यूपी में बिजली के निजीकरण को लेकर बड़ी खबर

लखनऊ, 14 मई 2025:

उत्तर प्रदेश में बिजली वितरण निगमों के निजीकरण को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण की प्रक्रिया को "असंवैधानिक" करार देते हुए उस पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है। मंगलवार को परिषद ने उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग में एक लोक महत्व का प्रस्ताव दाखिल कर इस मांग को औपचारिक रूप दिया।

परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार और सदस्य संजय कुमार सिंह से मुलाकात कर प्रस्ताव सौंपा। उनका कहना है कि जब वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए वार्षिक राजस्व आवश्यकता (ARR) को स्वीकार कर लिया गया है, तो बिना नियामक आयोग की अनुमति के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू करना विद्युत अधिनियम-2003 की धारा 64(3) का उल्लंघन है।

आंदोलन की चेतावनी

इसी मुद्दे पर विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने भी मोर्चा खोल दिया है। समिति ने बुधवार से नियमानुसार कार्य आंदोलन शुरू करने की घोषणा की है। साथ ही चेतावनी दी है कि अगर निगमों के निजीकरण के लिए टेंडर प्रकाशित हुआ तो बिना किसी नोटिस के तत्काल आंदोलन शुरू कर दिया जाएगा।

आयोग की भूमिका पर सवाल

परिषद ने आरोप लगाया है कि पावर कारपोरेशन ने उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग की अनुमति के बिना ही निजीकरण की प्रक्रिया आरंभ कर दी है। ऐसे में आयोग की जिम्मेदारी बनती है कि वह इस प्रक्रिया को रोक कर कानून के तहत उचित कदम उठाए।

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