पंचायत भवन में प्रमाणपत्र केंद्र
राज्य सरकार ने निर्देश दिया है कि प्रत्येक पंचायत सरकार भवन में एक अलग काउंटर खोला जाए, जहां जन्म और मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए आवेदन लिया जाएगा। यह जिम्मेदारी पंचायत सचिव को दी गई है, जो आवेदन की जांच के बाद मौके पर ही प्रमाणपत्र जारी करेंगे। इससे ग्रामीणों का समय, पैसा और श्रम—तीनों की बचत होगी।
सांख्यिकी निदेशालय ने भेजा प्रस्ताव
अर्थ एवं सांख्यिकी निदेशालय ने इस नई व्यवस्था को अमल में लाने के लिए पूरी योजना तैयार कर ली है और इसे अंतिम मंजूरी के लिए राज्य सरकार को भेजा जा रहा है। बताया जा रहा है कि प्रस्ताव को जल्द ही मंजूरी मिल सकती है।
ग्राम विकास शिविरों में हो रही शुरुआत
फिलहाल राज्यभर में ‘ग्राम विकास शिविर’ के माध्यम से इस योजना का ट्रायल चल रहा है। इन शिविरों में उन बच्चों के जन्म प्रमाणपत्र बनाए जा रहे हैं जिनका अब तक कोई रिकॉर्ड नहीं बना था। इसे अभियान के तौर पर चलाया जा रहा है ताकि राज्य के आधारभूत आंकड़े मजबूत किए जा सकें।
प्रमाणपत्र निर्गत की प्रक्रिया होगी सरल
30 दिन के भीतर आवेदन: पंचायत सचिव द्वारा प्रमाणपत्र जारी होगा।
1 माह से 1 वर्ष के भीतर: प्रखंड सांख्यिकी पदाधिकारी की अनुशंसा आवश्यक
1 वर्ष के बाद के मामले: बीडीओ की अनुशंसा पर प्रमाणपत्र जारी किया जायेगा।
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