रक्षा विशेषज्ञों की मानें, तो तेजस मार्क-2 आने के साथ ही भारतीय वायुसेना के तीन पुराने लड़ाकू विमानों — जगुआर, मिराज-2000 और मिग-29 — की विदाई तय मानी जा रही है। और सबसे खास बात ये कि यह विमान अब भारत को फ्रांस से आए राफेल जैसे अत्याधुनिक विमानों की जरूरत को भी काफी हद तक पूरा करेगा।
तेजस Mk-2: भारत की ताकत
तेजस मार्क-2 एक सिंगल इंजन वाला सुपरसोनिक फाइटर जेट है, जिसे खासतौर पर भारत की जरूरतों को ध्यान में रखकर डिजाइन किया गया है। इसकी लंबाई लगभग 14.2 मीटर है, पंखों का फैलाव 8.5 मीटर और ऊंचाई 4.4 मीटर तक जाती है। इसका मैक्सिमम टेक-ऑफ वेट 17.5 टन है, जिससे यह मध्यम वजन की श्रेणी में आता है।
यह विमान 6.5 टन तक का भारी पेलोड उठा सकता है, जिसमें मिसाइलें, बम और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम शामिल हैं। इसमें 23 मिमी की ट्विन-बैरल तोप भी लगी होगी जो इसे हर मोर्चे पर खतरनाक बनाती है। तेजस एमके-2 में Air-to-air missile- MICA, ASRAAM, Meteor, Astra, NG-CCM, Air-to-surface missile- BrahMos, LR-ALCM, Rudram, Storm Shadow, Crystal Maze, मिसाइल लगे होंगे।
रफ्तार जो दुश्मन के होश उड़ा दे
तेजस मार्क-2 की सबसे बड़ी ताकत इसकी रफ्तार होगी। यह विमान 2385 किमी/घंटा की टॉप स्पीड से उड़ान भर सकेगा, जो इसे दुनिया के तेजतर्रार लड़ाकू विमानों की कतार में खड़ा करता है। इस जेट में अमेरिका का बनाया गया F-414 इंजन इस्तेमाल होगा, जो इसे दमदार थ्रस्ट और हाई परफॉर्मेंस देगा। यह वही इंजन है जो कई इंटरनेशनल टॉप फाइटर जेट्स में इस्तेमाल हो रहा है।
चीन और पाकिस्तान को देगा करारा जवाब
तेजस मार्क-2 के मुकाबले पाकिस्तान के पास कोई समकक्ष फाइटर जेट है। वहीं चीन जरूर इस क्लास के जेट्स पर काम कर रहा है, लेकिन भारत की यह तकनीकी छलांग उसे रणनीतिक बढ़त दिला सकती है। तेजस मार्क-2 की पहली उड़ान 2025 के अंत तक संभावित मानी जा रही है।
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