वैज्ञानिक मिशन में ऐतिहासिक छलांग
एनआइओटी के निदेशक बालाजी रामकृष्णन ने मंगलवार को आईसीएआर-सीएमएफआरआई (केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान) में कहा कि ‘समुद्रयान’ मिशन भारत के गहरे समुद्री अनुसंधान के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है। इसमें तीन वैज्ञानिकों को विशेष रूप से डिजाइन की गई पनडुब्बी के माध्यम से समुद्र की गहराई में भेजा जाएगा, जो अत्यधिक दबाव और तापमान का सामना करने में सक्षम है।
स्वदेशी तकनीक से विकसित समुद्रयान
इस मिशन के लिए तैयार की गई पनडुब्बी पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित है और इसका वजन लगभग 25 टन है। इसका ढांचा टाइटेनियम से बना है, जो गहरे समुद्र में भारी दबाव और जटिल परिस्थितियों का सामना कर सकता है। समुद्रयान को विशेष रूप से दीर्घकालिक समुद्री अन्वेषण और संसाधन आकलन के लिए तैयार किया गया है।
चरणबद्ध तरीके से होगी लॉन्चिंग
मिशन की शुरुआत एक चरणबद्ध प्रक्रिया के तहत की जाएगी। इस वर्ष के अंत तक 500 मीटर गहराई तक समुद्रयान का परीक्षण किया जाएगा। पूरी यात्रा में लगभग चार घंटे समुद्र में गोता लगाने और चार घंटे बाहर निकलने में लगेंगे। मिशन का उद्देश्य गहरे समुद्र में मौजूद संसाधनों, जैविक जीवन और पानी की भौतिक-रासायनिक विशेषताओं का अध्ययन करना है।
समुद्री पर्यटन और संसाधन खोज के नए रास्ते
‘समुद्रयान’ मिशन के माध्यम से भारत न केवल समुद्र के अनछुए रहस्यों को उजागर करेगा, बल्कि समुद्री पर्यटन और गहरे समुद्र में खनिज अन्वेषण जैसे क्षेत्रों में भी संभावनाओं के नए द्वार खोलेगा। दुनिया में कुछ ही देश इसतरह के मिशन करने में सफल हुए हैं।
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