ब्रह्मोस-2: हाइपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल
भारत और रूस के संयुक्त सहयोग से विकसित की जा रही ब्रह्मोस-2 को लेकर दुनिया भर की नजरें टिकी हैं। यह मिसाइल हाइपरसोनिक श्रेणी में आती है, जिसकी गति Mach 7 (आवाज की गति से 7 गुना ज्यादा) हो सकती है। इतनी तेज़ रफ्तार में किसी भी दुश्मन के पास प्रतिक्रिया देने का समय नहीं रहता। चीन की चिंता की मुख्य वजह यह है कि ब्रह्मोस-2 से भारत को समुद्र, थल और वायु – तीनों क्षेत्रों में अजेय हमले की क्षमता मिल जाएगी।
K-5 और K-6: परमाणु पनडुब्बियों से दागी जाने वाली मिसाइलें
भारत की परमाणु त्रिकोणीय मारक क्षमता को मजबूत करने के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) K-5 और K-6 जैसी SLBM (Submarine-Launched Ballistic Missiles) पर काम कर रहा है। K-5 मिसाइल की अनुमानित मारक क्षमता 6,000 किमी तक होगी, जो इसे अंतरमहाद्वीपीय स्तर की मिसाइल बना देती है। जबकि K-6, जो इससे भी उन्नत है, की रेंज 8,000 किलोमीटर या उससे अधिक मानी जा रही है और इसे भविष्य की परमाणु पनडुब्बी S5 क्लास से लॉन्च करने की योजना है।
रणनीतिक संदेश: भारत सिर्फ तैयार नहीं, सक्षम है
इन मिसाइल परियोजनाओं का संदेश साफ है – भारत अब सिर्फ रक्षात्मक नहीं, बल्कि रणनीतिक और आक्रामक संतुलन बनाए रखने में भी सक्षम हो रहा है। ऐसे समय में जब चीन दक्षिण चीन सागर और भारत-तिब्बत सीमा पर सैन्य गतिविधियाँ तेज कर रहा है, और पाकिस्तान आतंकवाद की छाया में अप्रत्यक्ष युद्ध की रणनीति अपनाए हुए है – भारत की नई मिसाइल प्रणाली शांति के साथ शक्ति का संदेश देती है।
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