इस सफलता के पीछे भारत सरकार और रक्षा मंत्रालय की मजबूत रणनीति और आत्मनिर्भर भारत अभियान की स्पष्ट दिशा है। रक्षा मंत्रालय ने HAL के साथ 240 AL-31FP इंजन के निर्माण के लिए ₹26,000 करोड़ रुपये से अधिक का मेगा कॉन्ट्रैक्ट किया है। ये इंजन पूरी तरह से भारत में, ओडिशा के कोरापुट स्थित HAL डिवीजन में बनाए जा रहे हैं।
रूस से तकनीक, भारत में निर्माण
इस परियोजना की सबसे अहम बात यह है कि HAL को यह इंजन रूस की मदद से प्रौद्योगिकी हस्तांतरण (Technology Transfer - ToT) के जरिए बनाने की अनुमति मिली है। इसका मतलब है कि अब भारत में ही उच्च गुणवत्ता वाले फाइटर जेट इंजन डिज़ाइन, असेंबल और टेस्ट किए जा सकते हैं — जो कि अब तक केवल सीमित देशों के पास ही यह क्षमता थी।
लगेंगे भारत के आत्मनिर्भरता के पंख
HAL द्वारा भारत में बनाए जा रहे AL-31FP इंजन न केवल रणनीतिक दृष्टि से अहम हैं, बल्कि यह भारतीय रक्षा विनिर्माण क्षेत्र के लिए आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ी छलांग भी हैं। अब तक इन इंजनों के लिए रूस से आयात पर भारी निर्भरता थी, जिससे न केवल लागत बढ़ती थी बल्कि डिलिवरी में भी देरी होती थी। अब स्वदेशी निर्माण से देश को आर्थिक लाभ, रोज़गार के अवसर और तकनीकी विशेषज्ञता – तीनों ही क्षेत्रों में फायदा मिलेगा। साथ ही, यह परियोजना भारत को रक्षा उत्पादों का नेट एक्सपोर्टर बनाने की दिशा में भी सशक्त करेगी।
वायुसेना को मिलेगा रणनीतिक लाभ
भारतीय वायुसेना के लिए सुखोई-30 MKI एक अत्यधिक भरोसेमंद और ताकतवर लड़ाकू विमान है। अब जब इसके इंजन भी देश में ही तैयार हो रहे हैं, तो ऑपरेशनल तैयारियों में तेजी आएगी और लॉजिस्टिक सपोर्ट में आत्मनिर्भरता सुनिश्चित होगी। यह राष्ट्र की सुरक्षा और तकनीकी आत्मनिर्भरता के लिए एक रणनीतिक उपलब्धि है।
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