क्या है मामला?
यह फैसला न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की पीठ ने प्रशांत कुमार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। याची प्रशांत कुमार ने एआरपी के पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन किया था, लेकिन उनकी बीटेक डिग्री को यह कहते हुए खारिज कर दिया गया कि वह आवश्यक शैक्षिक योग्यता के अनुरूप नहीं है।
प्रशांत कुमार का तर्क था कि उनके बीटेक पाठ्यक्रम में इंजीनियरिंग फिजिक्स-1, इंजीनियरिंग फिजिक्स-2 और इंजीनियरिंग केमिस्ट्री जैसे विषय शामिल हैं, इसलिए उनकी डिग्री को भी गणित, भौतिकी और रसायन विज्ञान के साथ स्नातक डिग्री के समकक्ष माना जाना चाहिए।
कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने याची की दलीलों से सहमति जताते हुए कहा कि बीटेक डिग्री में शामिल विषयों को देखते हुए इसे भी उपयुक्त शैक्षिक योग्यता माना जा सकता है। हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि मौजूदा भर्ती प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में है और लिखित परीक्षा हो चुकी है, इसलिए याची को वर्तमान प्रक्रिया में शामिल होने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
लेकिन भविष्य की भर्तियों को लेकर कोर्ट ने बड़ा निर्देश दिया। अदालत ने प्रदेश सरकार को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि अगर एआरपी के लिए कोई नई भर्ती निकाली जाती है तो उसमें बीटेक डिग्री को स्पष्ट रूप से पात्रता मानदंड में शामिल किया जाए।
क्या होगा असर?
इस फैसले का सीधा फायदा प्रदेश के लाखों इंजीनियरिंग स्नातकों को मिलेगा। अब वे भी शिक्षा विभाग की अहम भूमिका—एआरपी—में अपनी सेवा दे सकेंगे। इससे न केवल तकनीकी ज्ञान को स्कूली शिक्षा में लाया जा सकेगा, बल्कि बीटेक छात्रों को सरकारी क्षेत्र में एक नया करियर विकल्प भी मिलेगा।
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