बता दें की यह प्रणाली देश के लिए एक ऐसा सुरक्षा कवच बनकर उभर रही है, जो शत्रु की किसी भी हवाई चुनौती को नेस्तनाबूद करने में सक्षम होगी। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य रूस के प्रसिद्ध एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम के बराबर, बल्कि उससे भी अधिक सक्षम, एक स्वदेशी विकल्प तैयार करना है।
350 किलोमीटर तक मारक क्षमता
प्रोजेक्ट कुश के तहत विकसित की जा रही मिसाइल प्रणाली की मारक क्षमता 350 किलोमीटर तक होगी। इसका मतलब है कि यह प्रणाली सीमा पार से आने वाले लड़ाकू विमानों, ड्रोन, क्रूज़ मिसाइलों और यहां तक कि बैलिस्टिक मिसाइलों को भी काफी पहले पहचान कर नष्ट करने में सक्षम होगी।
2028-29 तक होगी तैनाती
रक्षा सूत्रों के मुताबिक, 2028-29 तक इस प्रणाली को भारतीय रक्षा बलों में तैनात किए जाने की उम्मीद है। यह एक बहु-स्तरीय रक्षा कवच की तरह काम करेगी, जो देश के प्रमुख सैन्य और नागरिक ठिकानों को किसी भी संभावित हवाई हमले से सुरक्षित रखने में अहम भूमिका निभाएगी।
स्वदेशी ताकत का प्रदर्शन
प्रोजेक्ट कुश भारत की 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' पहल का सशक्त उदाहरण है। DRDO इस प्रणाली को पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक के माध्यम से विकसित कर रहा है, जिससे भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता को और मजबूती मिलेगी।
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