हाइपरसोनिक मिसाइल की रेस में ये 4 देश: भारत भी शामिल

नई दिल्ली, मई 2025 — आधुनिक युद्ध तकनीक की होड़ में अब हाइपरसोनिक मिसाइल सिस्टम एक नया मोर्चा बन चुका है। अमेरिका, रूस और चीन जैसे रक्षा महाशक्तियों की इस हाई-स्पीड हथियार रेस में अब भारत ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी है। हाल के परीक्षणों और रक्षा अनुसंधान में हुई प्रगति ने भारत को इस एलीट क्लब का हिस्सा बना दिया है।

क्या होती है हाइपरसोनिक मिसाइल?

हाइपरसोनिक मिसाइल वे मिसाइलें होती हैं जो ध्वनि की गति (मैक 5) से पांच गुना या उससे अधिक की रफ्तार से उड़ान भरती हैं। यानी ये मिसाइलें मैक 5 या उससे अधिक की स्पीड से लक्ष्य भेदने में सक्षम होती हैं। इतनी गति के कारण इन्हें ट्रैक करना और इंटरसेप्ट करना बेहद मुश्किल होता है, जिससे ये रणनीतिक दृष्टिकोण से बेहद अहम मानी जाती हैं।

भारत की उपलब्धि

भारत ने डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) के तहत हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर व्हीकल (HSTDV) के सफल परीक्षण के साथ इस तकनीक में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। यह परीक्षण भविष्य में हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल विकसित करने की दिशा में एक मजबूत कदम माना जा रहा है। भारत ने हाल ही में एक हाइपरसोनिक मिसाइल का भी टेस्ट किया हैं।

कौन-कौन हैं इस रेस में?

1 .अमेरिका: हाइपरसोनिक मिसाइल प्रोग्राम पर अरबों डॉलर खर्च कर रहा है। अमेरिकी सेना DARPA और अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर कई प्रोटोटाइप विकसित कर चुकी है।

2 .रूस: सबसे पहले 2019 में ‘Avangard’ नाम की हाइपरसोनिक मिसाइल को तैनात किया। इसके अलावा ‘Zircon’ मिसाइल को भी कई बार सफलतापूर्वक टेस्ट किया जा चुका है।

3 .चीन: DF-17 नामक हाइपरसोनिक मिसाइल का प्रदर्शन कर चुका है। सैटेलाइट इमेज और खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन ने इसे सैन्य स्तर पर तैनात भी कर दिया है।

4 .भारत: भारत ने हाल में हाइपरसोनिक मिसाइल का टेस्ट किया हैं। वहीं, HSTDV, ब्रह्मोस-2 और अन्य परियोजनाओं के जरिए तेजी से प्रगति कर रहा है। भारत का लक्ष्य 2030 तक पूरी तरह से ऑपरेशनल हाइपरसोनिक सिस्टम तैयार करना है।

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