पक्के एग्रीमेंट की राह आसान
अब तक औसतन वार्षिक किराए का दो प्रतिशत स्टांप ड्यूटी देनी होती थी, जिसके चलते अधिकांश मकान मालिक और किरायेदार रजिस्टर्ड एग्रीमेंट से बचते थे। नतीजतन, विवाद की स्थिति में कानूनी प्रक्रिया जटिल हो जाती थी। लेकिन नए नियमों के तहत, सरकार ने लागत घटाकर इसे प्रोत्साहित करने का प्रयास किया है।
1 वर्ष की अवधि वाले रेंट एग्रीमेंट का रजिस्ट्रेशन शुल्क:
वार्षिक किराया ₹1 लाख तक → ₹500
वार्षिक किराया ₹1 लाख से ₹3 लाख तक → ₹1000
वार्षिक किराया ₹3 लाख से ₹6 लाख तक → ₹2000
5 वर्ष की अवधि वाले रेंट एग्रीमेंट का रजिस्ट्रेशन शुल्क:
वार्षिक किराया ₹1 लाख तक → ₹1500
वार्षिक किराया ₹1 लाख से ₹3 लाख तक → ₹3000
वार्षिक किराया ₹3 लाख से ₹6 लाख तक → ₹6000
10 वर्ष की अवधि वाले रेंट एग्रीमेंट का रजिस्ट्रेशन शुल्क:
वार्षिक किराया ₹1 लाख तक → ₹2000
वार्षिक किराया ₹1 लाख से ₹3 लाख तक → ₹4000
वार्षिक किराया ₹3 लाख से ₹6 लाख तक → ₹8000
किरायेदारों पर अब नहीं चलेगा गलत फायदा
सरकार को उम्मीद है कि रजिस्ट्रेशन शुल्क कम होने से अधिक से अधिक संपत्ति मालिक रेंट एग्रीमेंट को रजिस्टर्ड कराएंगे। इससे किरायेदारी से जुड़े विवादों में कमी आएगी और मकान मालिकों को नए रेंट कंट्रोल कानून का लाभ मिल सकेगा। खास बात यह है कि रजिस्टर्ड एग्रीमेंट के रहते किरायेदार अब सीधे पुलिस या सिविल कोर्ट से राहत नहीं ले सकेंगे।
11 महीने के एग्रीमेंट का ट्रेंड होगा पुराना
अब तक अधिकतर मकान मालिक 11 महीने का एग्रीमेंट ₹100 के स्टांप पेपर पर करते रहे हैं, क्योंकि उसे रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता नहीं थी। लेकिन अब सरकार का यह कदम लंबी अवधि के लिए रजिस्टर्ड एग्रीमेंट को बढ़ावा देगा, जिससे किरायेदारी का सिस्टम अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनेगा।
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