1. रेंज में दोगुना बढ़त
S-400 की अधिकतम मारक सीमा करीब 400 किलोमीटर है। जबकि S-500 दुश्मन को 600 से 1000 किलोमीटर दूर तक पहचानकर मार गिराने में सक्षम है। इसका मतलब ये है कि दुश्मन की मिसाइल या विमान को काफी पहले ही रोका जा सकता है।
2. हाइपरसोनिक हथियार भी बेअसर
S-500 उन चुनिंदा सिस्टम में शामिल है जो हाइपरसोनिक मिसाइलों (Mach 20 तक की गति) को भी इंटरसेप्ट कर सकता है। यह अमेरिका के F-35 जैसे स्टील्थ फाइटर्स को भी ट्रैक कर खत्म करने की क्षमता रखता है। लेकिन S-400 के पास ये शक्ति नहीं हैं।
3. बैलिस्टिक मिसाइल और स्पेस थ्रेट्स का भी जवाब
S-400 सिर्फ एयर डिफेंस के लिए डिजाइन किया गया था, लेकिन S-500 एक मल्टी-थ्रेट प्लेटफॉर्म है। यह न केवल बैलिस्टिक मिसाइलों, बल्कि अंतरिक्ष से आने वाले टारगेट्स (जैसे सैटेलाइट या इंटरकॉन्टिनेंटल मिसाइल) को भी निशाना बना सकता है।
4. एंटी-सैटेलाइट सिस्टम: स्पेस वार करने की भी क्षमता
रूस का दावा है कि S-500 के पास ASAT (Anti-Satellite) क्षमता है। यानी ज़रूरत पड़ने पर यह लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) में मौजूद दुश्मन के उपग्रहों को भी नष्ट कर सकता है।
5. तेज़ तैनाती, स्मार्ट कंट्रोल, और किसी भी तरह के हमले बचाव
S-500 को रूस ने मॉड्यूलर डिज़ाइन पर विकसित किया है, जिससे इसकी तैनाती और मूवमेंट तेज़ होती है। यह सिस्टम 360-डिग्री कवरेज, एडवांस्ड रडार और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से सैकड़ों टारगेट्स को एक साथ ट्रैक कर सकता है।
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