जमीन नहीं, कहीं विवाद तो नहीं खरीद रहे आप?
सरकार का स्पष्ट संदेश है—"पूरी पड़ताल करें, फिर ही सौदा पक्का करें।" दरअसल, हाल के वर्षों में ज़मीन से जुड़े विवादों की संख्या में भारी इज़ाफा हुआ है। कई लोग बिना जांच-पड़ताल के प्लॉट खरीद लेते हैं और बाद में फर्जीवाड़ा, मालिकाना हक की कमी या कानूनी पेंच में फंस जाते हैं। इसीलिए विभाग ने ज़मीन खरीदने से पहले 5 अहम बिंदुओं की जांच की सख्त सलाह दी है।
1. ऑनलाइन जमाबंदी की जांच करें
सबसे पहले, बिहार सरकार की आधिकारिक वेबसाइट www.biharbhoomi.bihar.gov.in पर जाकर उस ज़मीन की जमाबंदी (Land Records) जांचें। देखें कि जमीन का खेसरा नंबर और रकबा ऑनलाइन रिकॉर्ड में मौजूद है या नहीं। अगर जानकारी मेल नहीं खाती, तो मामला संदिग्ध हो सकता है।
2. विक्रेता के नाम से जमाबंदी का सत्यापन करें
सिर्फ खेसरा नंबर से काम नहीं चलेगा। यह सुनिश्चित करें कि ज़मीन विक्रेता के नाम पर ही दर्ज है। अगर विक्रेता के नाम पर जमाबंदी नहीं है, तो उसके पास ज़मीन बेचने का वैध अधिकार नहीं है।
3. हिस्सेदारों की लिखित सहमति ज़रूरी
अगर ज़मीन पर एक से ज़्यादा हिस्सेदार हैं और विक्रेता अकेला है, तो बाकी हिस्सेदारों की लिखित सहमति अनिवार्य है। बिना सहमति खरीदी गई ज़मीन पर कभी भी दावा या विवाद खड़ा हो सकता है।
4. दाखिल-खारिज का रिकॉर्ड जांचें
विक्रेता ने अगर ज़मीन अपने नाम दाखिल-खारिज (Mutation) नहीं करवाई है, तो ज़मीन पर उसका मालिकाना हक संदेहास्पद हो सकता है। mutation दस्तावेज साबित करता है कि ज़मीन किसके नाम पर दर्ज है और वह उसे बेचने का अधिकार रखता है या नहीं।
5. विक्रेता का हक और कब्जा प्रमाणित करें
सबसे अंत में, यह सुनिश्चित करें कि विक्रेता के पास ज़मीन का कब्जा और स्वामित्व प्रमाण हो। सिर्फ कागज़ी जानकारी से संतुष्ट न हों—मौके पर जाकर ज़मीन देखें और स्थानीय लोगों से भी जानकारी लें। इसके बाद ही जमीन की खरीदारी करें।
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