं, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने 2022 में ही राज्य में 75 नए ब्लॉक बनाए जाने की घोषणा की थी। उनका कहना है कि कुछ ब्लॉक इतने बड़े हैं कि जनता से जुड़े कामों और योजनाओं के क्रियान्वयन में समस्याएं आती हैं। ग्राम्य विकास विभाग ने जिलों से रिपोर्ट मंगाई है और जैसे ही अनुमोदन की प्रक्रिया पूरी होगी, 826 ब्लॉक की संख्या बढ़कर 901 तक पहुंच जाएगी। इसका सीधा लाभ ये होगा कि 75 नए नेताओं को ब्लॉक प्रमुख बनने का अवसर मिलेगा और ग्रामीण विकास को नई रफ्तार मिलेगी।
सरकारी आदेश के बाद प्रशासनिक तैयारियां शुरू
सरकार ने सभी जिलों को निर्देश दिया है कि नई ग्राम पंचायतों और ब्लॉकों के गठन के लिए प्रस्ताव और सर्वे रिपोर्ट तैयार कर 5 जून तक भेजी जाए। पंचायतों का यह पुनर्गठन 2026 के पंचायत चुनाव से पहले पूरा कर लिया जाएगा, ताकि चुनाव के दौरान नई इकाइयों में भी प्रतिनिधि चुने जा सकें।
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